यदि आप भी इस साल भगवान शिव के पञ्च केदारो में से एक केदार मध्यमहेश्वर मंदिर की यात्रा की योजना बना रहे हैं तो हम यहां पर आपको विस्तार से बताएंगे कि आप मध्यमहेश्वर मंदिर कैसे जाएं, मद्महेश्वर मंदिर की यात्रा में कितने दिन लगेंगे और इस यात्रा में आपका कुल कितना खर्चा हो सकता है|
मध्यमहेश्वर मंदिर पांच प्रमुख केदारो में से दूसरा केदार है | मध्यमहेश्वर मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है भगवान शिव को समर्पित प्राचीन मंदिरों में एक जहां पर भगवान शिव के नाभि स्वरुप की पूजा होती है|
मध्यमहेश्वर यात्रा 2024 (Madhyamaheshwar Yatra 2024)
हर साल मध्यमहेश्वर मंदिर के कपाट सर्दियों में बंद हो जाते हैं और 6 महीने के लिए मध्यमहेश्वर धाम की पूजा उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में की जाती है| हर साल फिर से अप्रेल /मई में मध्यमहेश्वर मंदिर के कपाट भक्तो के लिए मई से नवम्बर तक खुले रहते है |
मध्यमहेश्वर मंदिर के खुलने और बंद होने की तिथियां 2024:
मध्यमहेश्वर मंदिर खुलने और बंद होने की तिथियां 2024 | |
खुलने की तिथि | 22 मई 2024 |
अंतिम तिथि | 22 नवंबर 2024 (अनुमानित ) |
मध्यमहेश्वर मंदिर के द्वार 22 मई, 2024 को खुलेंगे । यह तीर्थयात्रियों के लिए एक शुभ दिन है जो भगवान शिव के दर्शन करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दूर-दूर से आते हैं।
मंदिर खुलने से पहले, परंपरागत रीति-रिवाजों के अनुसार, श्री मदमहेश्वर की एक प्रतीकात्मक मूर्ति, जिसे “उत्सव डोली” नामक पालकी पर बिठाया जाता है, को तीन दिवसीय यात्रा “चाल विग्रह” में उखीमठ से मदमहेश्वर मंदिर तक ले जाया जाता है।
मध्यमहेश्वर की डोली यात्रा शुक्रवार, 19 मई को उखीमठ से शुरू होकर लगभग 25 किलोमीटर की दूरी तय करके रांसी गांव की ओर बढ़ेगी। रात को मध्यमहेश्वर की डोली रांसी स्थित राकेश्वरी मंदिर में विश्राम करेगी ।
अगली सुबह 20 मई को मध्यमहेश्वर की डोली यात्रा रांसी गाँव शुरू होकर शाम तक गौंडार गांव पहुचेगी जो की रांसी गाँव से लगभग 7 किलोमीटर दूरी पर है , डोली रात्रि यही पर विश्राम करेगी |
21 मई की सुबह मध्यमहेश्वर की डोली गोंडर गाँव से 12 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर मध्यमहेश्वर धाम पहुचेगी ओर , भक्तों के बीच उत्साह पवित्र भजनों और धूप की सुगंध के बीच, पुजारी मध्यमहेश्वर मंदिर के द्वार औपचारिक रूप से खोलेंगे।
अंत में, अगले छह महीनों की अवधि में मदमहेश्वर यात्रा को पूरा करने के लिए श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खुले रहेंगे ।
काफी सारे भक्त इस पवित्र मध्यमहेश्वर डोली यात्रा में हर साल शामिल होते है , यदि आप भी इस साल इस यात्रा में शामिल होना चाहते है तो इसकी तैयारी अभी से करा ले|
बेहतर होगा की आप कोई लोकल गाइड करा ले जो की आपका इस तीन दिन की यात्रा का इन्तजाम कर लेगा क्युकी इस दौरान थोड़ी भीड़ तो रहती है |
तो चलिए इस मध्यमहेश्वर भगवान् , बाबा भोले की यात्रा पर ओर बताते है आपको आगे की यात्रा कैसे करे |
मध्यमहेश्वर महादेव का इतिहास (History of Madmaheshwar temple)
पोराणिक कथाओं के अनुसार पांडव महाभारत की युद्ध में अपने भाइयों की हत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे और भगवान श्री कृष्णा सलाह पर वह भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए उनकी खोज में उत्तर हिमालय की तरफ चल पड़े| मगर भगवान शिव पांडवों से नाराज थे और उनसे बचने के लिए कुछ समय के लिए रुद्रप्रयाग के गुप्तकाशी में छुप गए|
