यदि आप अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर के दर्शन के लिए योजना बना रही हैं और साथ में यह भी जानना चाहते हैं कि अयोध्या में घूमने के लिए कौन सी बेहतरीन जगह हैं तो आज हम यहां आपको बताएंगे कि आप अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर के अलावा और किन-किन जगहों पर घूम सकते हैं |
अयोध्या हिंदू और जैन धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। हिंदू धर्म में, अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि माना जाता है, जबकि जैन धर्म में, पांच तीर्थंकरों (जैन धर्म के संस्थापकों) का जन्म अयोध्या में हुआ माना जाता है। यह शहर पूरे वर्ष पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय तीर्थ स्थान है।
दिल्ली से अयोध्या की सड़क से दुरी
दिल्ली से अयोध्या की दूरी लगभग 687.5 किलोमीटर है, और यात्रा का समय लगभग 10 घंटे है। हालांकि, यह समय आपकी ब्रेक लेने की आदतों पर निर्भर करेगा।
दिल्ली से अयोध्या जाने का सड़क से मार्ग
अयोध्या जाने का सफर अब 10 घंटे से घटकर 5-6 घंटे रह जाएगा। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के बन जाने से दिल्ली से अयोध्या जाने का सफर अब 10 घंटे से घटकर 5-6 घंटे रह जाएगा। यात्रियों को अब नोएडा-आगरा यमुना एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उपयोग करके यह सफर 6 घंटों में पूरा किया जा सकेगा।
अयोध्या में घूमने की 12 जगह | Places to visit in Ayodhya :
अयोध्या में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं मुख्य इनमें शामिल हैं:
- राम जन्मभूमि मंदिर: यह भव्य मंदिर भगवान राम के जन्मस्थान को चिह्नित करता है।
- सरयू नदी: यह पवित्र नदी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है।
- अयोध्या किला: यह किला शहर के ऐतिहासिक अतीत का एक स्मारक है।
- हनुमानगढ़ी: यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है।
- तुलसी उद्यान: यह उद्यान गोस्वामी तुलसीदास को समर्पित है, जिन्होंने रामायण महाकाव्य की रचना की थी।
अयोध्या एक खूबसूरत और ऐतिहासिक शहर है जो अपने धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। यदि आप इस शहर की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो इन स्थानों को देखना सुनिश्चित करें।
अयोध्या के पास घूमने के लिए 12 बेहतरीन स्थानों की सूची यहाँ दी गई है, जिन्हें आप अपनी यात्रा में शामिल कर सकते हैं:
अयोध्या में घूमने की 12 जगहें :-
1. नागेश्वरनाथ मंदिर
नागेश्वरनाथ मंदिर: अयोध्या का प्रसिद्ध शिव मंदिर
अयोध्या में राम की पैड़ी के पास स्थित नागेश्वरनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण भगवान राम के छोटे पुत्र कुश ने करवाया था। ऐसी मान्यता है कि एक बार सरयू नदी में स्नान करते समय कुश ने अपना बाजूबंद खो दिया था। यह बाजूबंद एक नाग कन्या ने वापस किया। नाग कन्या कुश पर मोहित हो गई और चूंकि वह शिव भक्त थी, इसलिए कुश ने उस नाग कन्या के लिए इस मंदिर का निर्माण करवाया।
यह मंदिर राजा विक्रमादित्य के शासन काल तक अच्छी स्थिति में था। 1750 में इसका जीर्णोद्धार नवाब सफ़दरजंग के मंत्री नवल राय द्वारा कराया गया था। नागेश्वरनाथ मंदिर में शिवरात्रि का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन यहां शिव बारात निकाली जाती है। शिव बारात का बड़ा महात्म्य है। शिवरात्रि के पर्व में यहां लाखों की संख्या में दर्शनार्थी एवं श्रद्धालु उपस्थित होते हैं।
मंदिर का स्वरूप
नागेश्वरनाथ मंदिर एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर दो मंजिला है। मंदिर का गर्भगृह शिवलिंग के लिए समर्पित है। मंदिर के बाहरी द्वार पर भगवान शिव और पार्वती की मूर्तियां हैं। मंदिर के अंदर कई अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं।
कुछ अतिरिक्त जानकारी
