बद्रीनाथ मंदिर के पास घूमने की 15 जगह

अपनी बद्रीनाथ मंदिर की यात्रा के दौरान आपको कुछ समय निकालकर बद्रीनाथ के मंदिर के आसपास की जगह भी देखनी चाहिए यहां पर हम आपको बद्रीनाथ मंदिर के पास घूमने की 15 जगह के बारे में बताएंगे जिनमें से कुछ जगहों पर आप अपनी सुविधा के अनुसार घूम सकते हैं|

वैसे अपनी बद्रीनाथ यात्रा के दौरान अधिकतर तीर्थ यात्री जोशीमठ, माना गाँव , भीमपुल , सरस्वती नदी ,नारद और तप्त कुंड,औली ओर फूलो की घाटी आदि जैसे जगह पर यात्रा कर अपनी बद्रीनाथ धाम की यात्रा को सफल बनाते हैं|

यहां नीचे हम आपको बद्रीनाथ मंदिर के पास घूमने की 15 जगह के बारे में कुछ जानकारी दे रहे हैं ताकि आप अपनी बजट और समय के अनुसार इनमें से कुछ जगह या सभी जगह जाकर इनके महत्व को समझ कर अपनी यात्रा को और अधिक सफल बना सकते हैं|


बद्रीनाथ मंदिर के पास घूमने की 15 जगह

1. विष्णुप्रयाग:- अलकनंदा और धौलीगंगा नदी का संगम स्थल

विष्णुप्रयाग उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित एक धार्मिक और प्राकृतिक रूप से खूबसूरत स्थल है। यह अलकनंदा और धौलीगंगा नदी के संगम पर बसा हुआ है, जो पंच प्रयागों में से एक माना जाता है. पंच प्रयाग विभिन्न नदियों के संगम स्थल हैं जिन्हें हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है.

विष्णुप्रयाग का नाम इस मान्यता के आधार पर पड़ा है कि ऋषि नारद ने यहां ध्यान लगाकर भगवान विष्णु की पूजा की थी, जिसके बाद भगवान विष्णु उनके सामने प्रकट हुए थे. आसपास के दर्शनीय स्थलों में विष्णुप्रयाग बांध, कागभुसंडी झील और हनुमान चट्टी शामिल हैं, जो भगवान हनुमान को समर्पित एक मंदिर है.


2. जोशीमठ –भगवान् बद्रीविशाल का शीतकालीन निवास स्थान

जोशीमठ उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल और पर्यटन स्थल है। यह बद्रीनाथ धाम के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है और हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। जोशीमठ 6,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और चारों ओर से बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरा हुआ है।

यहां का मुख्य आकर्षण नरसिंह मंदिर है, जो भगवान नरसिंह को समर्पित है। माना जाता है कि यह मंदिर 8वीं शताब्दी का है और यह आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया था। अन्य प्रसिद्ध मंदिरों में योग बद्री मंदिर, गोपीनाथ मंदिर और मंदिया मंदिर शामिल हैं।

जोशीमठ ट्रेकिंग और पर्वतारोहण के लिए भी एक लोकप्रिय स्थान है। यहां से कई ट्रेक शुरू होते हैं, जिनमें फूलों की घाटी, औली और हेमकुंड साहिब शामिल हैं। जोशीमठ में ठहरने के लिए कई होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं।

यहां का मौसम साल भर सुखद रहता है, लेकिन सर्दियों में तापमान शून्य से नीचे गिर सकता है। जोशीमठ जाने का सबसे अच्छा समय मई से अक्टूबर तक का है।

3.पांडुकेश्वर – राजा पांडू की तपस्यास्थली

पांडुकेश्वर उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित एक धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व वाला स्थान है। यह बद्रीनाथ धाम से 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और अलकनंदा नदी के किनारे बसा हुआ है।

पांडुकेश्वर का नाम महाभारत के महान पांडवों के पिता राजा पांडु के नाम पर रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि राजा पांडु ने यहां तपस्या की थी और अपने जीवन के अंतिम दिन यहीं बिताए थे।

पांडुकेश्वर में दो प्रसिद्ध मंदिर हैं: योग ध्यान बद्री मंदिर और वासुदेव मंदिर। योग ध्यान बद्री मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और यह 9वीं शताब्दी का माना जाता है। वासुदेव मंदिर भगवान कृष्ण के पिता वासुदेव को समर्पित है।

पांडुकेश्वर गर्म पानी के कुंडों के लिए भी जाना जाता है, जिनके औषधीय गुण होने माने जाते हैं। इन कुंडों में स्नान करने से कई बीमारियों से राहत मिलने की मान्यता है।