मगर पांडव भी भगवान शिव का आशीर्वाद पाना चाहते थे और हिमालय की तरफ आगे शिव की खोज में निकल पड़े| केदारनाथ के पास भगवान शिव ने बैल का रूप धारण कर गायों के झुंड में शामिल हो गए मगर भीम ने भगवान शिव को बैल रूप में पहचान लिया |
भीम ने उनको पकड़ने की कोशिश की मगर इस दौरान भगवान शिव अंतर्ध्यान होकर धरती में समा गए और उनके बैल रूप के अलग-अलग भाग हिमालय के अलग-अलग क्षेत्र में पांच जगह प्रकट हुए जिनका आज भी पंच केदार कहते हैं|
भगवान शिव की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में ,नाभि का भाग मध्यमहेश्वर में, जटा कल्पेश्वर में और पृष्ठ भाग केदारनाथ में प्रकट हुए, इन्हीं पांच स्थानों को पंच केदार के नाम से भी जाना जाता है जिनमें से केदारनाथ, तुंगनाथ और मध्यमेश्वर मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में है तो वहीं कल्पेश्वर और रुद्रनाथ उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है|
हर साल देश विदेश से हजारो भक्त मध्यमेश्वर की कठिन यात्रा के लिए अप्रैल से नवंबर तक मध्यमेश्वर धाम पहुंचते हैं|
मान्यता है कि मध्यमेश्वर मंदिर का निर्माण पांडव भाई भीम के द्वारा किया गया था जिसको बाद में आदि शंकराचार्य और गढ़वाल के राजाओं ने इसका जिर्णोद्धार करवाया | यह मंदिर मुख्य रूप से वास्तुकला की उत्तर भारत की कत्युर शैली के अनुसार बना हुआ है|
मध्यमहेश्वर मंदिर कैसे जाएं (How To Reach Madmaheshwar Temple)
मध्यमहेश्वर मंदिर पहुंचने के लिए आपके पास कई सारे साधन है, इसके लिए आपको सबसे पहले ऋषिकेश पहुंचना होगा और फिर ऋषिकेश से आप ,बस, टैक्सी या अपनी गाड़ी से उखीमठ पहुंच कर वहां से 20 किलोमीटर दूरी पर रांसी गाँव ओर फिर 16 किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद मध्यमहेश्वर मंदिर की यात्रा|
मध्यमहेश्वर मंदिर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से रांसी गांव आखिरी पड़ाव है और उसके बाद आपको पैदल यात्रा ही करनी है हालांकि रांची गांव से गोंडर गांव तक 4 किलोमीटर के सड़क का कार्य चल रहा है| आप अपने शहर से मध्यमहेश्वर मंदिर पहुंचने के लिए ऋषिकेश तक निम्नलिखित साधनों का प्रयोग कर सकते हैं:-
- अपने शहर से ऋषिकेश तक ट्रेन के माध्यम से- सस्ता साधन और सुविधाजनक
- अपने शहर से देहरादून तक हवाई जहाज से- महंगा मगर सबसे तेज साधन
- अपने शहर से ऋषिकेश तक बस टैक्सी या अपनी गाड़ी है – सस्ता और सुविधाजनक साधन
अपने शहर से आप ऋषिकेश किस माध्यम से पहुंचेंगे यह आपके बजट समय आदि पर निर्भर करता है तो आपको मध्यमहेश्वर मंदिर पहुंचने के लिए सबसे पहले हरिद्वार या ऋषिकेश आना होगा उसके बाद की आगे की यात्रा आप किसी भी माध्यम जैसे बस, टैक्सी या अपनी गाड़ी से आसानी से कर सकते हैं| ऋषिकेश से उखीमठ 180 किलोमीटर है और सड़क मार्ग से यहां पहुंचने में आपको 6 से 7 घंटे लग सकते हैं|
हवाई मार्ग से मध्यमहेश्वर मंदिर कैसे जाएं (How To Reach Madmaheshwar Temple By Helicopter)
हवाई मार्ग से मध्यमहेश्वर मंदिर पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले अपने शहर से देहरादून के जॉलीग्रांट एयरपोर्ट पर आना होगा| और उसके पश्चात देहरादून से लगभग 235 किलोमीटर की सड़क मार्ग से यात्रा तय कर आप मद्महेश्वर मंदिर पहुंच सकते हैं जिसमे 16 पैदल यात्रा भी शामिल है |