- मंदिर का समय: सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक
- दर्शनीय समय: सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक
- प्रवेश शुल्क: निःशुल्क
- कैसे पहुंचे: राम की पैड़ी से मंदिर तक पैदल या साइकिल से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
2. कनक भवन- सीता रसोई
सीता रसोई: अयोध्या का ऐतिहासिक मंदिर
अयोध्या में राम जन्मभूमि के उत्तरपूर्व में स्थित सीता रसोई एक ऐतिहासिक मंदिर है। यह मंदिर अपनी कलाकृति के लिए प्रसिद्ध है।
ऐसी मान्यता है कि माता कैकेयी ने प्रभु श्री राम और देवी सीता को यह भवन उपहार स्वरुप दिया था। यह उनका व्यक्तिगत महल था। इस मंदिर में एक रसोईघर भी था, जहां माता सीता स्वयं भोजन बनाती थीं।
इस मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने कराया था। बाद में, भानु कुंवारी ने इसका जीर्णोद्धार कराया। मुख्य गर्भगृह में श्री राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के बाहरी द्वार पर कई देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।
मंदिर का स्वरूप
सीता रसोई एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर दो मंजिला है। मंदिर का गर्भगृह श्री राम और माता सीता की मूर्तियों के लिए समर्पित है। मंदिर के बाहरी द्वार पर कई देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।
कुछ अतिरिक्त जानकारी
- मंदिर का समय: सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक
- दर्शनीय समय: सुबह 7 बजे से शाम 7 तक
- प्रवेश शुल्क: निःशुल्क
- कैसे पहुंचे: राम जन्मभूमि से मंदिर तक पैदल या साइकिल से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
मंदिर की कलाकृति
सीता रसोई की कलाकृति अत्यंत सुंदर और कलात्मक है। मंदिर के बाहरी द्वार पर कई देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। इन मूर्तियों को बहुत ही बारीकी से बनाया गया है। मंदिर के अंदर भी कई सुंदर मूर्तियां हैं।
मंदिर की कलाकृति से पता चलता है कि यह मंदिर एक प्राचीन और महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर अयोध्या के इतिहास और संस्कृति की एक महत्वपूर्ण धरोहर है।
3. गुलाब बाड़ी
गुलाब बाड़ी: अयोध्काया ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल
फैजाबाद अर्थार्त अयोध्या में स्थित गुलाब बाड़ी एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। यह मकबरा अवध के तीसरे नवाब शुजा-उद-दौला का है। गुलाब बाड़ी का शाब्दिक अर्थ है “गुलाबों का बाग”। इस मकबरे के चारों ओर विभिन्न प्रजातियों के गुलाब के पौधे लगाए गए हैं।
गुलाब बाड़ी चारबाग शैली में बनाया गया है। इसके केंद्र में मकबरा है, और इसके चारों ओर फव्वारे और पानी की नहरें हैं। मकबरे का निर्माण सफेद संगमरमर से किया गया है। इसमें नवाब शुजा-उद-दौला और उनकी पत्नी की कब्रें हैं।
गुलाब बाड़ी आसपास के लोगों के लिए एक पवित्र स्थान है। मान्यता है कि यहां से एक सुरंग लखनऊ के पोखर को जाती थी, जिसका उपयोग नवाब द्वारा छुपने के लिए किया जाता था।
गुलाब बाड़ी का महत्व
गुलाब बाड़ी का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। यह मकबरा अवध के नवाबों की कला और संस्कृति का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह आसपास के लोगों के लिए एक पवित्र स्थान भी है।
कुछ अन्य जानकारी
- गुलाब बाड़ी का निर्माण 1784 में नवाब शुजा-उद-दौला ने करवाया था।
- मकबरे के निर्माण में लगभग 15 साल लगे थे।
- मकबरे का क्षेत्रफल लगभग 10 एकड़ है।
- गुलाब बाड़ी में विभिन्न प्रजातियों के लगभग 1000 गुलाब के पौधे हैं।
- गुलाब बाड़ी को 1900 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
4. त्रेता के ठाकुर
