फूलों की घाटी कैसे पहुंचे

यदि आप इस साल फूलों की घाटी उत्तराखंड जाने की योजना बना रहे हैं यहां पर हम आपको विस्तार से बताएंगे कि फूलों की घाटी कैसे पहुंचे और कब जाये ,फूलों की घाटी जाने के लिए कौन-कौन से साधन है और आपके लिए सबसे बढ़िया साधन कौन सा रहेगा|

इसके अलावा हम यह भी जानेंगे कि फूलों की घाटी क्यों प्रसिद्ध है, फूलों की घाटी की यात्रा के लिए आपको कितने दिन का समय चाहिए|

फूलों की घाटी की यात्रा के दौरान आप कहां पर ठहरे हैं अपने साथ आप क्या-क्या सामान ले आए | परमिट की क्या व्यवस्था है यात्रा के कौन-कौन से पड़ाव हैं ,फूलों की घाटी की यात्रा के दौरान किन बातों का ध्यान रखें और फूलों की घाटी की यात्रा के दौरान आप आसपास के किन अन्य धार्मिक स्थलों की भी यात्रा कर सकते हैं |

फूलों की घाटी कहां है?

फूलों की घाटी भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक खूबसूरत घाटी है। यह घाटी अपनी प्राकृतिक सुंदरता और विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे फूलों के लिए प्रसिद्ध है। यह घाटी हिमालय के पहाड़ों में समुद्र तल से लगभग 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।यहां 300 से अधिक प्रकार के फूल पाए जाते हैं।

इनमें से कई फूल दुर्लभ और खूबसूरत होते हैं। फूलों की घाटी घूमने का सबसे अच्छा समय जुलाई से सितंबर तक होता है। इस दौरान यहां सबसे अधिक फूल खिले होते हैं। फूलों के अलावा यहां कई दुर्लभ पक्षी और जानवर भी पाए जाते हैं।

कैसे पहुंचें: फूलों की घाटी पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले देहरादून या ऋषिकेश आना होगा। यहां से आप जीप या टैक्सी के माध्यम से गोविंदघाट पहुंच सकते हैं। गोविंदघाट से पैदल चलकर या घोड़े पर सवार होकर फूलों की घाटी पहुंचा जा सकता है। इस बारे में हम आगे आपको विस्तार से बताएंगे |

फूलों की घाटी का रोड मैप:-

rout map for valley of flowers

दिल्ली>> मेरठ>> मुजफ्फरनगर>> रुड़की>> हरिद्वार>> ऋषिकेश>> देवप्रयाग>> श्रीनगर>> धारी देवी>> रुद्रप्रयाग>>गोचर >> करणप्रयाग>> नंदप्रयाग >> चमोली>> जोशीमठ>> गोविंद घाट>> फुलाना>> घंगारिया—-फूलों की घाटी

फूलों की घाटी (How to reach )कैसे पहुंचे |

फूलों की घाटी उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है फूलों की घाटी पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले अपने शहर से हरिद्वार या ऋषिकेश आना होगा|

हरिद्वार से फूलों की घाटी की दूरी लगभग 310 किलोमीटर और ऋषिकेश से फूलों की घाटी की दूरी लगभग 285 किलोमीटर है |

बस के माध्यम से ऋषिकेश से गोविंद घाट तक पहुंचाने के लिए आपको कम से कम 7 से 8 घंटे का समय लगेगा जो की ऋषिकेश से लगभग 265 किलोमीटर दूर है|

फूलों की घाटी पहुंचने के तरीके हैं:-

  • हवाई मार्ग से:- फूलों की घाटी पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून में जॉली ग्रांट है | आप अपने शहर से हवाई मार्ग से देहरादून की जॉली ग्रांट हवाई अड्डे पर पहुंच सकते हैं| उसके पश्चात सड़क मार्ग से 350 किलोमीटर की दूरी तय कर आप दो से तीन दिन में फूलों की घाटी की यात्रा कर वापस अपने शहर आ सकते हैं| देहरादून के जॉली ग्रांट एयरपोर्ट से आपको जोशीमठ गोविंद घाट के लिए आसानी से टैक्सी मिल जाएगी मगर बस से जाने के लिए आपको हरिद्वार या ऋषिकेश आना होगा जहां से आपको जोशीमतिया गोविंद घाट के लिए बहुत सारे यातायात के साधन आसानी से मिल जाएंगे जो कि लगभग 10 से 11 घंटे में आपको गोविंद घाट पहुंचा
  • रेल मार्ग से:- फूलों की घाटी के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार और ऋषिकेश ही है और उसके पश्चात आगे की यात्रा आपको सड़क मार्ग से की करनी होगी|
  • सड़क मार्ग से:- फूलों की घाटी पहुंचने का सबसे प्रसिद्ध साधन सड़क मार्ग से यात्रा करना है आपको अपने शहर हवाई जहाज है ट्रेन से सबसे नजदीकी शहर ऋषिकेश पहुंचना है फिर वहां से आप नीचे बताएंगे किसी भी साधन से 10 से 12 घंटे में गोविंद घाट पहुंच सकते हैं जो की ऋषिकेश से लगभग 265 किलोमीटर दूर है और फिर गोविंद घाट से लगभग 19 किलोमीटर की दो दिन की यात्रा के बाद आप फूलों की घाटी आसानी से पहुंच सकते हैं|
  • बस के माध्यम से
  • बुकिंग टैक्सी के माध्यम से
  • शेयरिंग टैक्सी के माध्यम से
  • अपनी गाड़ी की माध्यम से
  • मोटरसाइकिल के माध्यम से
  • हेलीकॉप्टर के माध्यम से

रेल से फूलों की घाटी कैसे पहुंचे ( Valley of Flower by Train) :-

ट्रेन से फूलों की घाटी पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो की गोविंद घाट से 271 किलोमीटर की दूरी पर है |

फिर ऋषिकेश से आप गोविंद घाट सड़क मार्ग से बस के माध्यम से 10 से 11 घंटे में पहुंच सकते हैं और फिर आगे की 19 किलोमीटर की फूलों की घाटी की यात्रा है जिसको 2 दिन में पैदल तय कर आप फूलों की घाटी पहुंच सकते हैं |

देश के विभिन्न शहरों से हरिद्वार ऋषिकेश के लिए कुछ ट्रेन सेवाएं उपलब्ध हैं हालांकि आप चाहे तो अपने शहर से ट्रेन के माध्यम से दिल्ली पहुंचे और फिर दिल्ली से ऋषिकेश हरिद्वार और गोविंद घाट होते हुए दो से तीन दिन में फूलों की घाटी आराम से पहुंच सकते हैं|

दिल्ली से ऋषिकेश के लिए काफी सारी ट्रेनें चलती हैं जिनका किराया लगभग ₹300 से लेकर ₹3000 तक है जिनका चयन आप अपनी सुविधा के अनुसार कर सकते हैं|


दिल्ली से ऋषिकेश तक कुल 15 ट्रेनें चलती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख ट्रेनें इस प्रकार हैं:

  • योग एक्सप्रेस
  • उदयपुर सिटी – योग नगरी ऋषिकेश एक्सप्रेस
  • कोचुवेली – योग नगरी ऋषिकेश एक्सप्रेस
  • नई दिल्ली – देहरादून शताब्दी एक्सप्रेस
  • मसूरी एक्सप्रेस
  • बन्दे भारत एक्सप्रेस
  • उज्जैन एक्सप्रेस

हवाई मार्ग द्वारा फूलो की घाटी ( by Air ) कैसे पहुंचे

फूलों की घाटी के लिए हवाई मार्ग से पहुंचने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून का जॉलीग्रांट हवाई अड्डा है ओर भारत के प्रमुख शहरों से देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे के लिए सभी प्रमुख हवाई जहाज कंपनी जैसे एयर इंडिया, इंडिगो द्वारा हवाई सेवा उपलब्ध है|

फिर देहरादून से गोविंद घाट जिसकी दूरी लगभग 315 किलोमीटर है आप सड़क मार्ग से बस या शेयरिंग टैक्सी से 10 से 11 घंटे में पहुंच सकते हैं|