जॉलीग्रांट एयरपोर्ट से आप टैक्सी लेकर हरिद्वार या ऋषिकेश पहुंच सकते हैं और फिर हरिद्वार या ऋषिकेश से आपको उखीमठ के लिए आसानी से बस या शेयरिंग टैक्सी मिल जाएगी| हरिद्वार ऋषिकेश आपको उखीमठ के लिए आसानी से बस मिल जाएगी जिसका किराया ₹500 से लेकर ₹700 तक रहता है वहीं शेयरिंग टैक्सी का किराया 700 से लेकर ₹800 प्रति व्यक्ति रहता है| आप बस से 6 से 7 घंटे में ऋषिकेश से उखीमठ पहुंच जाएंगे|
उखीमठ से रांसी गाँव तक ₹100 में आप शेयरिंग टैक्सी से आसानी से पहुंच सकते हैं | रांसी गाँव से 16 किलोमीटर पैदल यात्रा मध्यमहेश्वर मंदिर के लिए |
ट्रेन से मध्यमहेश्वर मंदिर कैसे जाएं (How To Reach Madmaheshwar Temple By Train)
मध्यमहेश्वर मंदिर ट्रेन से पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार या ऋषिकेश है| ऋषिकेश तक ट्रेन की सुविधा अभी काफी कम है भविष्य में ऋषिकेश करणप्रयाग रेल लाइन का काम प्रगति पर है जो कि अगले साल पूरा होने की संभावना है, इस प्रकार ट्रेन से मध्यमहेश्वर मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकेगा|
अभी आप अपने शहर से हरिद्वार तक ट्रेन से आ सकते हैं जिनमें से प्रमुख ट्रेन नंदा देवी एक्सप्रेस या देहरादून शताब्दी एक्सप्रेस जो की नई दिल्ली से चलती है | हरिद्वार के पश्चात आप आगे बस या शेयरिंग टैक्सी से उखीमठ आसानी से पहुंच सकते हैं |
बस से मद्महेश्वर कैसे पहुँचे (How To Reach Madmaheshwar Temple By bus /road )
मध्यमहेश्वर मंदिर पहुंचने का सबसे आसान और सस्ता का बस के माध्यम से है| यदि आप दिल्ली से बस के माध्यम से मध्यमहेश्वर मंदिर पहुंचाना चाहते हैं तो उसके लिए उत्तराखंड परिवहन निगम की बस कश्मीरी गेट आईएसबीटी से पकड़ सकते हैं|
कश्मीरी गेट आईएसबीटी से उखीमठ या फिर गुप्तकाशी के लिए शाम को 9:00 बजे बस चलती है जो की सुबह 9:00 बजे आपको उखीमठ पहुंचा देगी इसका किराया लगभग ₹800 है|
इसके अलावा आप अपने शहर से यदि हरिद्वार/ ऋषिकेश पहुंच गए हैं तो वहां से भी आपको सुबह 9:00 बजे से पहले उखीमठ/ गुप्तकाशी/सोनप्रयाग के लिए बस मिल जाएगी जिसका किराया लगभग रु 500 से लेकर ₹700 तक है| ऋषिकेश से उखीमठ तक पहुंचने में 6 से 7 घंटे लगते हैं और इस प्रकार ऋषिकेश से उखीमठ तक की सड़क से दूरी लगभग 180 किलोमीटर है|
आप चाहे तो श्रीनगर या रुद्रप्रयाग तक की बस भी पकड़ सकते हैं और उसके बाद आगे के लिए आपको आसानी से टैक्सी या बस उखीमठ तक पहुंचा देगी|
ट्रेक पर जाने के लिए सरकारी बसों को लेना सबसे अच्छा साधन रहता है। आप उत्तराखंड परिवहन निगम या UPSRTC की बसें ले सकते हैं। ये अधिक विश्वसनीय और समय के पाबंद होती हैं।
टैक्सी से मध्यमहेश्वर कैसे पहुँचे (How To Reach Madmaheshwar Temple By taxi /cab )
आप ऋषिकेश से मध्यमहेश्वर मंदिर शेयरिंग टैक्सी से भी आसानी से पहुंच सकते हैं जिसका किराया रांसी गाँव तक लगभग 700 रुपए से लेकर ₹800 तक रहता है | वहीं यदि आप तीन-चार व्यक्ति हैं तो आप चाहे तो टैक्सी बुक करके भी जा सकते हैं जिसका किराया लगभग ₹6000 से ₹7000 तक रहता है जो की यात्रा सीजन के अनुसार घटता बढ़ता रहता है|
आप चाहे तो हरिद्वार या ऋषिकेश से बस या टैक्सी एडवांस में भी बुकिंग कर सकते हैं खासकर यात्रा की पिक सीजन के दौरान किसी परेशानी से बचने के लिए|
मध्यमहेश्वर मंदिर ट्रेक (Madmaheshwar Trek) कैसे करे ?
