Kedarnath Opening Date 2024: इस दिन खुलेंगे ओर बन्द होंगे केदारनाथ धाम के कपाट

भगवान श्री केदारनाथ के धाम खुलने की तारीखों का ऐलान महाशिवरात्रि के पावन दिन किया जाता है इस साल भी महाशिवरात्रि के अवसर पर केदारनाथ धाम खुलने की तारीखों का ऐलान हो गया है और इस प्रकार (Kedarnath Opening Date 2024) 10 मई 2024 को सुबह 7:00 बजे से भगवान श्री केदारनाथ के धाम के कपाट भक्त जनों के लिए खोल दिए जाएंगे| वही केदारनाथ धाम कपाट बंद होने की घोषणा दिवाली के बाद भैया दूज के दिन की जाती है|

Kedarnath Opening Date 2024:-

Temple केदारनाथ के कपाट खुलने की तिथिकेदारनाथ के कपाट बन्द (संभावित तिथि)
Kedarnath10 May 2024नवम्बरः -2024 ( भाई दूज के दिन घोषणा )

केदारनाथ धाम का महत्त्व – एक नजर :-

उत्तराखंड के चमोली जिले में भगवान शिव के 200 से अधिक मंदिर हैं, जिनमें केदारनाथ सबसे महत्वपूर्ण है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार , महाभारत के युद्ध में पांडवों ने कौरवों पर विजय प्राप्त कर लीं पर उन पर भात्र हत्या दोष का पापा लगा | इससे दुखी होकर पांडव अपने पापों की क्षमा पाने के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद की तलाश में उत्तर की ओर चल दिए |

मगर भगवान् शिव पांडवो के भ्रात्र हत्या के कारण उनसे काफी नाराज थे ओर उनसे बचते रहे और अंत में केदारनाथ में एक बैल का रूप धारण कर गायो के झुण्ड में शामिल हो गए . पांडव भी भगवान शिव की आराधना करने के लिए और पाप मुक्ति के लिए उत्तर की तरफ पहाड़ों में चल पड़े|

केदारनाथ के पास भगवान शिव जब गायों की झुंड में शामिल हो गए तो भीम ने उनको पहचान लिया ओर एक विशाल रूप धारण कर पहाड़ी पर अपना पांव रख दिया , भीम के पाँव के निचे से सारी गाये तो निकलेगी मगर भगवान शिव नीचे से नहीं निकले | इस प्रकार पांडवों ने भगवान शिव को खोज लिया मगर पांडवों के पीछा करने पर, भगवान जमीन में समा गए, सिर्फ उनकी पीठ का भाग (कूबड़) केदारनाथ में रह गया |

Kedarnath Opening Date 2024



भगवान शिव के शरीर के अन्य भाग चार अन्य स्थानों पर प्रकट हुए, जिन्हें उनके रूपों के रूप में पूजा जाता है. इनमें से भगवान की भुजाएं तुंगनाथ में, चेहरा रुद्रनाथ में, जठराग्नि मध्यमेश्वर में और जटा (बाल) सिर के साथ कल्पेश्वर में हैं. केदारनाथ और इन चारों स्थानों को पंच केदार (पांच का अर्थ संस्कृत में पांच होता है) के रूप में जाना जाता है|

केदारनाथ मंदिर भारी और समान रूप से कटे हुए ग्रे स्लैबों से बना है, जिससे यह सवाल उठता है कि सदियों पहले इन भारी पत्थरों को कैसे ले जाया और संभाला गया होगा. मंदिर में गर्भगृह पूजा के लिए है और एक मंडप है, जो तीर्थयात्रियों और दर्शनार्थियों के लिए उपयुक्त है. मंदिर के अंदर एक शंकु के आकार की चट्टान की संरचना की भगवान शिव के सदाशिव रूप में पूजा की जाती है|

यह मंदिर साल में सिर्फ कुछ महीनों के लिए ही खुलता है, क्योंकि सर्दियों में भारी हिमपात के कारण यात्रा करना लगभग असंभव हो जाती है. केदारनाथ की यात्रा कठिन है, लेकिन बर्फ से ढके पहाड़ों और आध्यात्मिक माहौल के बीच भगवान शिव के दर्शन जीवन भर का अनुभव प्रदान करता है| जीवन में एक बार केदारधाम की यात्रा आपका जीवन सफल बना देती है |

इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया जो कि पांडवों के द्वारा निर्मित पुराने मंदिर के बिल्कुल साथ में ही लगा हुआ है|


केदारनाथ का इतिहास (History of Kedarnath) :-

हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में केदार धाम में प्रकट हुए थे भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं और इनमें से केदारनाथ धाम सबसे ऊंचा ज्योतिर्लिंग है| केदारनाथ धाम में मंदिर का निर्माण पांडवों के द्वारा किया गया ऐसा मान्यता है हालांकि इसके बगल में ही 8वी सदी में आदि शंकराचार्य जगतगुरु द्वारा नए मंदिर का निर्माण किया गया |

यह मंदिर हिमालय में स्थित मंदिरों में से 3581 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जहां पर भक्तजन गौरीकुंड से 16 मीटर की पैदल यात्रा कर हर साल पहुंचते हैं | केदारनाथ धाम के हुआ 6 महीने के लिए हर साल में से नवंबर तक यात्रियों के दर्शन के लिए खुले रहते हैं|

मंदिर का निर्माण विशाल आयताकार मंच पर विशाल पत्थर की पट्टियों पर किया गया है। मंदिर की चढ़ाई बड़ी भूरे रंग की सीढ़ियों से होकर होती है जो पवित्र गर्भगृह तक जाती है। इन सीढ़ियों पर पाली भाषा में शिलालेख पाए जाते हैं। गर्भगृह की आंतरिक दीवारें विभिन्न देवताओं की आकृतियों और पौराणिक कथाओं के दृश्यों से सुशोभित हैं।

गर्भगृह में एक शंकु के आकार की चट्टान भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग का प्रतीक है। वही केदारं नाथ मंदिर के दरवाजे के बाहर, नंदी बैल के रूप में एक बड़ी मूर्ति रक्षक के रूप में खड़ी है तो दूसरी तरफ भीम शिला जिसने 2013 की भयंकर आपदा में इस अद्भुत् , आलोकित , मंदिर की रक्षकों के रूप में काम किया |

केदारनाथ मंदिर में सर्दियों में बहुत बर्फबारी होती है जिसके कारण मंदिर नवंबर से अप्रैल तक बंद रहता है| इस प्रकार भगवान शिव की केदारनाथ धाम के रूप की पूजा उखीमठ में की जाती है | उसके पश्चात हर साल महाशिवरात्रि के दिन केदार धाम के कपाट खोलने की घोषणा की जाती है और इस साल भी 10 मई- 2024 को भगवान केदार के कपाट खुल रहे हैं|

यह यात्रा उखीमठ से केदार धाम के लिए मई में शुरू हो जाएगी और फिर कपट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए जाएंगे|  यह मंदिर आम तौर पर कार्तिक के पहले दिन (अक्टूबर-नवंबर) को बंद हो जाता है और हर साल वैशाख (अप्रैल-मई) में फिर से खुलता है।


केदारनाथ मंदिर तक कैसे पहुंचें | How To Reach Kedarnath Temple?


केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए प्रमुख साधनों में से हवाई मार्ग से हेलीकॉप्टर सबसे प्रसिद्ध साधन है, इसके अलावा आप सड़क मार्ग से गौरीकुंड तक आ सकते हैं और फिर वहां से 18 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर भगवान केदार के दर्शन कर सकते हैं वहीं रेल मार्ग के लिए अभी ऋषिकेश से करणप्रयाग तक रेल लाइन का कार्य जोरो पर है |

अगले साल तक भगवान केदारनाथ धाम के आसपास तक रेल से आप यात्रा कर सकेंगे हालांकि अभी आप रेल मार्ग से अपने शहर से ऋषिकेश तक आ सकते हैं और फिर ऋषिकेश से आसानी से आप केदारनाथ धाम पहुंच सकते हैं|


केदारनाथ यात्रा: हवाई, रेल और सड़क मार्ग द्वारा

हवाई मार्ग से केदारनाथ यात्रा:

  • जॉली ग्रांट हवाई अड्डा (देहरादून से 35 किलोमीटर) केदारनाथ का निकटतम हवाई अड्डा है, जो 245 किलोमीटर दूर स्थित है।
  • यह हवाई अड्डा दिल्ली ओर भारत के अन्य प्रमुख शहरों से दैनिक उड़ानों द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
  • गौरीकुंड जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से चार धाम सड़कों द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
  • जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से गौरीकुंड तक टैक्सियाँ उपलब्ध हैं।
  • वही ग्रांट देहरादून के सहस्त्रधारा से केदारनाथ के लिए प्राइवेट हेलीकॉप्टर दो धाम या चार धाम यात्रा की सुविधा भी उपलब्ध है
  • गुप्तकाशी सिरसी या फटा यह नजदीकी हेलीपैड है जहां से आप हेलीकॉप्टर से 5 से 7 मिनट में केदार धाम पहुंच सकते हैं|