अयोध्या में एक लोकप्रिय आकर्षण है, जिसे त्रेता-के-ठाकुर मंदिर कहा जाता है, जो भगवान राम को समर्पित है, जिन्हें हिन्दू धर्म के चार युगों में से दूसरा, त्रेता युग का भगवान माना जाता है। यह मंदिर अयोध्या के नया घाट पर स्थित है और इसे 300 साल पहले कुल्लू के राजा ने बनवाया था। आज भी, यह मंदिर बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है।
इस मंदिर का अत्यधिक धार्मिक महत्व है और कहा जाता है कि यहीं पर भगवान राम ने रावण पर अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए ‘अश्वमेघ यज्ञ’ का आयोजन किया था। मंदिर में भगवान राम, देवी सीता, भगवान लक्ष्मण, भगवान हनुमान, और महाकाव्य रामायण के अन्य महत्वपूर्ण पौराणिक देवताओं की मूर्तियाँ हैं, जो काले पत्थर से तराशी गई हैं।
इस मंदिर को दर्शन करने का सबसे अच्छा समय हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने (अक्टूबर-नवंबर) के दौरान होता है, खासकर ग्यारहवें दिन एकादशी को, जब मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
5. हनुमान गढ़ी
अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान के निकट स्थित हनुमान गढ़ी मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। यह मंदिर अयोध्या के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में विक्रमादित्य द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर एक ऊंचे टीले पर स्थित है, जिसके कारण इसे “गढ़ी” कहा जाता है। मंदिर के चारों ओर एक विशाल दीवार है, जो इसे सुरक्षा प्रदान करती है।
मंदिर के गर्भगृह में भगवान हनुमान की एक विशाल मूर्ति है। यह मूर्ति 76 सीढ़ियों के बाद पहुंची जा सकती है। गर्भगृह में भगवान हनुमान की एक और मूर्ति है, जिसमें वे माता अंजनी की गोद में बैठे हुए हैं। हनुमान गढ़ी मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर अयोध्या के इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
हनुमान गढ़ी मंदिर की मान्यताएं
हनुमान गढ़ी मंदिर के साथ कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान हनुमान इस मंदिर में रहते हुए कोतवाल के रूप में अयोध्या की रक्षा करते हैं। मंदिर के प्रांगन में एक स्तंभ है, जिसे “हाथी स्तंभ” कहा जाता है। कहा जाता है कि इस स्तंभ पर भगवान हनुमान ने एक हाथी को मार डाला था।
हनुमान गढ़ी मंदिर का महत्व
हनुमान गढ़ी मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान हनुमान के प्रति भक्तों की श्रद्धा का प्रतीक है। मंदिर अयोध्या के इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
हनुमान गढ़ी कैसे पहुंचे
हनुमान गढ़ी मंदिर अयोध्या रेलवे स्टेशन से लगभग 1 किलोमीटर दूर स्थित है। मंदिर तक पैदल, साइकिल या ऑटो-रिक्शा से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
6. तुलसी स्मारक भवन
तुलसी स्मारक भवन
अयोध्या में स्थित तुलसी स्मारक भवन महान संत कवि गोस्वामी तुलसीदास को समर्पित है। यह भवन अयोध्या शोध संस्थान का भी घर है, जो गोस्वामी तुलसीदास की रचनाओं का एक महत्वपूर्ण संग्रहालय है।
तुलसी स्मारक भवन में कई कार्यक्रम और आयोजन आयोजित किए जाते हैं, जिनमें नियमित प्रार्थना सभाएं, भक्तिमय सम्मेलन और धार्मिक प्रवचन शामिल हैं। भवन में एक पुस्तकालय भी है, जिसमें गोस्वामी तुलसीदास और उनके कार्यों पर कई पुस्तकें और लेख हैं।
तुलसी स्मारक भवन का सबसे प्रमुख आकर्षण रामलीला का मंचन है। प्रतिदिन शाम 6:00 बजे से 9:00 बजे तक रामलीला का मंचन किया जाता है। यह मंचन अत्यंत भव्य और आकर्षक होता है।
तुलसी स्मारक भवन के प्रमुख आकर्षण
- गोस्वामी तुलसीदास को समर्पित स्मारक
- अयोध्या शोध संस्थान
- गोस्वामी तुलसीदास की रचनाओं का संग्रहालय
- नियमित प्रार्थना सभाएं, भक्तिमय सम्मेलन और धार्मिक प्रवचन
- रामलीला का मंचन
कैसे पहुंचे
तुलसी स्मारक भवन अयोध्या रेलवे स्टेशन से लगभग 1 किलोमीटर दूर स्थित है। मंदिर तक पैदल, साइकिल या ऑटो-रिक्शा से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