अब हम बात करते हैं मध्यमेश्वर मंदिर के ट्रैक के बारे में जिसको आप किस प्रकार आसानी से पूरा कर सकते हैं| मद्महेश्वर मंदिर के ट्रैक को पूरा करने के लिए आपको कम से कम 4 से 5 दिन का समय चाहिए|
मध्यमहेश्वर मंदिर के 16 किलोमीटर लम्बे ट्रैक की तैयारी आपको पहले से ही कर लेनी चाहिए क्योंकि इस ट्रैक में 8 से 10 किलोमीटर की बिल्कुल खड़ी चढ़ाई है|
पहले दिनआप अपने शहर से ऋषिकेश पहुंच जाएंगे और ऋषिकेश में रात्रि विश्राम करेंगे| फिर अगले दिन सुबह-सुबह बस या अपनी गाड़ी या शेयरिंग टैक्सी से उखीमठ पहुंच जाए|
यदि आप दिल्ली से बस से आ रहे हैं तो आप सुबह-सुबह उखीमठ पहुंच जाएंगे और फिर आप उखीमठ से सीधे रांसी गांव पहुंच जाए क्योंकि उखीमठ से रांसी गाँव 20 किलोमीटर दूर है |
पहले दिन आप चाहे तो रांची गांव में भी रूक सकते हैं, यहाँ पर आपको होम स्टे आसानी से मिल जायेंगे और अगले दिन सुबह-सुबह अपना ट्रैक शुरू कर सकते हैं, यदि आप दोपहर तक रांसी गांव पहुंच गए हैं तो आप अतरौली धार से अपनी पैदल यात्रा उसी दिन शुरू कर सकते हैं और शाम तक बंटोली पहुंच जाएं जो की अतरौली धार से लगभग 6 किलोमीटर दूर है|
इस प्रकार आप बंटोली में रात्रि विश्राम करें यहां पर आपको कुछ होमस्टे मिल जाएंगे|
Option -I Direct Dehi/Rishikesh ( if travel by Direct bus to Guptkashi/Ukhimath) to Gondar or bantoli
- ऋषिकेश से उखीमठ – 180 किलोमीटर – समय 6 से 7 घंटे बस किराया रु 600/-
- उखीमठ से रांसी गाँव – 19 किलोमीटर – 1 घंटा – शेयरिंग टैक्सी किराया रु 100/-
- रांसी गाँव से अग्तोलिधार – 1 किलोमीटर – यहाँ भी होम स्टे मिल सकते है |
- अग्तोलिधार से गोंडर गाँव या बन्तोली – 6 किलोमीटर .
Option -II ( if rest in Ranshi Gaon on that day ) 2nd day
- रांसी गाँव से अग्तोलिधार – 1 किलोमीटर – यहाँ भी होम स्टे मिल सकते है |
- अग्तोलिधार से गोंडर गाँव या बन्तोली – 6 किलोमीटर .