रेल मार्ग से केदारनाथ यात्रा :

  • गौरीकुंड का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है।
  • ऋषिकेश रेलवे स्टेशन NH58 पर गौरीकुंड से 243 किलोमीटर पहले स्थित है।
  • ऋषिकेश भारत के प्रमुख शहरों से रेलवे नेटवर्क द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
  • गौरीकुंड, ऋषिकेश से मोटर योग्य सड़कों द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
  • ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, टिहरी और कई अन्य स्थानों से गौरीकुंड के लिए टैक्सियाँ और बसें उपलब्ध हैं।

सड़क मार्ग से केदारनाथ यात्रा :

  • गौरीकुंड उत्तराखंड राज्य के प्रमुख शहरों से मोटर योग्य सड़कों द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
  • हरिद्वार, ऋषिकेश और श्रीनगर के लिए बसें आईएसबीटी कश्मीरी गेट नई दिल्ली से उपलब्ध हैं।
  • गौरीकुंड के लिए बसें और टैक्सियाँ उत्तराखंड राज्य के प्रमुख शहरों जैसे देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, पौडी, रुद्रप्रयाग, टिहरी आदि से आसानी से उपलब्ध हैं।
  • गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग 58 द्वारा गाजियाबाद से जुड़ा हुआ है।


केदारनाथ यात्रा 2024 मार्ग मानचित्र और दूरी| Kedarnath Yatra 2024 Route Maps & Distance Guide

केदारनाथ यात्रा 2024 मार्ग मानचित्र और दूरी


गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर तक| Gaurikund To Kedarnath Temple

अगर भगवान केदारनाथ के धाम की यात्रा की कोई सबसे मुश्किल, सबसे अविस्मरणीय, मनोहर यात्रा द्रश्य और आपकी शारीरिक क्षमताओं की परीक्षा लेने वाली यात्रा है तो वह है कोरीकुंड से बाबा केदार के धाम की 18 किलोमीटर लम्बी पैदल यात्रा|

इस यात्रा के बाद भगवान केदारनाथ के दर्शन की जो अनुभूति होती है वह आप पैदल यात्रा के बाद स्वयं ही महसूस कर सकते ओर यहाँ उसका वर्णन करना संभव नहीं है | पिछले साल 19.50 लाख से भी अधिक भक्तो ने केदारधाम की यात्रा की है |

वैसे तो आप गौरीकुंड से घोड़े खर्चा हेलीकॉप्टर से भी जा सकते हैं लेकिन आप सारे रूप से स्वस्थ हैं तो गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर तक की यात्रा हिमालय की अनुपम सुंदरता के बीच एक अविस्मरणीय अनुभव है. हालांकि, ये यात्रा थोड़ी कठिन जरूर है.|

यहाँ गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर तक पहुँचने के मुख्य तरीके हैं:

  • पैदल यात्रा: यह सबसे पारंपरिक और लोकप्रिय तरीका है. गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर तक की दूरी लगभग 16-18 किलोमीटर है. इस यात्रा में लगभग 8-9 घंटे का समय लग सकता है. रास्ते में जंगल चट्टी और भीमबली जैसे कुछ पड़ाव हैं जहाँ आप थोड़ा आराम कर सकते हैं. पैदल यात्रा में कुछ बातो का ध्यान रखे |
  • घोड़े या खच्चर पर सवारी: यदि आप पैदल चलने में असमर्थ हैं, तो आप घोड़े या खच्चर की सवारी का विकल्प चुन सकते हैं. यह सुविधा गौरीकुंड में ही उपलब्ध है.
  • हेलीकॉप्टर से :आप गौरीकुंड से कुछ किलोमीटर पहले गुप्तकाशी फाटा या सिरसी से हेलीकॉप्टर बुक करके भी केदारनाथ की यात्रा कर सकते हैं
  • पालकी या डंडी से:– कुछ लोग शारीरिक रूप से बीमार रहते हैं और घोड़े और हेलीकॉप्टर या पैदल नहीं जा सकते तो वह भी बाबा भोलेनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में से प्रसिद्ध केदारनाथ धाम की यात्रा पर किया डंडी पर कर सकते हैं लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखें की बरसात में इस यात्रा से बचे |