दिल्ली से ट्रेन द्वारा अयोध्या कैसे पहुँचें |
हवाई जहाज से अयोध्या कैसे पहुंचे
अयोध्या राम मंदिर में दर्शन का समय क्या है
लखनऊ से अयोध्या कैसे जाएं
7.अयोध्या में जैन मंदिर
अयोध्या: जैन धर्म का महत्वपूर्ण स्थल
अयोध्या हिन्दू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, लेकिन यह जैन धर्म के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। अयोध्या में जैन धर्म के विभिन्न तीर्थंकरों के जीवन से संबंधित 18 कल्याणक घटित हुए हैं। अयोध्या को पांच तीर्थंकरों (आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनंद नाथ, सुमतिनाथ एवं अनंतनाथ) की जन्मस्थली होने का गौरव प्राप्त है। उनकी स्मृति में फैजाबाद के नवाब के कोषाध्यक्ष ने यहाँ पांच मंदिरों का निर्माण कराया था।
दिगंबर जैन मंदिर
अयोध्या में स्थित दिगंबर जैन मंदिर प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित है। ऋषभदेव को आदिनाथ, पुरदेव, वृषभदेव एवं आदिब्रह्म इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। आधुनिक समय में यह बड़ी मूर्ति के नाम से प्रसिद्ध है। अयोध्या के रायगंज नामक स्थान पर ऋषभदेव की 31 फीट ऊँची प्रतिमा स्थापित है।
मंदिर के गर्भगृह में दिगंबर जैन सम्प्रदाय के पहले तीर्थंकर ऋषभ देव जो आदिनाथ के रूप में भी जाने जाते है, की मूर्ति स्थापित है। आचार्य रत्न देशभूषणजी महाराज और आर्यिका ज्ञानमती माताजी द्वारा वर्तमान समय में इस स्थान का पुनः उद्धार किया गया है।
दिगंबर जैन मंदिर जैन धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर ऋषभदेव की आराधना के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है। मंदिर अयोध्या के इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
कैसे पहुंचे
दिगंबर जैन मंदिर अयोध्या रेलवे स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित है। मंदिर तक पैदल, साइकिल या ऑटो-रिक्शा से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
मंदिर की मान्यताएं
मंदिर के साथ कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। ऐसी मान्यता है कि ऋषभदेव ने इस स्थान पर ध्यान किया था। मंदिर के प्रांगन में एक कुआँ है, जिसे “गंगा कुआँ” कहा जाता है। कहा जाता है कि ऋषभदेव ने इस कुएँ से पानी पिया था।
मंदिर के प्रमुख आकर्षण
- ऋषभदेव की 31 फीट ऊँची प्रतिमा
- आचार्य रत्न देशभूषणजी महाराज और आर्यिका ज्ञानमती माताजी द्वारा किया गया पुनः उद्धार
- मंदिर के प्रांगन में स्थित गंगा कुआँ
अन्य जैन मंदिर
अयोध्या में अन्य जैन मंदिरों में शामिल हैं:
- श्वेतांबर जैन मंदिर
- अभिनंद नाथ मंदिर
- सुमतिनाथ मंदिर
- अनंतनाथ मंदिर
ये सभी मंदिर जैन धर्म के लिए महत्वपूर्ण हैं और अयोध्या के इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
8. राम की पैड़ी
सरयू नदी के घाट: आस्था और श्रद्धा का प्रतीक
सरयू नदी हिंदू धर्म के लिए एक पवित्र नदी है। यह नदी उत्तर प्रदेश के कई शहरों और कस्बों से होकर बहती है। अयोध्या में, सरयू नदी के किनारे घाटों की एक श्रृंखला स्थापित की गई है। ये घाट श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं।
इन घाटों पर हरे भरे बगीचे हैं, जो मंदिरों से घिरे हैं। नदी का किनारा विशेषकर रात के दूधिया प्रकाश में एक नयनाभिराम दृश्य प्रस्तुत करता है। इन घाटों पर श्रद्धालु पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस नदी में डुबकी लगाने मात्र से श्रद्धालुओं के पाप धुल जाते हैं।
सरयू नदी इन घाटों पर जल की निरंतर आपूर्ति करती है। इन घाटों का अनुरक्षण सिंचाई विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया जाता है।
सरयू नदी के घाटों के प्रमुख आकर्षण
- पवित्र सरयू नदी
- हरे भरे बगीचे
- मंदिर
- नदी का किनारा
- दूधिया प्रकाश में नदी का दृश्य