कोशिश करें कि आप हवाई मार्ग से देहरादून हवाई अड्डे में सुबह 5:00 से 7:00 बजे के बीच गर्मियों के मौसम में और 6:00 से 8:00 बजे के बीच सर्दियों के मौसम में पहुंच जाए ताकि आप आगे की यात्रा पूरी कर शाम तक गोविंद घाट पहुंचे|

जब आप अपने शहर से देहरादून के हवाई अड्डे पर उतरते हैं तो हवाई अड्डे से ऋषिकेश जाने के लिए आपको काफी सारी बसें मिल जाती हैं लेकिन यह बसें लगभग एक से डेढ़ घंटे के अंतराल पर चलती है|

इसलिए आपके लिए उचित होगा कि आप शेयरिंग टैक्सी करके ऋषिकेश पहुंच जाए जो की देहरादून के हवाई अड्डे से लगभग 20 किलोमीटर दूर है|

आप चाहे तो हवाई अड्डे से बाहर आ जाएं और वहां पर आपको शेयरिंग ऑटो भी मिल जाएंगे क्योंकि शेयरिंग ऑटो को हवाई अड्डे के अंदर जाने की अनुमति नहीं है यह शेयरिंग ऑटो भी आपको आसानी से ऋषिकेश पहुंचा देंगे|

इसके अलावा आप चाहे तो एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर देहरादून ऋषिकेश हाईवे पर बाहर आ सकते हैं और यहां पर भी आपको लगातार देहरादून ऋषिकेश जाने वाली सरकारी और प्राइवेट बसें आसानी से मिल जाती हैं|

देहरादून हवाई अड्डे से हरिद्वार या ऋषिकेश आने पर आपको फूलों की घाटी तक जाने के लिए बहुत सारे साधन मिल जाते हैं जिनमें से प्रमुख उत्तराखंड परिवहन निगम की बसें शेयरिंग टैक्सी या बुकिंग टैक्सी है|

हवाई मार्ग से फूलों की घाटी पहुंचने का दूसरा साधन अपने शहर से नई दिल्ली हवाई अड्डे पहुंचना है| भारत के लगभग सभी शहरों से नई दिल्ली के लिए हवाई सेवाएं उपलब्ध हैं|

आप अपने शहर से नई दिल्ली कभी भी पहुंच सकते हैं और फिर नई दिल्ली से आपको आसानी से हरिद्वार या ऋषिकेश के लिए बस मिल जाती है|

यदि आप नई दिल्ली से आगे की यात्रा ट्रेन से करना चाहते हैं तो आप दिल्ली हवाई अड्डे से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंच जाए जो कि दिल्ली मेट्रो से आपस में कनेक्ट है, इसके अलावा यदि आपकी ट्रेन पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से है तो यहां पर भी आपको चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन पर उतरकर आसानी से पहुंच सकते हैं |

नई दिल्ली से हरिद्वार के लिए उपलब्ध ट्रेनों के बारे में हमने आपको पहले ही ऊपर बता दिया है आप अपनी सुविधा के अनुसार इनमें से किसी भी ट्रेन से हरिद्वार पहुंच जाए|

जोशीमठ से 20 किलोमीटर पर गोविन्द घाट 4 किलोमीटर पर पुलना तक शेयरिंग टैक्सी और आगे 18 किलोमीटर का पैदल ट्रेक कर आप फूलो की घाटी पहुच सकते है |

हवाई मार्ग से फूलों की घाटी पहुंचने का एक और साधन है की आप देहरादून हवाई अड्डे से उत्तराखंड सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई उड़ान सेवा के तहत छोटे जहाज के माध्यम से गोचर हेलीपैड तक हवाई मार्ग से पहुंच सकते हैं जो की 250 किलोमीटर की दूरी को मात्र 40 मिनट में आपको गोचर तक पहुंचा देगा जिसका किराया लगभग ₹4000 है और फिर गोचर से आप आसानी से गोविन्द घाट तक सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं|

गोचर से गोविंद घाट की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है जिसको आप बस या शेयरिंग टैक्सी से 3 घंटे में आसानी से पूरा कर सकते हैं|

हेलीकाप्टर द्वारा फूलो की घाटी ( Valley of Flowers by Helicopter) कैसे पहुंचे

  • देहरादून से घांघरिया :- फूलो की घाटी हेलीकॉप्टर से पहुंचने का पहला साधन है देहरादून से घांघरिया तक हेलीकॉप्टर की यात्रा| इसके लिए सरकार ने किसी एजेंसी को अधिकृत नहीं किया है लेकिन अधिकतर प्राइवेट टूर ऑपरेटर हेलीकॉप्टर की सेवा प्रदान करते हैं जिसका किराया रु 50,000 से एक लाख तक हो सकता है| यह हेलीकॉप्टर सेवा देहरादून के सहस्त्रधारा से आपको 50 मिनट में घांघरिया हेलीपैड तक पहुंचा देगी फिर घांघरिया से 4 किलोमीटर की पैदल यात्रा से आप फूलो की घाटी पहुच सकते है और शाम तक आपको वापस भी आना है मगर यह एक बहुत ही महंगा साधन है , केवल बड़े ग्रुप में ही इसमें फायदा है |
  •  गोविंद घाट से घांघरिया तक:- हर साल उत्तराखंड सरकार द्वारा गोविंद घाट से घांघरिया ( 10 किलोमीटर की दूरी ) तक यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर की सुविधा दी जाती है | पिछले साल गोविंद घाट से घांघरिया गंगोरिया तक का एक तरफ का किराया लगभग 2900 रुपए था जो की इस साल रु 2780 है , आप चाहे तो एक तरफ की हेलीकॉप्टर यात्रा भी बुक कर सकते हैं| गोविंद घाट से हेलीकॉप्टर आपको 5 से 7 मिनट में घांघरिया पहुंचा देगा और फिर वहां से आपको, 4 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर फूलो की घाटी जा सकते इससे आपकी 18 किलोमीटर की कठिन यात्रा बच सकती है | गोविंद घाट में ऑफलाइन हेलीकॉप्टर बुकिंग की सुविधा भी उपलब्ध रहती है|

बस से फूलो की घाटी  कैसे पहुंचे | Rishikesh to  Valley of Flowers by bus

फूलो की घाटी पहुंचने का सबसे आसान तरीका बस के माध्यम से है | आप अपने शहर से ऋषिकेश आकर फिर ऋषिकेश के नटराज चौक या मुख्य बस स्टेशन से उत्तराखंड परिवहन निगम की बस या अन्य कोई प्राइवेट बस पकड़ कर 8 से 9 घंटे में जोशीमठ/गोविन्द घाट पहुंच सकते हैं|

ऋषिकेश से जोशीमठ या बद्रीनाथ के लिए बस सुबह 9:00 बजे से पहले ही मिलती है, यात्रा सीजन के दौरान उत्तराखंड परिवार निगम की बस आप ऑनलाइन भी बुक कर सकते हैं| जोशीमठ पहुंचने के बाद आप शेयरिंग टैक्सी से गोविंदघाट ( 20 किलोमीटर ) और पुलना गांव ( 5 किलोमीटर ) तक पहुंच सकते हैं और फिर पुलना गांव से घांघरिया से होकर फूलो की घाटी की पैदल यात्रा शुरू होती है |

यदि आपको हरिद्वार या ऋषिकेश से बद्रीनाथ की सीधी बस मिलती है तो आप गोविन्द घाट उतर सकते है |

ऋषिकेश से गोविन्द घाट  बस ( Bus Fare/Price) का किराया –

ऋषिकेश से घोविद घाट के लिए उत्तराखंड परिवहन निगम का बस का किराया ₹700 तक है वहीं प्राइवेट बस का किराया आपको ₹900 तक है तो बस गोविन्द घाट तक 9 से 10 घंटे में में आपको पंहुचा देगी |

टैक्सी द्वारा  फूलो की घाटी  कैसे पहुंचे | Rishikesh to GovindGhat by taxi

ऋषिकेश से फूलो की घाटी जाने के लिए आप फुल टैक्सी बुक करवा कर जोशीमठ या गोविन्द घाट तक पहुँच सकते हैं | ऋषिकेश के मुख्य बस स्टैंड से आप जोशीमठ के लिए शेयर टैक्सी भी ले सकते है जिसका किराया रु 1200 तक रहता है जो कि आपको 10 से 12 घंटे में जोशीमठ या गोविंद घाट पहुंचा देगी|