अगले दिन सुबह-सुबह आप बंटोली से आगे की अपनी यात्रा शुरू करेंगे| बंटोली में मधु गंगा और मोरखंदा नदियों का संगम होता है |
मध्यमहेश्वर मंदिर की असली यात्रा यहीं से शुरू होती है क्योंकि यहां से अब खड़ी की चढ़ाई शुरू हो जाती है इसलिए आने वाले पड़ाव को आप छोटे-छोटे भागों में बताकर धीरे-धीरे आगे बढ़ते रहें|
अपने साथ लकड़ी की छड़ी साथ लेकर चले क्योंकि यह आपकी यात्रा को बहुत आसान बना देती है| इसके अलावा पानी की बोतल भी साथ में रखें|
इस यात्रा के दौरान ना तो बिल्कुल गर्म कपड़े पहने ना बिल्कुल ठंडे कपड़े ,क्योंकि अगर आपने गर्मी होने पर एकदम से कपड़े उतार दिए तो आगे चलकर आपको काफी परेशानी हो सकती है|
बन्तोली से 10 किलोमीटर की यात्रा के बाद शाम तक आप मध्यमहेश्वर मंदिर पहुंच जाएंगे| यहां पर आप शाम को आरती में शामिल हो, भगवान शिव के दर्शन करें और रात्रि होमस्टे या होटल में आप रुक जाएं|
मध्यमहेश्वर मंदिर मैं आपको आसानी से होटल या होमस्टे मिल जाएंगे हालांकि अभी यहां पर यूनियन वाले आपको नंबर के हिसाब से होमस्टे या होटल दे सकते हैं| यहां पर आपको होटल या होमस्टे हजार से ₹1500 में आसानी से मिल जाएंगे|
- बन्तोली से खाद्दरा – 2 किलोमीटर
- खाद्दरा से नानू – 2 किलोमीटर
- नानू से कनु चट्टी – 3 किलोमीटर
- कानू चट्टी से मध्यमहेश्वर मंदिर- 3 किलोमीटर
- समय -आपकी यात्रा स्पीडओर लगभग 6 से 8 घंटे
अगले दिन आप सुबह-सुबह तीन चार बजे मध्यमहेश्वर मंदिर से बूढ़ा मध्यमहेश्वर के लिए भी जा सकते हैं जो की मध्यमहेश्वर मंदिर 2 किलोमीटर की दूरी पर है| हालांकि अधिकतर यात्री बूढ़ा मध्यमहेश्वर सुबह-सुबह के सूर्योदय की अनोखी छठ की देखने के लिए जाते है जहा से सुबह-सुबह सूरज की किरणें जो चोखाम्भा पर्वत को स्वर्णमय में बना देती हैं|
इस जगह को बूढ़ा मध्यमहेश्वर इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहाँ पर एक छोटा से तालाब है जिसके पास एक छोटा सा मंदिर है जो मध्यमहेश्वर मंदिर से भी पुराना है।
बूढ़ा मध्यमहेश्वर की चोटी पर पहुंचने के बाद, आप एक अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त करते है जहा पर आप अपनी आंखों को पूर्व दिशा में जमाए रखें ,सूर्य की पहली किरणें विशाल चौखम्बा पर्वतमाला को स्पर्श करती हैं ओर उसको सोने का बना देती है |
यह एक ऐसा पला होगा की जो आपकी मध्यमहेश्वर की यात्रा में प्रकृति के इस जादू को निहारते हुए आपको जो अनुभूति और अमूल्य भावनाएँ को अविस्मरणीय बना जाती है , ता उम्र भर के लिए |
- मध्यमहेश्वर से बूढ़ा मध्यमहेश्वर- 2 किलोमीटर
- मध्यमहेश्वर से वापसी – 18 किलोमीटर पैदल यात्रा
- शाम को आप रांसी /उखीमठ में कही भी रुक सकते है |
मध्यमहेश्वर यात्रा करने का सबसे अच्छा समय (Best time to visit Madmaheshwar)