कैसे पहुंचे
सरयू नदी के घाट अयोध्या के सभी प्रमुख स्थानों से आसानी से पहुँच सकते हैं। इन घाटों तक पैदल, साइकिल या ऑटो-रिक्शा से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
9. क्वीन हो मेमोरियल पार्क
अयोध्या की रानी ‘हो-हवांग ओके’: भारत-दक्षिण कोरिया के संबंधों का प्रतीक अयोध्या में भारत और दक्षिण कोरिया के बीच संबंधों का प्रतीक: रानी हो मेमोरियल पार्क
उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर में भारत और दक्षिण कोरिया के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए एक नया पार्क बनाया गया है। यह पार्क सरयू नदी के किनारे स्थित है और इसका नाम “रानी हो मेमोरियल पार्क” है।
पार्क का उद्घाटन 2021 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दक्षिण कोरिया की प्रथम महिला किम जोंग ने किया था। पार्क का निर्माण रामायण सर्किट योजना के तहत 22 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है।
पार्क में कई सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिनमें ध्यान केंद्र, प्रदर्शनी कक्ष, सरोवर, फुट ओवर ब्रिज, और पवेलियन शामिल हैं। पार्क में रानी हो और राजा सूरो की विशाल प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं।
रानी हो, जिन्हें राजकुमारी सूरीरत्ना के नाम से भी जाना जाता है, अयोध्या की राजकुमारी थीं। उन्होंने 48 ईस्वी में दक्षिण कोरिया के राजा किम सूरो से विवाह किया था। यह विवाह भारत और दक्षिण कोरिया के बीच ऐतिहासिक संबंधों की नींव रखता है।
रानी हो मेमोरियल पार्क भारत और दक्षिण कोरिया के बीच सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह पार्क दोनों देशों के लोगों के बीच सद्भावना और सहयोग को बढ़ावा देगा।
पार्क के प्रमुख आकर्षण
- ध्यान केंद्र
- प्रदर्शनी कक्ष
- सरोवर
- फुट ओवर ब्रिज
- पवेलियन
- रानी हो और राजा सूरो की विशाल प्रतिमाएं
पार्क का महत्व
- भारत और दक्षिण कोरिया के बीच संबंधों को मजबूत करने में मदद करेगा
- दोनों देशों के लोगों के बीच सद्भावना और सहयोग को बढ़ावा देगा
- भारत और दक्षिण कोरिया के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा
10. बहू-बेगम का मकबरा
अयोध्या की ऐतिहासिक धरोहर में बेगम उम्मतुज़ ज़ोहरा बानो का मकबरा एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह मकबरा नवाब शुजाऊद्दौला की बेगम, बेगम उम्मतुज़ ज़ोहरा बानो का अंतिम विश्राम स्थल है। यह मकबरा अवधी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
मकबरा एक आयताकार आधार पर बना हुआ है। मकबरे का गुंबद 144 फीट ऊँचा है और यह अयोध्या की सबसे ऊंची इमारत है। मकबरे का परिसर हरियाली से भरा हुआ है।
मकबरा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अंतर्गत एक संरक्षित स्थल है। इसकी देखरेख शिया बोर्ड कमेटी (लखनऊ) द्वारा की जाती है। मुहर्रम के दौरान मकबरे पर विशेष आयोजन किए जाते हैं।
मकबरे के निर्माण का कार्य 18वीं शताब्दी में हुआ था। मकबरे का निर्माण करने वाले वास्तुकार का नाम अब्दुल हकीम था। मकबरे का मुख्य गुंबद संगमरमर से बना हुआ है। गुंबद के चारों ओर चार छोटी मीनारें हैं। गुंबद के नीचे बेगम उम्मतुज़ ज़ोहरा बानो की कब्र है। कब्र के चारों ओर संगमरमर की जालीदार दीवारें बनी हुई हैं।
मकबरे का परिसर बहुत ही खूबसूरत है। परिसर में कई पेड़-पौधे लगे हुए हैं। परिसर में एक छोटा सा झील भी है। बेगम उम्मतुज़ ज़ोहरा बानो का मकबरा अयोध्या की एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक विरासत है। यह मकबरा अयोध्या की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है।
11. गुप्तार घाट
गुप्तार घाट पर भगवान राम ने ले ली थी जलसमाधि, जहा आज भी यहां शांत बहती है सरयू :-