केदारनाथ मंदिर दर्शन के लिए उपयुक्त समय (Best Time to Visit Kedarnath Temple)

  • केदारनाथ मंदिर मई से अक्टूबर/नवंबर के महीनों में दर्शन के लिए खुला रहता है |
  • हालांकि, मानसून के महीनों में (जब भूस्खलन का खतरा रहता है) तब यात्रा काफी मुश्किल रहती है |
  • गर्मियों में मौसम सुखद रहता है, जबकि सर्दियों में काफी ठंड पड़ती है और बर्फबारी होती है.
  • इस प्रकार मई/जून ओर अक्टूबर/नवंबर के महीनों में यात्रा का समय सबसे अच्छा रहता है |


केदारनाथ में मौसम (Weather in Kedarnath)

Kedarnath Live Tempraure Today- केदारनाथ आज का तापमान KEDARNATH WEATHER- Forecast for 7 days


केदारनाथ का मौसम साल भर बदलता रहता है, जिसका यात्रा पर सीधा प्रभाव पड़ता है. साल भर के मौसम का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है :

शीतकाल (अक्टूबर से अप्रैल)

  • सर्दियों में दिन काफी ठंडे होते हैं.
  • न्यूनतम तापमान शुन्य से नीचे भी जा सकता है और बर्फबारी आम है.
  • ये महीने यात्रा के लिए उपयुक्त नहीं माने जाते क्योंकि मंदिर बंद रहता हैं.

ग्रीष्मकाल (मई से जून)

  • मई से जून के महीने गर्मियों के होते हैं, जो यात्रा के लिए आदर्श समय माने जाते हैं.
  • इस दौरान मौसम खुशनुमा रहता है और हल्की ठंड पड़ती है.
  • दर्शन और घूमने-फिरने के लिए यह सबसे अच्छा समय होता है.

मानसून (जुलाई से मध्य सितंबर)

  • जुलाई से मध्य सितंबर तक मानसून का मौसम रहता है.
  • इस दौरान लगातार बारिश होती है और तापमान भी गिर जाता है.
  • भूस्खलन का खतरा रहता है, जिससे यात्रा करना मुश्किल हो सकता है.


केदारनाथ में ठहराने के लिए होटल ओर धर्मशाला Hotels & Dharamshal in Kedarnath

उत्तराखंड के अन्य चार धामों की तुलना में, केदारनाथ मंदिर काफी उचाई ओर दूरी पर स्थित है. यही कारण है कि यहां आवास के लिए सीमित विकल्प उपलब्ध हैं.

हालांकि, आपको निराश होने की आवश्यकता नहीं है! होटलों से लेकर सरकारी गेस्ट हाउसों (GMVN टूरिस्ट गेस्ट हाउस) और टेंट कैंपों तक, केदारनाथ में आपके ठहरने के लिए कई तरह की सुविधाएं मौजूद हैं.


केदारनाथ धाम में धर्मशालाएँ (Dharamshalas in Kedarnath Dham)

आपकी केदारनाथ यात्रा को सुखद बनाने के लिए, यहाँ कुछ बेहतरीन धर्मशालाओं की जानकारी दी गई है:

  • गायत्री सदन: भगवान शिव के आशीर्वाद के साथ शांतिपूर्वक रहने के लिए यह धर्मशाला उत्तम स्थान हो सकती है।
    • पता: गायत्री सदन, केदारनाथ मंदिर के पास, केदारनाथ, उत्तराखंड – 246445
  • राजस्थान सेवा सदन: केदारनाथ यात्रा में धर्मशाला रहने के लिए राजस्थान सेवा सदन सबसे किफायती विकल्प है। उनके बिस्तर और कमरे अच्छी तरह से साफ और स्वच्छ रहते हैं।
    • पता: केदारनाथ ट्रैकिंग मार्ग, केदारनाथ, उत्तराखंड 246445
  • बेहल आश्रम, केदारनाथ: बेहल आश्रम लम्बे समय से केदारनाथ यात्रा में सबसे अधिक पर्यटकों द्वारा चुना जाने वाला धर्मशाला है।
    • पता: केदारनाथ मंदिर के पास, केदारनाथ, उत्तराखंड
  • पंजाब सिंध आवास: केदारनाथ आने वाले पर्यटकों के लिए पंजाब सिंध आवास सबसे पुराने धर्मशालाओं में से एक है।
    • पता: मुख्य बाजार, केदारनाथ मंदिर के पास
  • गुजरात भवन: गुजरात भवन किफायती मूल्य प्रदान करता है और केदारनाथ यात्रा में सर्वश्रेष्ठ धर्मशालाओं में से एक है।
    • पता: मुख्य मार्ग, फाटा, केदारनाथ


प्रश्न: केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया?