मध्यमहेश्वर ट्रैक करने का सबसे अच्छा समय मध्यमहेश्वर मंदिर के कपाट खुलने से कुछ समय पहले मार्च से जून का होता है | ओर फिर मानसून के बाद का मौसम (सितंबर – अक्टूबर) होता है।
हालाँकि मानसून के मौसम में भी यह ट्रैक किया जा सकता है, लेकिन पहाड़ो में भारी बारिश ओर भू खलन के कारण ट्रैक काफी मुश्किल हो जाता है , इसके अलावा इस दौरान मुख्यतः बादलों के कारण जो ट्रैक के मुख्य आकर्षण को छिपा देते हैं – वह है बुडा मदमहेश्वर से चौखम्बा पर्वत का मनोहर्क दृश्य।
वही सर्दियों में मदमहेश्वर ट्रैकिंग की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि इस दौरान बैंटोली से मध्यमाहेश्वर मंदिर और फिर बुडा मध्यमहेश्वर तक जाने वाले रास्ते अधिक बर्फबारी के कारण बंद रहते है , रास्ते में रकने ओर खाने की सुविधा नहीं रहती | मंदिर भी बंद रहता है और मंदिर के आसपास आपके अपने टेंट के अलावा कोई आवास सुविधा नहीं होगी।
मदमहेश्वर ट्रैक का सबसे बढ़िया समय , तो मध्य-सितंबर से मध्य-अक्टूबर के बीच का रहता है , इस दौरान मौसम बहुत सुहावना होता है। इस समय बुडा मदमहेश्वर से चौखम्बा के शिखर सबसे शानदार दर्शय मिलता है।
वही दूसरी ओर आप इस ट्रैक पर कुछ बर्फ का आनंद भी लेना चाहते है तो मार्च से जून के बीच सबसे अच्छा समय रहता है मगर इस दौरान यात्री की संख्या अधिक रहती है |
दिल्ली से मध्यमहेश्वर ( Delhi to Madhymaheshwer by bus) बस से कैसे पहुंचे?
दिल्ली से बस के माध्यम से आसानी से आप मध्यमहेश्वर जा सकते हैं| इसके लिए आपको कश्मीरी गेट बस अड्डे से गुप्तकाशी वाली उत्तराखंड परिवहन निगम की बस पकड़नी पड़ेगी जिसका किराया लगभग ₹800 है और जो रात्रि 9:00 बजे चलती है और सुबह 9:00 बजे आपको उखीमठ के पास पंहुचा देगी |
दिल्ली से मद्महेश्वर मंदिर की दूरी लगभग 460 किलोमीटर है जिसमे 16 किलोमीटर का पैदल ट्रैक भी शामिल है| दिल्ली से मद्महेश्वर मंदिर की यात्रा में पढ़ने वाले प्रमुख पड़ाव इस प्रकार से हैं:-
दिल्ली- मेरठ – मुज़फ़्फ़रनगर – रूड़की – हरिद्वार – ऋषिकेश – देवप्रयाग – श्रीनगर – रुद्रप्रयाग – अगुस्त्मुनी -उखीमठ -रांसी -मध्यमहेश्वर
मध्यमहेश्वर ट्रेक पर जाने के लिए सरकारी बसों को लेना सबसे अच्छा रहता है। आप उत्तराखंड परिवहन निगम या UPSRTC की बसें ले सकते हैं क्योंकि ये अधिक विश्वसनीय और समय के पाबंद होती हैं।
निजी बसें अक्सर रास्ते में सवारी बिठाने की कोशिश करती हैं, अनावश्यक जगहों पर रुकती हैं जिसके कारण यात्रा का समय काफी बढ़ जाता हैं। इसलिए, सरकारी बसों को ही चुनें, भले ही टिकेट थोड़ा महंगा क्यों न हो । सरकारी बसों में टिकट न मिलने पर ही निजी बसों का विकल्प चुनें।
मध्यमहेश्वर ट्रैक ( Difficultiy of Madhymaheshwar Trek) कितना कठिन है?