अयोध्या, भगवान राम की जन्मभूमि, एक पवित्र शहर है जो हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस शहर में कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें से एक गुप्तार घाट है।
गुप्तार घाट सरयू नदी के किनारे स्थित एक खूबसूरत घाट है। यह घाट भगवान राम के जीवन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण स्थान है। मान्यता है कि भगवान राम ने इसी घाट पर जलसमाधि ली थी।
घाट पर कई छोटे-छोटे मंदिर हैं, जिनमें राम जानकी मंदिर, पुराने चरण पादुका मंदिर, नरसिंह मंदिर और हनुमान मंदिर शामिल हैं। ये मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र हैं।
गुप्तार घाट का नवनिर्माण 19वीं सदी में राजा दर्शन सिंह द्वारा करवाया गया था। घाट का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है। घाट पर एक सुंदर मंदिर भी है, जिसे राजा दर्शन सिंह ने ही बनवाया था।गुप्तार घाट एक शांत और सुंदर स्थान है। यहां आकर मन को शांति मिलती है। घाट के आसपास का इलाका भी बहुत ही खूबसूरत है।
ऊपर बताए गए अयोध्या के पास घूमने के लिए 12 बेहतरीन जगहो में से प्रमुख स्थान भगवान श्री राम का मंदिर जो अयोध्या का मुख्य आकर्षण है जब आप इस मंदिर के दर्शन कर लेते हैं तो उसके पश्चात अगर आपके पास समय है तो आप इनमें से कुछ प्रमुख स्थानों की यात्रा कर सकते हैं |
जिनमें से प्रमुख है हनुमानगढ़ी अयोध्या धाम ओर उसके बाद वह स्थान जिनका अयोध्या नगरी में आज भी कुछ खास महत्व लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जब आप भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का अवलोकन करके बाहर निकले तो वहां पर गाइड से यह आवश्यक जान लेने की अयोध्या में कौन-कौन से प्रमुख स्थान है जिनको आप अपनी सुविधा समय और बजट के अनुसार देख सकते हैं|
हो सकता है कि ऊपर बताया कि सभी स्थान आपके लिए एक दिन या एक समय में देखने के लिए उपयुक्त ना हो और समय सीमा को देखते हुए आप अयोध्या में गाइड की मदद अवश्य लें इसके अलावा इसकी इसके वर्ष भर अयोध्या में कोई ना कोई तीर्थ पर्व चलता रहता है जिनमें से कुछ प्रमुख आयोजनों का हम वर्णन नीचे कर रहे हैं जिसमे आप अपनी सुविधा अनुसार वर्ष भर कभी भी शामिल होकर भगवान श्री राम की नगरी की खूबसूरती का पुण्य लेकर इस जन्म को सफल बना सकते हैं | अधिक जानकारी के लिए देखें
अयोध्या में कौन सी नदी है:-
अयोध्या में सरयू नदी बहती है। यह एक पवित्र नदी है और हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखती है। मान्यता है कि भगवान राम ने इसी नदी में स्नान किया था और इसी नदी के किनारे उन्होंने वनवास के बाद अपने राज्य का राज्याभिषेक किया था।
सरयू नदी उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में बहती है। यह गंगा नदी की एक सहायक नदी है। सरयू नदी की लंबाई लगभग 600 किलोमीटर है। यह नदी उत्तर प्रदेश के कई जिलों से होकर गुजरती है, जिनमें अयोध्या, गोरखपुर, देवरिया, मऊ और बलिया शामिल हैं।
सरयू नदी अयोध्या की अर्थव्यवस्था और संस्कृति के लिए भी महत्वपूर्ण है। नदी के किनारे कई मंदिर और घाट हैं। यह नदी अयोध्या के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत भी है।
सरयू नदी अयोध्या की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह नदी अयोध्या की आस्था और संस्कृति को संजोए हुए है।
लखनऊ से अयोध्या की दूरी:-
लखनऊ से अयोध्या की दूरी सड़क मार्ग से लगभग 135 किलोमीटर है। यह दूरी कार या बस से लगभग 2 घंटे 30 मिनट में तय की जा सकती है। रेल मार्ग से यह दूरी लगभग 150 किलोमीटर है और ट्रेन से यात्रा का समय लगभग 2 घंटे 45 मिनट है। हवाई मार्ग से यह दूरी लगभग 175 किलोमीटर है और हवाई यात्रा का समय लगभग 30 मिनट है।
लखनऊ से अयोध्या जाने के लिए सबसे लोकप्रिय मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग 27 है। यह मार्ग लखनऊ से फैजाबाद होते हुए अयोध्या जाता है। इस मार्ग पर यातायात का दबाव कम रहता है और यात्रा सुखद होती है।