यहां का प्राकृतिक वातावरण मनमोहक है और चारों ओर से ऊंचे पहाड़ों से घिरा हुआ है। पांडुकेश्वर ट्रेकिंग और पिकनिक के लिए भी एक लोकप्रिय स्थान है।

बद्रीनाथ मंदिर के पास घूमने की 15 जगह


4.तप्त कुंड: बद्रीनाथ का पवित्र जल कुंड

तप्त कुंड, बद्रीनाथ मंदिर की तलहटी में स्थित एक प्रसिद्ध प्राकृतिक गर्म जल कुंड है। भगवान अग्नि का निवास माना जाने वाला यह कुंड अपनी औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है।

बद्रीनाथ यात्रा पर आने वाले सभी श्रद्धालु मंदिर जाने से पहले इस पवित्र कुंड में स्नान करते हैं। 45 डिग्री सेल्सियस के तापमान वाले इस कुंड के पानी में स्नान करने से त्वचा रोगों सहित कई बीमारियों से मुक्ति मिलने की मान्यता है।

तप्त कुंड के नीचे एक और कुंड है जिसे नारद कुंड कहा जाता है। यहीं पर आदि शंकराचार्य को बद्री नारायण की वर्तमान मूर्ति मिली थी।

कुंड के आसपास पांच विशाल पत्थर की चट्टानें हैं, जिन्हें पंच शिला के नाम से जाना जाता है। तप्त कुंड के बगल में नारद शिला स्थित है, और मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग में गरुड़ शिला है। नरसिंह शिला, वाराही शिला और मार्कडेय शिला अलकनंदा नदी के जल में छिपी हुई हैं।

Badrinath rout map full


5.नारद कुंडी: बद्रीनाथ धाम का पवित्र कुंड

नारद कुंडी, बद्रीनाथ धाम में स्थित एक प्रसिद्ध गर्म पानी का कुंड है। यह तप्त कुंड के समीप ही स्थित है और धार्मिक एवं पर्यटन महत्व का स्थान है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, यही वह स्थान है जहाँ ऋषि नारद ने तपस्या कर “नारद भक्ति सूत्र” नामक ग्रंथ की रचना की थी। इस कुंड के पानी को अत्यंत पवित्र माना जाता है और श्रद्धालु यहां स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।

नारद कुंडी, प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। चारों ओर ऊंचे पहाड़ों और हरियाली से घिरा यह स्थान मन को शांति प्रदान करता है।


6.ब्रह्म कपाल: बद्रीनाथ धाम का पवित्र घाट

बद्रीनाथ बस स्टैंड से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ब्रह्म कपाल, अलकनंदा नदी पर स्थित एक पवित्र घाट है। यह धार्मिक महत्व का स्थान है और बद्रीनाथ यात्रा के दौरान पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है।

हिंदू धर्म में, ब्रह्म कपाल को एक पवित्र स्थान माना जाता है जहां श्रद्धालु अपने पूर्वजों की आत्मा को नरक से मुक्त करने के लिए पिंडदान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है।

ब्रह्म कपाल घाट पर, श्रद्धालु अलकनंदा नदी के किनारे पवित्र मंत्रों का जाप करते हुए तर्पण करते हैं। वे अपने पूर्वजों की याद में पिंडदान भी करते हैं।

इसके अलावा, ब्रह्म कपाल घाट अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है। चारों ओर ऊंचे पहाड़ों और हरियाली से घिरा यह स्थान मन को शांति प्रदान करता है।

ब्रह्म कपाल को “पितृ तीर्थ” के नाम से भी जाना जाता है। यह घाट साल भर खुला रहता है, लेकिन श्रद्धालुओं की सबसे अधिक संख्या पितृ पक्ष के दौरान होती है।


7.माणा गांव: भारत का पहला गांव

माणा गांव, बद्रीनाथ धाम से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भारत का अब पहला गांव है। यह गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध संस्कृति और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।

माणा गांव, सरस्वती नदी के तट पर 3,219 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह गांव चारों ओर से बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरा हुआ है।

यहां के मुख्य आकर्षणों में वासुधारा जलप्रपात, गणेश गुफा, व्यास गुफा, भीम पुल और माता मूर्ति मंदिर शामिल हैं। वासुधारा जलप्रपात, 40 मीटर से अधिक ऊंचाई से गिरता है। पास ही गणेश गुफा और व्यास गुफा, हिंदू धर्म के प्रसिद्ध ऋषियों से जुड़ी हैं। भीम पुल, एक प्राकृतिक चट्टान पुल है जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे भीम ने बनाया था। माता मूर्ति मंदिर, देवी दुर्गा को समर्पित है और श्रद्धालुओं के बीच लोकप्रिय है।