टैक्सी बुकिंग द्वारा ऋषिकेश से फूलो की घाटी का किराया | Rishikesh to valley of flowers taxi fare


ऋषिकेश से जोशीमठ-फूलो की घाटी जाने का माध्यम टैक्सी भी है अगर आप तीन से चार व्यक्ति हैं तो आप फूलो की घाटी के लिए ऋषिकेश से टैक्सी बुक कर सकते हैं, वैसे तो आप ऋषिकेश पहुंच कर टैक्सी स्टैंड से टैक्सी बुक कर सकते हैं |

ऋषिकेश से जोशीमठ/गोविन्द घाट का टैक्सी का किराया यात्रा सीजन में 6000 से लेकर 8000 के बीच में रहता है| आप चाहे तो बड़ी वेबसाइटों से एडवांस में भी टैक्सी बुक कर सकते हैं|

शेयर टैक्सी द्वारा ऋषिकेश से फूलो की घाटी का किराया | Share taxi seat price from Rishikesh to Valley of flowers :


ऋषिकेश से जोशीमठ /गोविन्शेद घाट शेयरिंग टैक्सी का किराया लगभग ₹1000 से ₹1500 तक है |



अपनी गाड़ी से फूलों की घाटी कैसे पहुंचे ( Valley of Flowers by Car)

फूलों की घाटी की यात्रा करने के लिए एक आरामदायक साधन अपनी गाड़ी के माध्यम से यात्रा करना है| सबसे पहले आप अपने शहर से अपनी गाड़ी से ऋषिकेश तक आए रात्रि शाम के 265 किलोमीटर की यात्रा शुरू करें और आप शाम तक गोविंद घाट तक पहुंच जाएंगे|

ऋषिकेश से आगे यात्रा मार्ग में आपको सबसे पहले दे प्रयाग फिर श्रीनगर गढ़वाल धारी देवी मंदिर रुद्रप्रयाग करणप्रयाग चमोली जोशीमठ होते हुए गोविंद घाट तक पहुंच जाएंगे|

अपनी गाड़ी से फूलों की घाटी यात्रा केवल आप तभी करें जब आपको पहाड़ों में गाड़ी चलाने का अच्छा खासा अनुभव है क्योंकि फूलों की घाटी में जाने का सबसे अच्छा समय मध्य जुलाई से लेकर मध्य अगस्त तक रहता है और इस दौरान ही पहाड़ों में सबसे अधिक भूखलन होता है इसलिए इस मौसम में आप अपनी गाड़ी से जाने से बच्चे|

हालांकि आप 1 जून से 30 जून तक और सितंबर से अक्टूबर तक अपनी गाड़ी से आसानी से फूलों की घाटी जा सकते हैं|

मोटरसाइकिल के माध्यम से फूल की घाटी की यात्रा कैसे करें

फूलों की घाटी की यात्रा करने का एक सबसे प्रचलित साधन मोटरसाइकिल के माध्यम से भी है आप भी फूलो की घाटी की यात्रा मोटरसाइकिल के माध्यम से कर सकते हैं जो कि आपको हरिद्वार ऋषिकेश से मोटरसाइकिल आसानी से किराए पर मिल जाती है |

मोटरसाइकिल से फूलों की घाटी यात्रा करने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि आपको पहाड़ों में मोटरसाइकिल चलाने का अनुभव होना चाहिए और खास का बरसात के समय में आपको विशेष सावधानी रखनी चाहिए| मोटरसाइकिल के माध्यम से आप गोविंद घाट तक या उससे आगे पुलना तक जा सकते हैं जहां पर पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है|

पहाड़ों में अपनी गाड़ियां मोटरसाइकिल से यात्रा करते समय से बात की विशेष ध्यान रखें कि पेट्रोल पंपों की संख्या सीमित होती है इसलिए हमेशा अपनी गाड़ी का पेट्रोल की टंकी फुल करा कर चले |

ऋषिकेश से फूलों की घाटी तक एक दिन का मोटरसाइकिल या स्कूटी का किराया लगभग 1500 से 2000 के बीच रहता है इस प्रकार से कम से कम 5 दिन तो आपको मोटरसाइकिल किराए पर चाहिए ही इसके अलावा आपका 2000 से ₹3000 तक का पेट्रोल कभी खर्चा होगा|

ATM ,Petrol pump during valley of flower trek

फूलों की घाटी की खोज: एक रोमांचक कहानी :-

फूलों की घाटी को राजा इंद्र का बगीचा भी कहा जाता है, जहां हजारों प्रकार के रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस खूबसूरत घाटी की खोज कैसे हुई?

खोज की कहानी:

फूलों की घाटी की खोज का श्रेय ब्रिटिश खोजी दल को जाता है। 1931 में, एक ब्रिटिश पर्वतारोही और वनस्पतिशास्त्री, फ्रैंक स्मिथ और उनकी पत्नी एलिज़ाबेथ स्मिथ हिमालय की पहाड़ियों में एक नए रास्ते की तलाश कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें एक ऐसी घाटी मिली जहां हर तरफ रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे। यह नज़ारा इतना खूबसूरत था कि उन्होंने इसे ‘फूलों की घाटी’ नाम दिया।

valley of flower full treck guide in hindi



फूलों की घाटी की यात्रा का विवरण( Itinerary of valley of flowers)

फूलों की घाटी की यात्रा के लिए आपको कम से कम 5 से 6 दिन का समय चाहिए| फूलों की घाटी यात्रा की योजना आप इस प्रकार से बना सकते हैं हालांकि आप अपनी सुविधा अनुसार इस यात्रा को एक-दो दिन पहले या एक-दो दिन बाद में भी पूरा कर सकते हैं| यह यात्रा का एक अनुमानित विवरण केवल आपकी सुविधा के लिए दिया गया है:

पहला दिन ( Day-I) :- पहले दिन आप अपने शहर से हरिद्वार ऋषि की जहां भी हो जाकर विश्राम करें और अगले दिन गोविंद घाट की यात्रा की शुरुआत करें जो की ऋषिकेश से लगभग 265 किलोमीटर दूर है|

दूसरा दिन ( Day-II) :- इस दिन आप ऋषिकेश से अपनी यात्रा शुरू करें आप बस या टैक्सी माध्यम से यात्रा कर रहे हो ऊपर बताए गए यात्रा के पड़ाव से होकर आप शाम तक गोविंद घाट तक पहुंच जाए| गोविंद घाट में रुकने के लिए गोविंद घाट गुरुद्वारा भी एक साधन है |

आप चाहे तो इस दिन जोशीमठ में भी रख सकते हैं जो की गोविंद घाट से 20 किलोमीटर पहले है और यहां पर ठहरने के लिए आपको काफी सारे साधन मिल जाएंगे और फिर मैं आपको गोविंद घाट की 20 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर सकते हैं| गोविंद घाट में गुरुद्वारा के अलावा आपको होटल दो से ₹3000 में मिल जाएंगे इसके अलावा जोशीमठ में आप गढ़वाल विकास मंडल का गेस्ट हाउस भी बुक कर सकते हैं|

तीसरा दिन ( Day-III) :- गोविंद घाट से फूलों की घाटी की कुल दूरी लगभग 38 किलोमीटर (76 किलोमीटर दोनों तरफ ) के आसपास है जिसमें की 5 किलोमीटर की दूरी आप शेयरिंग टैक्सी तक और फिर बाकी की दूरी आपको पैदल तय करनी है|

तो गोविंदघाट से सुबह-सुबह आप शेयरिंग टैक्सी से फूलना तक आ जाए जिसका टैक्सी का किराया लगभग ₹50 रहता है| उसके पश्चात पुलना से घांघरिया तक की कुल 10 किलोमीटर को दूरी को आपको शाम तक पैदल ही तय करना है | पुलना ही वह अंतिम जगह है जहा तक सड़क मार्ग से गाड़ी से आने की सुविधा है |