लखनऊ से अयोध्या जाने के लिए कुछ अन्य मार्ग भी हैं, जैसे कि राष्ट्रीय राजमार्ग 30 और राष्ट्रीय राजमार्ग 731। ये मार्ग भी लखनऊ से फैजाबाद होते हुए अयोध्या जाते हैं, लेकिन इन मार्गों पर यातायात का दबाव अधिक रहता है।
अयोध्या का दीपोत्सव: प्रकाश का अविस्मरणीय उत्सव
अयोध्या का दीपोत्सव महज दीपावली की पूर्व संध्या नहीं है, बल्कि भव्यता और श्रद्धा का महासंगम है। यह भगवान राम के चौदह वर्ष के वनवास के बाद अपने राज्य, अयोध्या, लौटने के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला प्रकाश का अविस्मरणीय उत्सव है।
लाखों दियों की जगमगाती रात: दीपोत्सव के दौरान पूरा अयोध्या लाखों दीयों की रोशनी से नहा जाता है। सरयू नदी का तट जगमगा उठता है, मंदिर सोने से झिलमिलाते हैं और गलियां रोशनी से भर जाती हैं। यह दृश्य मानो अयोध्या के निवासियों के जयकारों और रामधुनों के साथ स्वर्ग को पृथ्वी पर उतार देता है।
संस्कृति का रंगारंग कार्यक्रम: दीपोत्सव उत्सव सिर्फ रोशनी का तमाशा नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सिलसिला भी है। रामलीला का मंचन, भजन-कीर्तन का गुंजार, शास्त्रीय नृत्य और लोकनृत्य के प्रदर्शन इस उत्सव को और भी मनमोहक बना देते हैं।
महाआरती का दिव्य अनुभव: शाम के धुंधलके में सरयू नदी के तट पर हजारों श्रद्धालु एकत्रित होकर महाआरती में भाग लेते हैं। दियों की जगमगाहट के बीच पंडितों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ की जाने वाली यह महाआरती अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करती है।
संपूर्ण विश्व को आकर्षित करता दीपोत्सव: अयोध्या का दीपोत्सव भारत ही नहीं, बल्कि समूचे विश्व के श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। हर साल हजारों की संख्या में लोग इस अनूठे उत्सव को देखने और अनुभव करने के लिए अयोध्या पहुंचते हैं।
पारंपरिकता और आधुनिकता का संगम: दीपोत्सव परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम है। लाखों दियों की जगमगाहट और आधुनिक प्रकाश तकनीकों का समावेश इस उत्सव को और भी भव्य बनाता है।
दीपोत्सव से परे, एक संदेश: अयोध्या का दीपोत्सव केवल एक उत्सव ही नहीं, बल्कि बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक भी है। लाखों दियों की रोशनी अंधकार को मिटाकर आशा का संदेश फैलाती है। यह प्रकाश का पर्व हमें अंधकार से लड़ने और अपने जीवन में आशा जगाने की प्रेरणा देता है।
अंत में, अयोध्या का दीपोत्सव केवल एक दृश्य नहीं, बल्कि अनुभव है। यह प्रकाश का, संस्कृति का और आस्था का अनोखा संगम है जो आपके मन में हमेशा अविस्मरणीय छाप छोड़ देगा।
राम नवमी मेला
राम नवमी मेला अप्रैल में मनाया जाता है और यह भगवान राम के जन्मदिन का उत्सव है। यह हिंदू धर्म के पाँच सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। मेले के दौरान, रामलीला का मंचन किया जाता है और मंदिरों को सजाया जाता है। हजारों श्रद्धालु इस मेले में भाग लेते हैं और भगवान राम को प्रणाम करते हैं।
श्रावण झूला मेला
श्रावण झूला मेला अगस्त में मनाया जाता है और यह भगवान राम, लक्ष्मण और सीता के जीवन का उत्सव है। यह मेला श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि को मनाया जाता है। मेले के दौरान, श्रद्धालु भगवान राम, लक्ष्मण और सीता की मूर्तियों को झूलों पर रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं। मेले में रामलीला का मंचन भी किया जाता है।
राम लीला
राम लीला भगवान राम के जीवन का लोक नाट्य रूपांतर है। यह हिंदू महाकाव्य रामायण पर आधारित है। राम लीला शारदीय नवरात्रि के दौरान 10 से अधिक रातों तक मंचित की जाती है।
राम लीला के मंचन में, भगवान राम, लक्ष्मण और सीता के जीवन की कहानी को अभिनय के माध्यम से बताया जाता है। राम लीला के मंचन का उद्देश्य भगवान राम के जीवन और आदर्शों का प्रचार करना है।