मध्यमहेश्वर ट्रैक को आसान से मध्यम श्रेणी के ट्रैक का ट्रेक माना जाता जिसमे आप 3 दिनों में लगभग 6000 फीट की ऊंचाई पर जाकर पूरा करते है |
मध्यमहेश्वर ट्रैक पर चलने में शुरू के 5 किलोमीटर आसन है, ओर आगे बैंटोली से बुढा मध्यमहेश्वर मंदिर तक की खड़ी चढ़ाई है , जिसको आप छोटे छोटे भागो में बांटकर आसानी से पूरा कर सकते है । हलाकि यह पूरा ट्रेक 3 दिन में पूरा हो सकता है |
इस ट्रेक में अगर कोई मुश्किल भाग है, तो वह लोअर बैंटोली से बुडा मदमहेश्वर तक का रास्ता है। ट्रैक के दूसरे दिन लगभग 10 किमी में 5,000 फीट की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। यह एक ही दिन में बहुत अधिक चढ़ाई है। इसके लिए आपको पहले से पैदल चलने की तैयारी करनी चाहिए |
मध्यमहेश्वर ट्रेक के इस छोटा से भाग को आपके शरीर को इस तरह की ऊंचाई हासिल करने के लिए अच्छी तरह से तैयार रहने की आवश्यकता है और यहीं पर मदमहेश्वर ट्रैक के लिए फिटनेस महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
मध्यमहेश्वर ट्रेक कितना लंबा है?
वैसे तो मद्महेश्वर मंदिर का ट्रैक 16 किलोमीटर लंबा है लेकिन इस ट्रैक में अंतिम 6.5 किलोमीटर का ट्रैक काफी मुश्किल और खड़ी चढ़ाई वाला है|
इस ट्रैक को पूरा करने में आपको तीन दिन लग जाते हैं, जिसमें से बंटोली से मध्यमहेश्वर मंदिर तक का ट्रैक पूरा करने के लिए आपको पहले से ही तैयारी करनी चाहिए|
इस प्रकार इस पूरे ट्रैक को पूरा करने के लिए आपको तीन दिन में 32 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है( आना और जाना शामिल) , इसलिए आपको शारीरिक रूप से इसकी तैयारी अच्छी तरह से कर लेनी चाहिए और कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे की:-
- मध्यमहेश्वर ट्रैक पर जाने से 6 महीने पहले प्रतिदिन कम से कम 5 किलोमीटर पैदल चलने का लक्ष्य रखें|
- आप चाहे तो इस दौरान साइकिल चलाने की प्रैक्टिस भी कर सकते हैं |
- मद्महेश्वर ट्रैक पर आपको एक दिन में 10 से 15 किलोमीटर पैदल भी चलना पड़ सकता है इसी प्रकार इस ट्रैक पर जाने से 3 महीने पहले कम से कम एक बारी में 10 से 12 किलोमीटर पैदल चलने की प्रैक्टिस करें|
- ट्रैक पर जाने से पहले अपने शारीरिक स्वास्थ्य की अच्छी तरह से जांच कर लें|
- मध्यमहेश्वर ट्रैक हमेशा किसी अच्छी ट्रैकिंग कंपनी से या किसी गाइड के मार्गदर्शन में ही पूरा करें इससे न केवल आपको ट्रैक में सुविधा रहती है बल्कि किसी प्रकार की कोई दुर्घटना होने पर लोकल सहायता आपको बहुत आसानी से मिल जाती है|
ऊखीमठ से रांसी गांव कैसे पहुंचे?
उखीमठ से रांसी गाँव की दूरी 20 किलोमीटर है जिसको आप शेयरिंग टैक्सी से आसानी से 1 घंटे में पूरा कर सकते हैं| रांसी गांव जाने के लिए आपको सबसे पहले ऋषिकेश से उखीमठ तक बस या कब से आना होगा और फिर वहां से आप आसानी से ₹100 की शेयरिंग टैक्सी से रांची गांव पहुंच सकते हैं|
रांची गांव से 1 किलोमीटर पर अग्तोलिधार है जहां पर अब गाड़ी जाती है और यही सही मध्यमहेश्वर का पैदलट्रैक शुरू होता है|
मध्यमहेश्वर मंदिर ट्रैक के लिए कुछ बातो का रखे ध्यान :-
- छोटी से प्राथमिक चिकित्सा किट साथ रखें: इसमें सभी सामान्य दवाइयां रखें।