पुलना से 2 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटा सा मार्केट जिसको जंगल चड्डी भी कहते हैं वह आता है और उसके बाद 5 किलोमीटर की यात्रा के बाद आपको गुलदार गांव मिलेगा जहां से फिर खड़ी चढ़ाई शुरू हो जाती है|

आगे जाने पर आपको भी ब्युन्दर गाँव मिलेगा जहां पर लक्ष्मण गंगा और पुष्प गंगा का संगम होता है जो कि आगे जाकर गोविंद घाट में अलकनंदा से मिल जाती है|

इस पूरे 10 किलोमीटर की यात्रा में आपको लगभग 5 किलोमीटर की यात्रा लगभग बिलकुल खड़ी चढ़ाई वाली होती है रास्ते में खाने-पीने के दुकान आपको बहुत कम मेलेगी इसलिए जहां पर भी आपको पहले खाने का कोई साधन मिले तो खाना खा ले|

पुरी यात्रा को धीरे-धीरे पूरा करें और कोशिश करें कि आप शाम तक घांघरिया तक पहुंच जाए | आप चाहे तो इस 10 किलोमीटर की यात्रा के लिए घोड़े भी किराए पर ले सकते हैं और इस 10 किलोमीटर की मुश्किल यात्रा को घोड़े के माध्यम से भी पूरा कर सकते हैं जिसका किराया समय-समय पर उत्तराखंड सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है जो कि इस प्रकार से है वर्ष -2024:-

शाम तक आप घांघरिया पहुंच जाएंगे जहां पर रुकने के लिए आपके पास मुख्य तौर पर तीन चार साधन है जिनमें सबसे पहले साधन जो कि अधिकतर तीर्थ यात्री रुकने के लिए प्रयोग करते हैं वह है गोविंद धाम गुरुद्वारा| एक गुरुद्वारा गोविंद घाट में है और उसी प्रकार का गुरुद्वारा भी घांघरिया मैं भी है|

इसलिए इस जगह को गोविंद धाम भी कहते हैं| इस गुरुद्वारे में आपको रुकने के खाने पीने के और मोबाइल चार्ज करने की मूलभूत सुविधाएं मिल जाएंगे|

इसके अलावा आप घांघरिया गढ़वाल विकास मंडल निगम का गेस्ट हाउस भी बुक कर सकते हैं जिसका एक रात्रि का किराया लगभग 2500 रुपए रहता है इसकी बुकिंग लगभग आप ऑनलाइन कर सकते हैं|

घांघरिया वही होटल या गेस्ट हाउस की बात करें तो वह भी आपको ढाई हजार रुपए से लेकर ₹3000 तक मिल जाएगा लेकिन यहां पर ज्यादा सुविधाएं नहीं होती मगर खाना पीने की सुविधा ठीक-ठाक रहती है| यहां पर हमेशा मौसम ठंडा रहता है इसलिए अपने साथ हमेशा गर्म कपड़े लेकर चलें|

चौथा दिन ( Day-4) :- इस दिन आप सुबह-सुबह घांघरिया से फूलों की घाटी यात्रा शुरू करें| फूलों की घाटी की यात्रा के लिए आपको परमिट की आवश्यकता होगी जिसकी फीस लगभग 200 रुपए और विदेशियों के लिए लगभग ₹600 रहती है परमिट आपको यात्रा शुरू होने से पहले फूलों की घाटी के गेट पर वन विभाग के कार्यालय से लेना होगा जिसके लिए आपको एक अपनी फोटो आईडी देनी होगी|

फूलों की घाटी में यात्रा करने के लिए सुबह 7:00 से 12:00 तक ही अनुमति दी जाती है 12:00 के बाद आप फूलों की घाटी की यात्रा शुरू नहीं कर सकते और शाम को 5:00 से पहले आपको वापस आना होगा|

फूलों की घाटी की यात्रा लगभग 4 किलोमीटर की है इस यात्रा में आपको कई सारे पड़ाव मिलेंगे इस यात्रा का आधा भाग लगभग खड़ी चढ़ाई और मुश्किल वाला भी है मार्ग में आपको कहीं झरनों को पार करके जाना होगा |

फूलों की घाटी में हजारों किस्म के फूल पौधे पत्तियां वनस्पति वन्य जीव आपको मिलेंगे| इस घाटी में पुष्पावती नदी बहती है जो कि इस घाटी को दो भागों में बनती है आगे जाकर यह नदी बियोंडर गांव में लक्ष्मण गंगा में मिल जाती है|

फूलों की घाटी की यात्रा के दौरान आपको खाने पीने की कोई दुकान नहीं मिलेगी क्योंकि इस घाटी में खाने पीने की दुकान लगाने की अनुमति नहीं है और ना ही कैंप लगाने और किसी प्रकार के निर्माण की या रुकने की कोई अनुमति है|

फूलों की घाटी की यात्रा के शुरू में ही आपको पानी की सुविधा मिलेगी इसीलिए अपने साथ पानी लेकर चलें और साथ में खाने पीने का सामान भी लेकर चले|

फूलों की घाटी की चार किलोमीटर की यात्रा को आप लगभग 2 से 3 घंटे में पूरी कर शाम तक वापस आ जाएं कोशिश करें की यात्रा सुबह-सुबह शुरू करें क्योंकि यह यात्रा अधिकतर जुलाई और अगस्त के महीने में अपने पूरे चरण पर होती है और इस दौरान अक्सर दोपहर के बाद बारिश शुरू होती है|

फूलों की घाटी की 4 किलोमीटर की यात्रा कहीं पड़ाव पर मुश्किल होती है इसलिए आप चाहे तो इसके लिए पालकी या दांडी कर सकते हैं जिसका रेट हमने ऊपर आपको बताया है इस यात्रा के दौरान घोड़े से यात्रा की अनुमति नहीं है|

फूलों की घाटी की यात्रा के दौरान कोशिश करें कि आप किसी गाइड को साथ में लेकर चलें क्योंकि अपने फूलों के सीजन में इतने अधिक फूल होते हैं की कई बड़ी रास्ता मिलने में थोड़ी कठिनाई हो सकती है इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से भी आवश्यक है कि कम से कम दो से तीन व्यक्ति समूह में यात्रा करें|

फूलों की घाटी की यात्रा शुरू करने से पहले आपको किन-किन बातों का ध्यान रखना है और अपने साथ क्या-क्या सामान लेकर जाना है इस बारे में है हम आगे विस्तार से आपको बताएंगे|

यदि आप फूलों की घाटी की यात्रा सुबह 7:00 बजे स्टार्ट करते हैं तो 1:00 बजे तक आप घंगरिया से अपनी वापसी की यात्रा शुरू कर गोविंद घाट पहुंच सकते हैं| आप चाहे तो उसी दिन घांघरिया जिसको गोविंद धाम भी कहते हैं रुक कर अगले दिन हेमकुंड साहिब की यात्रा भी कर सकते हैं| हेमकुंड साहिब की यात्रा के बारे में हमने आपको पहले से ही विस्तार से बता दिया है

पांचवा दिन ( Day-5) :- इस दिन आप गोविंद घाट से सुबह-सुबह जोशीमठ आ जाएं और जोशीमठ से आपको आसानी से हरिद्वार और ऋषिकेश के लिए बस मिल जाती है| इस बात का ध्यान रखें कि जोशीमठ से आपको बस सुबह 8:00 से पहले ही मिलेगी इसलिए आप चाहे तो पहले दिन जोशीमठ मैं भी रूक सकते हैं|

जोशीमठ से ऋषिकेश तक बस का किराया लगभग ₹700 और समय 8 से 9 घंटे रहता है| आप चाहे तो बाद में जोशीमठ से शेयरिंग टैक्सी पकड़ कर आगे जाकर कहीं भी रुद्रप्रयाग श्रीनगर में रख सकते हैं शेयरिंग टैक्सी आपको लगभग 12 से 1:00 बजे तक करणप्रयाग रुद्रप्रयाग श्रीनगर ऋषिकेश तक की आसानी से मिल जाएगी|

फूलों की घाटी से अपने घर की वापसी की योजना भी आपको पहले से ही बनानी होगी| यदि आप हवाई मार्ग से देहरादून से अपने शहर जाना चाहते हैं तो ऋषिकेश से आपको देहरादून हवाई अड्डे के लिए आसानी से बस शेयरिंग टैक्सी या ऑटो मिल जाएंगे|