यह गांव भारत-तिब्बत सीमा के करीब स्थित है।माणा गांव में कई होमस्टे और गेस्ट हाउस हैं, जहाँ पर्यटक रुक सकते हैं।यहां का मौसम साल भर सुखद रहता है, लेकिन सर्दियों में तापमान शून्य से नीचे गिर सकता है। माणा गांव जाने का सबसे अच्छा समय मई से अक्टूबर तक का है।


8.व्यास गुफा: बद्रीनाथ धाम का एक रहस्यमय स्थान

व्यास गुफा, बद्रीनाथ धाम से 4 किलोमीटर की दूरी पर माणा गांव में स्थित एक प्राचीन गुफा है। यह गुफा हिंदू धर्म के प्रसिद्ध ऋषि व्यास से जुड़ी है।

माना जाता है कि ऋषि व्यास ने इस गुफा में महाभारत ग्रंथ की रचना की थी। गुफा के अंदर, ऋषि व्यास की एक मूर्ति स्थापित है।

व्यास गुफा, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। गुफा के चारों ओर ऊंचे पहाड़ और हरियाली है। गुफा के अंदर का वातावरण शांत और पवित्र है।


9. चरणपादुका: भगवान विष्णु के चरण चिन्हों वाला पवित्र स्थान

बद्रीनाथ से 3 किलोमीटर दूर चरणपादुका, भगवान विष्णु के चरण चिन्हों वाला एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह बद्रीनाथ धाम के आसपास के सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान विष्णु अपने निवास स्थान वैकुण्ठ से धरती पर उतरे, तो उन्होंने सबसे पहले इसी चट्टान पर अपने पैर रखे थे। जिसके फलस्वरूप, चट्टान पर उनके दिव्य चरणों के निशान अंकित हो गए।

यह पवित्र स्थान श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्व रखता है। चरणपादुका को “विष्णु पादुका” के नाम से भी जाना जाता है।चरणपादुका तक पहुंचने के लिए, आपको 1 से 2 घंटे की ट्रेकिंग करनी होगी। ट्रेकिंग मार्ग थोड़ा कठिन है, इसलिए उचित जूते और कपड़े पहनना महत्वपूर्ण है।


10.भीम पुल: बद्रीनाथ धाम का एक प्राकृतिक चमत्कार

बद्रीनाथ धाम में स्थित भीम पुल, एक प्रसिद्ध प्राकृतिक चमत्कार है, जो पर्यटकों और श्रद्धालुओं को समान रूप से आकर्षित करता है। यह पुल, माणा गांव से होकर बहने वाली सरस्वती नदी और अलकनंदा नदी के संगम पर स्थित है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में, पांडवों को बद्रीनाथ यात्रा के दौरान सरस्वती नदी पार करनी पड़ी थी। लेकिन, द्रौपदी नदी की तीव्र धारा को पार करने में असमर्थ थीं।

तब, भीम ने अपनी असीम शक्ति का उपयोग करते हुए, एक विशालकाय चट्टान को नदी में रख दिया, जिससे एक प्राकृतिक पुल बन गया। इसी पुल को “भीम पुल” के नाम से जाना जाता है।

आज, भीम पुल, श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है।भीम पुल को “भीमसेन पुल” और “भीम पत्थर” के नाम से भी जाना जाता है। यह पुल, लगभग 50 मीटर लंबा और 4 मीटर चौड़ा है।


11.वसुधरा जलप्रपात: बद्रीनाथ धाम का एक मनमोहक दृश्य

वसुधरा जलप्रपात, बद्रीनाथ धाम से 4 किलोमीटर की दूरी पर माणा गांव के पास स्थित एक प्राकृतिक चमत्कार है। यह जलप्रपात, अलकनंदा नदी की एक सहायक नदी से निकलता है और 40 मीटर से अधिक ऊंचाई से गिरता है।

वसुधरा जलप्रपात को “देवधारा” और “अग्निधारा” के नाम से भी जाना जाता है।यह जलप्रपात, माणा गांव के मुख्य आकर्षणों में से एक है।

जलप्रपात तक पहुंचने के लिए, आपको माणा गांव से पैदल जाना होगा। जलप्रपात के पास, एक छोटा मंदिर भी है, जो भगवान शिव को समर्पित है।