- पहचान पत्र हमेशा साथ रखें: ट्रैक पर जाते समय हमेशा अपना पहचान पत्र साथ रखें।
- ट्रेक से तीन महीना पहले फिटनेस कार्यक्रम शुरू करें: मध्यम से कठिन ट्रेक के लिए अपने शरीर को तैयार करने के लिए ट्रैक से तीन महीने पहले फिटनेस कार्यक्रम शुरू करें।
- ट्रेक शुरू करने से पहले मौसम स्थिति : ट्रैक पर जाने से पहले 15 दिनों का मौसम का अपडेट चेक करे ले |
- ट्रेक गाइड: यात्रा से पहले मदमहेश्वर मंदिर ट्रैक गाइड को अच्छी तरह से पढ़ लें। इससे आपको रास्ते और चुनौतियों के बारे में जानकारी होगी।
- पानी पीते रहें (हाइड्रेटेड रहें): ट्रैक के दौरान खुद को डिहाइड्रेट होने से बचाने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें।
- आरामदायक जूते पहनें: ऐसे जूते पहनें जो ट्रेकिंग के लिए उपयुक्त हों जिनमें अच्छे ग्रिप वाले तलवे हों।
- ट्रेवल स्ट्रीक :- एक बढ़िया लकड़ी की डंडी अपने साथ हमेशा रखे यह आपके घुटनों पर बोझ कम करके आपको चढ़ने में काफी मदद करती है |
- गरम कपडे :– यहाँ मौसम कब बदल जाए पता नहीं , गरम कपडे अपने साथ रखे जैस :-गर्म जैकेट,दस्ताने,टोपी,कान ढकने के लिए मफलर (वैकल्पिक)
- ट्रेकिंग गियर:आरामदायक ट्रेकिंग जूते,टॉर्च (हेडलैंप होना बेहतर है) ,पावर बैंक, लीटर की पानी की बोतल
- पर्याप्त नकदी
क्या मुझे मद्महेश्वर ट्रैक के लिए परमिट लेने की आवश्यकता है?
नहीं ,मद्महेश्वर ट्रैक के लिए आपको किसी प्रकार की परमिट की आवश्यकता नहीं है, पंच केदार की यात्रा बिना किसी परमिट के कर सकते हैं|
मध्यमहेश्वर ट्रैक में मुझे रहने और खाने-पीने की सुविधा मिल जाएगी क्या?
मध्यमेश्वर ट्रैक में आपको रांसी गांव, गोंडर गांव , लोअर बंटोली, और ऊपर मध्यमहेश्वर धाम में रहने और खाने की सुविधा आसानी से मिल जाएगी, मगर यह सुविधा केवल यात्रा के दौरान ही रहती है और बाकी समय रहने और खाने के साधन काफी कम हो जाते हैं|
क्या मध्यमहेश्वर ट्रक के दौरान मोबाइल और एटीएम की सुविधा उपलब्ध है ?
हां , मध्यमहेश्वर ट्रैक के दौरान लगभग सभी मोबाइल कंपनियों के नेटवर्क उपलब्ध रहते हैं हालांकि कैश निकालने के लिए आपको एटीएम की सुविधा उखीमठ में ही मिलेगी इसलिए यात्रा के दौरान आपको अतिरिक्त कैश लेकर चलना चाहिए|
क्या मुझे मध्यमहेश्वर ट्रैक के दौरान गाइड की आवश्यकता है?
वैसे तो मध्यमेश्वर ट्रैक एक आसान ट्रैक है और यात्रा के दौरान काफी यात्री मध्यमहेश्वर धाम की यात्रा करते हैं ,इसलिए यात्रा मार्ग में भटकने की या अन्य कोई परेशानी की संभावना कम रहती है| हालांकि आप अपनी सुविधा के लिए रांसी गांव से गाइड ले सकते हैं, इसके अलावा यदि आपके पास समान ( आपका बैग) अधिक है तो लोअर बन्तोली के बाद की 7 किलोमीटर की चढ़ाई पर 5 किलो का सामान भी आपको 50 किलो के बराबर लगेगा इसलिए आप अपने सामान के लिए चाहे तो किसी को अपने साथ लेकर चल सकते हैं|
क्या मैं अपनी गाड़ी या मोटरसाइकिल से मद्महेश्वर ट्रैक कर सकता हूं?
हां आप अपनी गाड़ी या मोटरसाइकिल से मद्महेश्वर धाम का ट्रैक कर सकते हैं लेकिन सड़क मार्ग से की सुविधा केवल अग्तोलिधार धार तक ही है जो की रांसी गाँव से 1 किलोमीटर दूरी पर है , यहां पर आप अपनी गाड़ी या मोटरसाइकिल को पार्क कर आगे की 16 किलोमीटर की यात्रा पैदल कर सकते हैं|