आपको सातवें दिन अपने वापसी की योजना बनानी चाहिए ताकि बीच में किसी कारण से एक दिन आपको रुकना भी पड़े तो आपको कोई परेशानी ना हो| आप आराम से हरिद्वार या ऋषिकेश में होटल धर्मशाला या गेस्ट हाउस में रख सकते हैं|

यदि आप हवाई मार्ग से या ट्रेन के माध्यम से दिल्ली होकर अपने शहर को जाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको हरिद्वार से बस या ट्रेन आसानी से मिल जाएगी| हरिद्वार से बस या ट्रेन आपको चार से पांच घंटे में दिल्ली पहुंचा देगी|

कोशिश करें कि आप दिल्ली से सुबह के 10:00 के बाद की फ्लाइट की बुक करें ताकि आप हरिद्वार ऋषिकेश से दिल्ली आसानी से पहुंच जाए|

कश्मीरी गेट बस अड्डे से दिल्ली मेट्रो से होकर और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एयरपोर्ट मेट्रो पकड़ कर आप मेट्रो के माध्यम से भी इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पहुंचे सकते हैं|

आप चाहे तो अपनी सुविधा के अनुसार ट्रेन पकड़ कर हरिद्वार से नई दिल्ली आ जाएं और फिर वहां से अपनी सुविधा के अनुसार शेयरिंग टैक्सी या दिल्ली मेट्रो से दिल्ली हवाई अड्डे के लिए रवाना हो जाएं|

फूलों की घाटी की यात्रा की तैयारी कैसे करें?

  • जरुरी दस्तावेज़
  • जरुरी सामान
  • मेडिकल किट
  • आईडी प्रूफ
  • पासपोर्ट साइज फोटो इसी जरूरत पड़े तो
  • यदि हेमकुंड साहिब की यात्रा भी करनी है तो हेमकुंड साहिब यात्रा का रजिस्ट्रेशन
  • यदि बद्रीनाथ की यात्रा साथ में करनी है तो चार धाम यात्रा रजिस्ट्रेशन
  • अन्य कोई आवश्यक दस्तावेज आप चाहे तो जैसे आपकी कोई मेडिकल रिपोर्ट आदि
  • बढ़िया क्वालिटी के ट्रैकिंग शूज
  • बढ़िया क्वालिटी का छाता और रेनकोट, आप चाहे तो घांघरिया से एक सामान्य रेनकोट भी ले सकते हैं जो की ₹100 में आपको आसानी से मिल जाएगा|
  • यात्रा के लिए बढ़िया छड़ी जो कि आपको गोविन्द घाट /घांघरिया मार्केट में आसानी से मिल जाएगी|
  • रास्ते के लिए पानी पीने के लिए बढ़िया पानी की बोतल
  • धूप से बचने के लिए बढ़िया टोपी
  • यदि आप सर्दी के मौसम में जा रहे हैं तो बढ़िया वाली गरम जैकेट
  • रास्ते में खाने के लिए खाने-पीने का सामान क्योंकि फूलों की घाटी के चार किलोमीटर की यात्रा में आपको कोई भी खाने पीने की दुकान नहीं मिलेगी|
  • एक हल्का सा टॉवल
  • सनग्लासेज़: धूप से अपनी आंखों की रक्षा करने के लिए सनग्लासेज़ पहनें।
  • हेडलैंप: यदि आप सुबह जल्दी या देर रात ट्रेक कर रहे हैं, तो एक हेडलैंप आपके लिए उपयोगी होगा।
  • डायमॉक्स (1 स्ट्रिप): यह दवा अचानक ऊंचाई की बीमारी (एएमएस) के मामले में मदद करती है। इसे अपने साथ रखें और अपने ट्रेक लीडर से परामर्श करने के बाद ही इसे लें।
  • डोलो 650 (4 गोलियां): यह पैरासिटामोल है और बुखार और हल्के दर्द का इलाज करने में मदद करता है।
  • अवोमाइन (4 गोलियां): यदि आप गति बीमारी से ग्रस्त हैं, तो इसे विशेष रूप से ले जाएं। अपनी सड़क यात्रा शुरू होने से आधे घंटे पहले एक गोली लें।
  • कॉम्बिफ्लैम (4गोलियां): यदि आपको पैर में अचानक मोड़ या मांसपेशियों में खिंचाव हो, तो कॉम्बिफ्लैम लें। यह दर्द निवारक है और इसमें पैरासिटामोल भी शामिल है।
  • डाइजीन (4 गोलियां): यदि आपको लगता है कि आपके द्वारा खाया गया भोजन अपचित है, तो इसे लें। तुरंत अपने ट्रेक लीडर को सूचित करें। यह एएमएस का संकेत हो सकता है।
  • ओआरएस (6 पैक): दिन में कम से कम एक बार, आमतौर पर दोपहर में जब आप अपने ट्रेक के बीच में हों, ORS पानी का एक पैक पीएं। यह ट्रेकिंग के दौरान खोए हुए आवश्यक लवणों की पूर्ति करता है। टिप: यह ठंडे पानी को पीना आसान बनाता है।
  • घुटने का ब्रेस (वैकल्पिक): यदि आप घुटने की चोट से ग्रस्त हैं या घुटने के दर्द की ज्ञात समस्याएं हैं, तो इसे ले जाएं।

फूलों की घाटी जाने का सबसे बढ़िया समय ( Best Time to Visit Valley of Flowers)

फूलों की घाटी के ट्रेक के लिए जुलाई से सितंबर तक का समय सबसे आदर्श होता है। हर महीने का अपना अलग आकर्षण होता है, इसलिए अपनी प्राथमिकता के अनुसार चुनें।

हालांकि 15 जुलाई से लेकर 15 अगस्त के बीच में फूलों की घाटी में फूलों का खिलना अपने चरम पर रहता है मगर इस दौरान सबसे अधिक बरसात और भूखलन भी रहता है इसलिए इस दौरान यात्रा करने पर विशेष सावधानी रखें|

वैसे हर साल 1 जून से फूलों की घाटी यात्राओं के लिए खोल दी जाती है आप चाहे तो अपनी सुविधा के अनुसार यात्रा कर सकते हैं मगर जुलाई के महीने में सबसे अधिक फूल खिले रहते हैं वहीं 15 अगस्त के बाद फूल तो कम हो जाते हैं मगर यात्रा के लिए मौसम थोड़ा अनुकूल हो जाता है इसलिए आप इस दौरान भी अपनी यात्रा की योजना बना सकते हैं|

जुलाई में फूलों की घाटी

  • सबसे कम भीड़: जुलाई में सबसे कम भीड़ होती है, जो एक शांतिपूर्ण ट्रेक पसंद करने वालों के लिए आदर्श है।
  • प्रारंभिक फूल: फूल खिलना शुरू हो रहे होते हैं, लेकिन मध्य जुलाई के बाद चरम फूल खिलने का मौसम शुरू होता है।
  • बर्फ के पुल और पैच: कुछ पुराने बर्फ के पुल और कुछ पिघलते हुए बर्फ के पैच देखने को मिलेंगे।
  • बारिश का प्रारंभ: मध्य जुलाई के बाद से बारिश शुरू हो जाती है।

अगस्त में फूलों की घाटी

  • अधिकतम फूल: अगस्त में सबसे अधिक फूल खिले होते हैं।
  • बारिश और भीड़: अगस्त में बारिश अधिक होती है, लेकिन उच्च ऊंचाइयों पर यह बूंदाबांदी में बदल जाती है। इस महीने में भीड़ सबसे अधिक होती है, इसलिए सप्ताह के दिनों में यात्रा करने का प्रयास करें।
  • ब्रह्मकमल का अवलोकन: हेमकुंड साहिब की चढ़ाई के दौरान ब्रह्मकमल देखने का मौका मिलेगा, जो 14,000 फीट की ऊंचाई पर उगने वाला एक दुर्लभ फूल है।

सितंबर में फूलों की घाटी

  • फूलों का पतन: सितंबर में अधिकांश फूल मुरझा जाते हैं।
  • साफ आसमान और दृश्य: इस महीने में आसमान साफ हो जाता है और पहाड़ों के स्पष्ट दृश्य देखने को मिलते हैं।
  • भीड़ का बढ़ना: सितंबर में तीर्थयात्रियों की भीड़ बढ़ जाती है, क्योंकि इस महीने में हेमकुंड साहिब के गुरुद्वारे में तीर्थयात्रा होती है।

यात्रा के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स:

  • सामान्य तापमान: दिन का तापमान 10°C से 18°C के बीच रहता है, जबकि रात का तापमान 3°C से 5°C तक गिर जाता है।
  • गर्म परतें: अपने साथ गर्म कपडे हमेशा साथ रखे हालाँकि यदि आप होटल में में ठहरेंगे और गर्म कंबल उपलब्ध होंगे।
  • बारिश के दौरान सावधानी: यदि आप मानसून के मौसम में जा रहे हैं, तो दिन के पहले भाग में यात्रा करें और दोपहर 2 बजे तक वापस आ जाएं। तेज बारिश के कारण लक्ष्मण गंगा के ऊपर बने खस्ता पुलों को पार करना जोखिम भरा हो सकता है।
  • अपने साथ हमेशा बारिश से बचें के लिए रेन कोट लेकर चले |

फूलों की घाटी का ट्रैक कितना कठिन है?