वसुधरा जलप्रपात जाने का सबसे अच्छा समय मई से अक्टूबर तक का होता है।  वसुधरा जलप्रपात तक जाने का रास्ता काफी कठिन है ओर वहा तक जाने में आपको 3 से 4 घंटे का समय लग सकता है | कठिन रास्ते के कारण काफी कम लोग यहा पहुच पाते है इसलिए आपको वसुधरा जलप्रपात के लिए माना गाव से सुबह जल्दी निकलना पड़ेगा


12.सरस्वती नदी: ज्ञान की देवी का पवित्र जल

बद्रीनाथ धाम से 3 किलोमीटर दूर, माणा गांव के एक ग्लेशियर से ज्ञान की देवी, सरस्वती नदी निकलती है। यह नदी मात्र गर्मियों के महीनों में ही दिखाई देती है, जब बर्फ पिघलकर धारा बनती है।

यहाँ से, सरस्वती नदी भूमिगत होकर इलाहाबाद तक बहती है। इलाहाबाद में गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम पर, सरस्वती अदृश्य हो जाती है।

बद्रीनाथ धाम, सरस्वती नदी की पहली झलक पाने का अनोखा अवसर प्रदान करता है।

सरस्वती नदी को “वेद माता” और “ज्ञानवाहिनी” के नाम से भी जाना जाता है।हिंदू धर्म में, यह नदी अत्यंत पवित्र मानी जाती है।माना जाता है कि सरस्वती नदी के जल में स्नान करने से ज्ञान और बुद्धि प्राप्त होती है।


13.हेमकुंड साहिब: ग्लेशियरों से घिरा हुआ एक पवित्र सिख धर्मस्थल

हेमकुंड साहिब, उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित एक प्रसिद्ध सिख तीर्थस्थल है। यह बद्रीनाथ धाम से लगभग 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और 4329 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हेमकुंड साहिब, सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी को समर्पित है।

मान्यता है कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने पिछले जन्मों में से एक में यहां ध्यान किया था। इस स्थान की शांत और सुंदर प्राकृतिक सुंदरता के कारण, इसे उनके ध्यान स्थल के रूप में चुना गया था।

हेमकुंड साहिब ग्लेशियरों से घिरा हुआ है और चारों ओर से ऊंचे पहाड़ों से घिरा हुआ है। हेमकुंड साहिब पहुंचने के लिए, आपको गंगारिया गांव से लगभग 6 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा करनी होगी।


14.औली: बर्फ स्पोर्ट्स का स्वर्ग

औली उत्तराखंड राज्य में स्थित एक लोकप्रिय हिल स्टेशन है। यह भारत में शीतकालीन खेलों का केंद्र भी है। औली, बद्रीनाथ धाम से लगभग 84 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और समुद्र तल से 2,800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

औली की मनमोहक सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर खींच लेती है। सर्दियों के दौरान, औली बर्फ से ढक जाता है, जो स्कीइंग और स्नोबोर्डिंग जैसी शीतकालीन खेलों के लिए उपयुक्त बन जाता है।

औली में एशिया का सबसे लंबा (लगभग 4 किमी) रोपवे है, जो जोशीमठ को औली से जोड़ता है। रोपवे की सवारी करते हुए आप हिमालय की मनोरम दृश्यावली का आनंद ले सकते हैं।


15.फूलों की घाटी: प्रकृति की रंगीन नजर

फूलों की घाटी, उत्तराखंड राज्य में स्थित एक अल्पाइन घास का मैदान है। यह बद्रीनाथ धाम से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और 3,858 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। फूलों की घाटी अपने नाम के अनुरूप, विभिन्न प्रकार के रंगीन जंगली फूलों के लिए प्रसिद्ध है।

वसंत ऋतु के दौरान, फूलों की घाटी अपने पूरे वैभव में खिल उठती है। यहां हजारों की संख्या में फूल खिलते हैं, जो घाटी को एक रंगीन रूप देते हैं। कुछ प्रसिद्ध फूलों में शामिल हैं प्रिमरोज़, ऑर्किड, ब्रह्मकमल और एडेलवॉइस।

फूलों की घाटी की मनमोहक सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर खींच लेती है। ट्रैकिंग के शौकीन लोग भी फूलों की घाटी की यात्रा का आनंद लेते हैं।

बद्रीनाथ में क्या खास है?

बद्रीनाथ धाम भगवान् विष्णु को समर्पित चार धामों में से एक प्रसिद्ध धाम है |

बद्रीनाथ में कौन सी नदी बहती है?

बद्रीनाथ में अलकनंदा नदी बहती है | बद्रीनाथ धाम अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है |

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