उत्तर: केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों के द्वारा कराया गया था उसके पश्चात आठवीं सदी में आदि शंकराचार्य द्वारा प्राचीन मंदिर के बगल में एक नया मंदिर का निर्माण किया गया|

प्रश्न: केदारनाथ धाम क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर: केदारनाथ धाम भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे ऊंची स्थान पर स्थित ज्योतिर्लिंग में से एक है, केदारनाथ धाम का निर्माण पांडवों ने करवाया था और माना जाता है कि पांडव यहीं से होकर स्वर्ग के लिए गए थे, इसी स्थान पर पांडवों ने भगवान शिव को पहचान लिया था और फिर भगवन शिव यही पर धरती में अंतर ध्यान हो गए थे| केदारनाथ धाम पञ्च केदारो में से एक प्रसिद्ध केदार है

प्रश्न: केदारनाथ मंदिर कहाँ स्थित है?

उत्तर: केदारनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित मंदाकिनी नदी के किनारे 3500 फीट की उचाई पर स्थित है ?

प्रश्न: 2024 में केदारनाथ यात्रा की शुरुआती तिथि क्या है?

उत्तर: श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि पुजारियों द्वारा महाशिवरात्रि शुभ दिन घोषित की जाती है। इस वर्ष 2024 में, केदारनाथ की यात्रा 10 मई 2024 को शुरू होगी |

प्रश्न: 2024 में केदारनाथ मंदिर की समापन तिथि क्या है?

उत्तर: केदारनाथ मंदिर के कपाट बन्द होने के तिथि की घोषणा दिवाली के बाद भाई दूज के दिन की जाती है जो की 14 नवंबर 2024 में बंद हो जाएगा, लेकिन अभी तक सही तिथि घोषित नहीं की गई है। (संभवतः नवंबर 2024)

प्रश्न: केदारनाथ मंदिर में पूजा का समय क्या रहता है ?

उत्तर: मंदिर में सुबह की पूजा प्रातः 4:00 बजे से शुरू होकर 7:00 बजे तक चलती है ओर फिर शाम की आरती के बाद मंदिर बन्द हो जाता है |

प्रश्न: क्या में केदारनाथ मंदिर में पूजा के लिए ऑनलाइन बुकिंग करा सकता हु ?

हां , आप ऑनलाइन बद्रिकेदार समिति के वेबसाइट से ऑनलाइन पूजा की बुकिंग करा सकते है |

प्रश्न: केदारनाथ मंदिर सर्दियों में क्यों बंद हो जाता है?

उत्तर: पहाड़ी इलाको में अत्यधिक ठंड ओर बर्फबारी के मौसम के कारण, केदारनाथ मंदिर के कपाट 6 महीने के लिए बंद कर दिए जाते हैं ओर बाबा केदारधाम की शीतकालीन गद्दी उखीमठ में लगती है |

प्रश्न: केदारनाथ मंदिर कितना पुराना है?

भगवान शिव का केदारं नाथ मंदिर लगभग 3000 साल पुराना है , इस मंदिर का निर्मार्ण पांड्वो ने करवाया था ओर इसका पुन निर्मार्ण आठवी सदी में आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया था |

प्रश्न:केदारनाथ सर्दियों में कहां ठहरता है?

हर साल भाई दूज के बाद केदारधाम के कपाट 6 महीने के लिए बंद हो जाते हैं और भगवान भोलेनाथ अपने शीतकालीन निवास में ऊखीमठ में ओंकारेश्वर मंदिर में निवास करते हैं|

प्रश्न: केदारनाथ मंदिर को 2013 की भयंकर आपदा में बचाने वाले पत्थर का क्या नाम है?

उत्तर: केदारनाथ मंदिर को 2013 की भयंकर आपदा में बचाने वाले पत्थर का नाम भीम शिला है |



Leave a Comment