फूलों की घाटी का ट्रैक कल आना जाना मिलकर 76 किलोमीटर से भी अधिक लंबा है| यह पैदल ट्रैक पुलना गांव से शुरू होता है | इस पूरे ट्रैक को आपको लगभग तीन से चार दिन में पूरा करना होता है| इस ट्रैक में जाते समय लगभग 4 से 5 किलोमीटर का रास्ता लगभग खड़ी चढ़ाई वाला रहता है|

इसलिए इसको हम कठिनाई के तौर से एक माध्यम ट्रैक मान सकते हैं यदि आपको पैदल चलने का और ट्रैक करने का थोड़ा बहुत अनुभव होना चाहिए |

अगर हम अनुभव की बात करें तो सामान्य तौर पर आपको 40 मिनट में 5 किलोमीटर पैदल चलने का अनुभव और प्रैक्टिस होनी चाहिए इसलिए आप इस ट्रैक के लिए कम से कम 4 से 5 महीने पहले ही तैयारी कर ले|

पूरे ट्रैक को छोटे-छोटे भागों में बांटने और धीरे-धीरे ट्रैक को पूरा करें एक दिन के ट्रैक में आप 10 किलोमीटर की दूरी पुलना गाँव से घांघरिया तक पूरी करेंगे अगले दिन फूलों की घाटी का 4 किलोमीटर का ट्रैक आना और जाना |

आप चाहे तो पहले 10 किलोमीटर के ट्रैक को घोड़े से भी पूरा कर सकते हैं और बाद वाले ट्रैक को आप पालकी या डंडी से पूरा कर सकते हैं|

फूलों की घाटी का ट्रैक कितना सुरक्षित है?

यदि सुरक्षा की दृष्टि से देखा जाए तो फूलों की घाटी का ट्रैक पूरी तरह से सुरक्षित है हालांकि इस यात्रा के दौरान आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:-

  • फूलों की घाटी का 4 किलोमीटर का ट्रैक आप हो सके तो गाइड की सहायता से करें गाइड आपको घांघरिया मैं आसानी से मिल जाएंगे |
  • जहां तक हो सके फूलों की घाटी का ट्रैक ग्रुप में करें या दो दो से अधिक व्यक्ति हो तो मार्ग में आपको ज्यादा सुविधा रहेगी|
  • क्योंकि फुलो की घाटी का ट्रैक अधिकतर बरसात के समय होता है इसलिए फिसलन का बहुत डर रहता है इसीलिए इस ट्रैक में विशेष सावधानी रखें|
  • अपने साथ ट्रैक के दौरान कम से कम सामान रखें और हो सके तो अपना सामान लॉककर या होटल में रखकर आए|

फूलों की घाटी की ट्रैक के दौरान रहने की क्या सुविधा है?

फूलों की घाटी की यात्रा के दौरान आपको तीन से चार दिन तक रास्ते में रुकना पड़ेगा जिसमें से आपके प्रमुख पड़ाव में पहला पड़ाव ऋषिकेश फिर गोविंद घाट, फिर घंगारिया आदि है|

ऋषिकेश में आपको रुकने के लिए काफी सारी धर्मशालाएं और होटल ₹1000 से लेकर ₹3000 के बीच में आसानी से मिल जाएंगे इसके अलावा खाने-पीने की कोई समस्या नहीं रहती|

वहीं गोविंद घाट में भी आपको गोविंद घाट गुरुद्वारा में रहने और खाने की सुविधा फ्री में मिल जाती है इसके अलावा यहां पर आपको होटल और लॉज भी मिल जाते हैं मगर थोड़ा महंगे रहते हैं जो की एक रात के दो व्यक्तियों के लिए दो से ₹3000 तक रहता है|

वहीं घांघरिया में जिसको की गोविंद धाम भी कहते हैं क्योंकि यहां पर भी गोविंद धाम गुरुद्वारा है आप यहां पर फ्री में रहने और खाने नहाने की सुविधा उपलब्ध है इसके अलावा यहां पर गढ़वाल विकास मंडल का गेस्ट हाउस और कुछ होटल भी आपको 2000 से 3000 में मिल जाएंगे|

दोनों ही जगह पर गुरुद्वारे में आपको रहने और खाने की सुविधा मिल जाएगी इसलिए इस यात्रा के दौरान आपको ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है यदि परिवार के साथ आ रहे हैं तो हो सके तो ऋषिकेश से ही किसी टूर ऑपरेटर आदि से इन जगहों के लिए पहले से ही होटल बुक कर ले|

वैसे आप जोशीमठ में भी रख सकते हैं क्योंकि यहां पर रुकने के बहुत सारे साधन और काफी सुविधा मिल जाती हैं जो की गोविंद घाट से मात्र 20 किलोमीटर पहले पड़ता है|

उत्तराखंड फूलो की घाटी के दिलचस्प और अद्भुत तथ्य :

  1.  यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट : फूलों की घाटी को 2005 में यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया गया था, क्योंकि इसकी अनूठी जैव विविधता और इसके लुभावनी परिदृश्यों के कारण, जो नंद देवी बायोस्फीयर रिजर्व का एक हिस्सा महत्वपूर्ण बनाता है
  2. विभिन्न वनस्पतियों : घाटी फूलों की पौधों की 650 से अधिक प्रजातियों के लिए एक घर है, जिसमें दुर्लभ और खतरा प्रजातियां शामिल हैं, जैसे ब्रह्मा कमल, जो मानसून के मौसम के दौरान पनपते हैं और उत्तराखंड के राज्य का रंग माना जाता है
  3. आश्चर्यजनक ऊंचाई: समुद्र तल से 3,352 से 3,658 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, फूलों की घाटी बर्फ से ढकी चोटियों सहित आसपास की हिमालय चोटियों के मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करती है
  4. समृद्ध वन्य जीवन यह पार्क एशियाई काले भालू, हिम तेंदुआ और हिमालयी मोनाल सहित कई दुर्लभ और लुप्तप्राय जानवरों की प्रजातियों का घर है, जो इसे वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है।
  5. अभियान के लिए आदर्श स्थान : रंग घाटी ग्रामीण इलाकों में एक लोकप्रिय स्थान है, जो रोमांच और प्राकृतिक उत्साही लोगों को आकर्षित करती है। फूलों की घाटी की सुंदरता को देखते हुए इसको राजा इंद्र का बगीचा भी कहा जाता है| कहते हैं जीवन में एक बार आपको इस फूलों की घाटी का अवलोकन अवश्य करना चाहिए|
  6.  अद्वितीय ठीक मौसम : घाटी में एक अनोखा ठीक मौसम होता है जो विभिन्न प्रकार के पौधों के चरणों को सक्षम बनाता है। स्थिति आम तौर पर सूखी होती है, और क्षेत्र राक्षस मौसम के दौरान अधिकांश वर्षा प्राप्त करता है। यह उज्ज्वल रंग वृद्धि के लिए उपयोगी है| फूलों की घाटी के बीचो-बीच एक खूबसूरत नदी बहती है जिसको पुष्पावती नदी कहते हैं जो की टिपरा ग्लेशियर से होकर आती है| घनघरिया में जाकर पुष्पावती नदी ब्युन्दार गंगा से मिलकर लक्ष्मण गंगा बन जाती है|
  7. ऐतिहासिक खोज : घाटी की खोज 1931 में फ्रैंक स्माइल नामक एक ब्रिटिश पर्वतारोही द्वारा की गई थी।
  8. फोटोग्राफर का स्वर्ग : आश्चर्यजनक परिदृश्य और फूलों के ज्वलंत रंग फूल घाटी को एक फोटोग्राफर बनाते हैं। प्रत्येक सीज़न रंगों का एक नया पैलेट लाता है, जिससे यह लुभावनी तस्वीरें लेने के लिए एक बेहतरीन जगह बन जाता है।
  9. सांस्कृतिक महत्व: यह घाटी सिर्फ एक प्राकृतिक आश्चर्य से कहीं अधिक है। इसका सांस्कृतिक महत्व भी है. निकटवर्ती हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा सिखों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और प्रकृति में आध्यात्मिक शांति चाहने वाले पर्यटकों को आकर्षित करता है।
  10. उपलब्धता: फूलों की घाटी में जून से अक्टूबर तक पहुंचा जा सकता है, और यात्रा का चरम मौसम जुलाई से अगस्त होता है। ट्रेक आमतौर पर गोविंद घाट से शुरू होता है और घांघरिया पर समाप्त होता है, जो घाटी की आगे की खोज के लिए एक आधार शिविर है।[ ये तथ्य फूलों की घाटी को प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता से भरपूर एक अद्भुत जगह के रूप में चित्रित करते हैं।

वैली ऑफ फ्लावर्स, उत्तराखंड प्रश्नोत्तर

प्रश्न. वैली ऑफ फ्लावर्स कहाँ स्थित है?

वैली ऑफ फ्लावर्स उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। यह नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान का एक हिस्सा है।

प्रश्न. वैली ऑफ फ्लावर्स का इतिहास क्या है?

वर्ष 1931 में ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस. स्माइथ, एरिक शिप्टन और आर.एल. होल्ड्सवर्थ ने इस घाटी की खोज की थी। उन्होंने इसे वैली ऑफ फ्लावर नाम दिया। बाद में फ्रैंक स्माइथ ने इस नाम पर एक पुस्तक भी लिखी।

प्रश्न. वैली ऑफ फ्लावर्स में तापमान कितना होता है?

वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक पर तापमान सामान्यतः 5 डिग्री से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। मानसून के दौरान मध्यम बारिश और घने बादलों की उपस्थिति होती है।

प्रश्न. वैली ऑफ फ्लावर्स में कितने प्रकार के पौधे पाए जाते हैं?

वैली ऑफ फ्लावर्स में 520 प्रजातियों के पौधे पाए जाते हैं। यह हिमालयी क्षेत्र की असाधारण जैव विविधता का प्रमाण है।

प्रश्न. वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक कितने दिन का है?

वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक 4 से 6 दिनों तक चलता है। यह लगभग 38 किलोमीटर (24 मील) का दौरा है।

प्रश्न. वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक की कठिनाई स्तर क्या है?

वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक को मध्यम कठिनाई स्तर का माना जाता है। यह मौसमी तकनीकी पर्वतारोही कौशल की आवश्यकता नहीं है, लेकिन ट्रेकर्स को लंबे समय तक चलने और कुछ तेज चढ़ाइयों के लिए तैयार होना चाहिए।

प्रश्न. वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक में सबसे ऊंचाई कितनी है?

वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक के दौरान प्राप्त की जाने वाली सर्वोच्च ऊंचाई लगभग 3,658 मीटर (12,000 फीट) है।

प्रश्न. वैली ऑफ फ्लावर्स में रहने के लिए क्या सुविधाएं हैं?

वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक के दौरान ठहरने के लिए घंगारिया में होटल और लॉज हैं। घाटी में रात में या ट्रेक के किसी भी बिंदु पर डेरा डालने की अनुमति नहीं है।

प्रश्न. क्या वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक परिवारों और बच्चों के लिए उपयुक्त है?

हाँ, वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक को परिवारों और बच्चों के लिए उपयुक्त माना जाता है। यह आसान से मध्यम कठिनाई स्तर का है और अच्छी तरह से चिह्नित ट्रेल और सापेक्षिक रूप से प्रबंधनीय भूमि प्रदान करता है।

प्रश्न. वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक में कितने किलोमीटर चलना पड़ता है?

वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक लगभग 38 किलोमीटर (24 मील) का दौरा है। यह जोशीमठ से शुरू होता है और घंगारिया को आधार शिविर के रूप में सेवा करता है।

प्रश्न. वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक में कितने प्रकार के जानवर पाए जाते हैं?

वैली ऑफ फ्लावर्स में 13 प्रजातियों के स्तनधारी जानवर पाए जाते हैं। यह क्षेत्र की समृद्ध जीव विविधता का प्रतीक है।

प्रश्न. वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक के लिए कौन से सामान लेकर जाना चाहिए?

वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक के लिए आवश्यक सामान में शामिल हैं: पर्याप्त गर्म कपड़े, जूते, टॉर्च, धूप का चश्मा, सनस्क्रीन, कैमरा, पानी की बोतलें, स्नैक्स, मेडिकल किट, स्लीपिंग बैग और रुमाल।

इन प्रश्नोत्तरों से वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। यह ट्रेक प्रकृति प्रेमियों और पर्वतारोहियों के लिए एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है।

प्रश्न. क्या वैली ऑफ फ्लावर्स में कैम्पिंग की सुविधा उपलब्ध है?

वैली ऑफ फ्लावर्स में कैम्पिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है।

  • रात में ठहरने की व्यवस्था: वैली ऑफ फ्लावर्स में कैम्पिंग की अनुमति नहीं है। पर्यटक केवल घंगारिया (Ghangaria) में स्थित लॉज और होटलों में ठहर सकते हैं। यहाँ पर विभिन्न प्रकार के आवास विकल्प उपलब्ध हैं, जहां आप रात बिता सकते हैं।
  • प्राकृतिक सौंदर्य: वैली ऑफ फ्लावर्स एक राष्ट्रीय उद्यान है और यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता को संरक्षित रखने के लिए कैम्पिंग पर प्रतिबंध है। यह क्षेत्र यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है, और यहाँ के पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए नियम बनाए गए हैं।
  • सुरक्षा और सुविधाएं: घाटी में ठहरने के लिए लॉज और होटल सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जो पर्यटकों को सुरक्षित और आरामदायक ठहरने का अनुभव प्रदान करते हैं।

इसलिए, यदि आप वैली ऑफ फ्लावर्स की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो कैम्पिंग की बजाय घंगारिया में ठहरने की व्यवस्था करें।

प्रश्न. फूलों की घाटी ट्रेक के लिए क्या स्वास्थ्य सावधानी बरतनी चाहिए?

फूलों की घाटी ट्रेक के दौरान स्वास्थ्य सावधानियाँ बरतना अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेषकर ऊँचाई पर चढ़ाई के कारण। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सावधानियाँ दी गई हैं:

  • शारीरिक फिटनेस– ट्रेकिंग से पहले अपनी शारीरिक फिटनेस पर ध्यान दें। नियमित व्यायाम करें, जैसे कि दौड़ना, साइकिल चलाना, या लंबी पैदल यात्रा करना, ताकि आप ट्रेकिंग के लिए तैयार रहें।
  • ऊँचाई की बीमारी से बचाव:-ऊँचाई पर चढ़ाई करते समय ऊँचाई की बीमारी (Acute Mountain Sickness) का खतरा होता है। इसके लक्षणों में सिरदर्द, चक्कर आना, और थकान शामिल हैं। इसलिए, धीरे-धीरे ऊँचाई बढ़ाएं और शरीर को अनुकूलित करने का समय दें।
  • हाइड्रेशन– ट्रेक के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। हाइड्रेटेड रहना ऊँचाई की बीमारी से बचने में मदद करता है।
  • सही आहार- ट्रेकिंग के दौरान हल्का और पौष्टिक आहार लें। ड्राई फ्रूट्स, ऊर्जा बार, और फल ले जाना फायदेमंद होता है।
  • प्राथमिक चिकित्सा किट– अपने साथ एक प्राथमिक चिकित्सा किट रखें, जिसमें बैंडेज, दर्द निवारक, और अन्य आवश्यक दवाएं शामिल हों।
  • पर्याप्त कपड़े- मौसम के अनुसार उचित कपड़े पहनें। ऊँचाई पर तापमान में तेजी से बदलाव हो सकता है, इसलिए गर्म कपड़े और बारिश से बचने के लिए रेनकोट ले जाना आवश्यक है।
  • विश्राम-ट्रेक के दौरान नियमित रूप से आराम करें। थकान से बचने के लिए छोटे-छोटे ब्रेक लें।
  • गाइड का सहयोग-यदि आप पहली बार ट्रेकिंग कर रहे हैं, तो एक अनुभवी गाइड के साथ जाने पर विचार करें। वे आपको सही मार्ग और स्वास्थ्य संबंधी सावधानियों के बारे में मार्गदर्शन कर सकते हैं।

प्रश्न: वैली ऑफ फ्लावर्स का सबसे अच्छा समय कब है?

उत्तर: वैली ऑफ फ्लावर्स का सबसे अच्छा समय जुलाई और अगस्त माह है, क्योंकि इस दौरान अधिकतर फूल खिले होते हैं। जून में फूल अभी पूरी तरह से नहीं खिले होते और सितंबर में फूल झड़ने लगते हैं। जुलाई और अगस्त में वैली में करीब 600 प्रजातियों के फूल देखने को मिलते हैं|

प्रश्न: क्या वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक कठिन है?

उत्तर: वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक मध्यम कठिनाई का ट्रेक है। यह 14,000 फीट की ऊंचाई तक जाता है और मॉनसून के दौरान होता है, इसलिए कुछ चुनौतियां हो सकती हैं। लेकिन अच्छी तैयारी और सही गाइड के साथ यह ट्रेक किया जा सकता है|

प्रश्न: वैली ऑफ फ्लावर्स की क्या खासियत है?

उत्तर: वैली ऑफ फ्लावर्स की सबसे खास बात यह है कि यह करीब 600 प्रजातियों के फूलों का घर है। यहां पर दुर्लभ और लुप्तप्राय जानवर जैसे काले भालू और हिमालयन गैंडे भी पाए जाते हैं। वैली ऑफ फ्लावर्स और नंदा देवी नेशनल पार्क मिलकर यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट बनते हैं।

प्रश्न: वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक की लंबाई कितनी है?

उत्तर: वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक की लंबाई 16 किमी है। यह गोविंदघाट से शुरू होकर घंगारिया और फिर वैली ऑफ फ्लावर्स तक जाता है। वापसी का रास्ता भी यही होता है|

प्रश्न: क्या वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक शुरुआती के लिए है?

उत्तर: वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक मध्यम कठिनाई का ट्रेक है, लेकिन अच्छी तैयारी और गाइड के साथ शुरुआती भी इसे कर सकते हैं। इसके लिए अच्छी शारीरिक फिटनेस और धैर्य की जरूरत होती है |

प्रश्न: क्या वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक करना वर्थ है?

उत्तर: बिल्कुल! वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक करना बिल्कुल वर्थ है। यह ट्रेक आपको प्रकृति के खूबसूरत नजारों से भरपूर एक अद्भुत अनुभव देता है। फूलों की विविधता, हिमालयी नजारे और शांत वातावरण इस ट्रेक को बेहद खास बनाते हैं|

प्रश्न: क्या कोई खुद वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक कर सकता है?

उत्तर: हां, वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक को खुद भी किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए अच्छी तैयारी, सही गाइड और उपकरण की जरूरत होती है। साथ ही ट्रेक के दौरान आने वाली चुनौतियों का सामना करने की क्षमता भी होनी चाहिए।

प्रश्न: वैली ऑफ फ्लावर्स किसके लिए प्रसिद्ध है?

उत्तर: वैली ऑफ फ्लावर्स करीब 600 प्रजातियों के फूलों के लिए प्रसिद्ध है। यह दुर्लभ और लुप्तप्राय जानवरों का भी घर है। वैली ऑफ फ्लावर्स और नंदा देवी नेशनल पार्क मिलकर यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट बनते हैं|

प्रश्न: वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक कितने दिन का है?

उत्तर: वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक आमतौर पर 4-5 दिन का होता है। यह गोविंदघाट से शुरू होकर घंगारिया और फिर वैली ऑफ फ्लावर्स तक जाता है और वापसी का रास्ता भी यही होता है।

प्रश्न: क्या वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक सुरक्षित है?

उत्तर: हां, वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रेक सुरक्षित है। अच्छी तैयारी और गाइड के साथ यह ट्रेक किया जा सकता है। हालांकि मॉनसून के दौरान कुछ चुनौतियां हो सकती हैं, लेकिन सही उपाय करके इन्हें सुरक्षित ढंग से पार किया जा सकता है।

प्रश्न: क्या हम वैली ऑफ फ्लावर्स में सर्दियों में जा सकते हैं?

उत्तर: नहीं, वैली ऑफ फ्लावर्स में सर्दियों में जाना संभव नहीं है। वैली जून से सितंबर के बीच ही खुलती है, क्योंकि इस दौरान ही वहां तक पहुंचना संभव होता है। सर्दियों में भारी बर्फबारी होती है और वैली अप्रैल-मई तक बर्फ से ढकी रहती है।

प्रश्न: क्या हम अतिरिक्त सामान को बेस गांव में छोड़ सकते हैं?

उत्तर: हां, आप अतिरिक्त सामान को बेस गांव घंगारिया में छोड़ सकते हैं। यहां होटल और लॉकर सुविधा उपलब्ध है जहां आप अपना सामान सुरक्षित रख सकते हैं। लेकिन इसके लिए कुछ शुल्क देना होता है।

प्रश्न: क्या ट्रेक के दौरान मोबाइल सिग्नल मिलता है?

उत्तर: ट्रेक के दौरान कुछ जगहों पर मोबाइल सिग्नल मिलता है, लेकिन ज्यादातर जगहों पर नहीं। घंगारिया में सिग्नल मिलता है, लेकिन वैली ऑफ फ्लावर्स में नहीं। इसलिए आप ट्रेक के दौरान संचार के लिए अन्य तरीकों पर निर्भर रहें।

प्रश्न: क्या हम ट्रेक के दौरान शराब पी सकते हैं?

उत्तर: नहीं, ट्रेक के दौरान शराब पीना सुरक्षित नहीं होता है। ऊंचाई पर शराब का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए ट्रेक के दौरान शराब का सेवन करने से बचना चाहिए।

प्रश्न: ट्रेक के लिए कैसे तैयारी करें?

उत्तर: ट्रेक के लिए तैयारी करने के कुछ महत्वपूर्ण तरीके हैं:

  1. शारीरिक फिटनेस बनाए रखना
  2. पर्याप्त व्यायाम करना
  3. ट्रेक के लिए आवश्यक उपकरण और सामान खरीदना
  4. ट्रेक के मार्ग और मौसम के बारे में जानकारी हासिल करना
  5. पर्याप्त मात्रा में पानी पीना और पौष्टिक आहार लेना

प्रश्न: ट्रेक के लिए किस तरह के जूते चाहिए? क्या स्पोर्ट्स शू काम आ सकते हैं?

उत्तर: ट्रेक के लिए हाइकिंग बूट्स या ट्रेकिंग शूज़ सबसे उपयुक्त होते हैं। इन जूतों में अच्छा ग्रिप और सपोर्ट होता है जो ट्रेक के दौरान मदद करता है। स्पोर्ट्स शू भी काम आ सकते हैं, लेकिन वे ज्यादा टिकाऊ नहीं होते और पैरों को पर्याप्त सुरक्षा नहीं देते।

1 thought on “फूलों की घाटी कैसे पहुंचे”

  1. I’m planning to visit the Valley of Flowers, and I’ve been reading up on the trek. Your article is incredibly helpful and has answered many of my questions. Thank you for making the planning process easier.

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