परिक्रमाएँ
अयोध्या में तीन प्रमुख परिक्रमाएँ हैं: अनंतग्रही परिक्रमा, पंचकोशी परिक्रमा और चतुर्दशकोशी परिक्रमा। ये परिक्रमाएँ भगवान राम की आस्था और भक्ति को प्रदर्शित करती हैं।
अनंतग्रही परिक्रमा सबसे छोटी है और इसे एक दिन में पूरा किया जा सकता है। पंचकोशी परिक्रमा 16 किलोमीटर लंबी है और इसे भी एक दिन में पूरा किया जा सकता है। चतुर्दशकोशी परिक्रमा 45 किलोमीटर लंबी है और इसे एक दिन में पूरा करना मुश्किल है।
यह भी पढ़ें :-
- दिल्ली से अयोध्या कैसे पहुंचे
- अयोध्या हवाई जहाज से कैसे पहुंचे
- अयोध्या में कहां रुके, यह है बेस्ट जगह
- अयोध्या राम मंदिर में दर्शन का समय-ऑनलाइन बुकिंग
अयोध्या में कहां रुके :-
- अयोध्या में रहने के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं। आप होटल, धर्मशाला, या घरेलू आवास किराए पर ले सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप चेक करे
- अयोध्या में खाने के लिए कई विकल्प भी उपलब्ध हैं। आप स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लेने के लिए कई रेस्तरां और भोजनालयों में से चुन सकते हैं।
- अयोध्या की यात्रा का सबसे अच्छा समय शीतकाल (नवंबर से मार्च) है। इस समय मौसम सुहावना होता है और पर्यटकों की भीड़ कम होती है।
निष्कर्ष :-
जैसा कि हमने जाना की अयोध्या नगरी में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर के दर्शन करने के बाद आप 12 अन्य स्थानों का भी भ्रमण अपनी सुविधा अनुसार कर सकते हैं इसके अलावा आप अपनी अयोध्या यात्रा के दौरान निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रख सकते हैं|
अयोध्या में फेमस चीज क्या है?
भगवान श्री राम के भव्य मंदिर के निर्माण के बाद अयोध्या के अंदर घूमने के लिए नीचे दी गई कुछ और फेमस स्थान है:-
रामकोट
कनक भवन
हनुमान गढ़ी
मणि पर्वत
नागेश्वर नाथ मंदिर
तुलसी स्मारक भवन
सरयू नदी
गुरुद्वारे
अयोध्या का पुराना नाम क्या है?
अयोध्या का पुराना नाम “साकेता” है। यह नाम संस्कृत के शब्द “सह” (साथ) और “अकेतन” (घर या भवन) से बना है। इसका शाब्दिक अर्थ है “जिसमें कई घर हों” या “जिसमें कई भवन हों”। यह नाम इस शहर की समृद्धि और ऐश्वर्य को दर्शाता है।
अयोध्या का पुराना नाम “साकेता” संस्कृत, जैन, बौद्ध, ग्रीक और चीनी स्रोतों में प्रमाणित है। रामायण में अयोध्या को प्राचीन कोशल साम्राज्य की राजधानी बताया गया है। इसलिए इसे “कोशल” भी कहा जाता था। आदि पुराण में कहा गया है कि अयोध्या “अपनी समृद्धि और अच्छे कौशल के कारण” सु-कोशल के रूप में प्रसिद्ध है।
अयोध्या का मंदिर कब बनेगा?
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12:20 बजे होगा
अयोध्या में कुल कितने मंदिर हैं?
अयोध्या में कुल 100 से अधिक मंदिर हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध मंदिर श्री रामजन्मभूमि मंदिर है, जो भगवान राम के जन्मस्थान पर स्थित है। अन्य महत्वपूर्ण मंदिरों में हनुमान गढ़ी मंदिर, कनक भवन मंदिर, और लक्ष्मण मंदिर शामिल हैं।
लखनऊ से अयोध्या कितने घंटे का रास्ता है?
लखनऊ से अयोध्या की दूरी 135 किलोमीटर है। ट्रेन से यात्रा करने पर यह दूरी लगभग 2 घंटे में तय की जा सकती है। सबसे तेज ट्रेन, वंदे भारत एक्सप्रेस, 1 घंटे 58 मिनट में यह दूरी तय करती है।
कार या बस से यात्रा करने पर यह दूरी लगभग 3 घंटे में तय की जा सकती है।
अयोध्या से चित्रकूट की दूरी?
अयोध्या से चित्रकूट की दूरी 263 किलोमीटर है। यह दूरी कार या बस से यात्रा करने पर लगभग 6 घंटे में तय की जा सकती है। ट्रेन से यात्रा करने पर यह दूरी लगभग 7 घंटे में तय की जा सकती है।
अयोध्या से चित्रकूट जाने के लिए सबसे तेज ट्रेन, तुलसी एक्सप्रेस, 6 घंटे 55 मिनट में यह दूरी तय करती है।
अयोध्या में रुकने के लिए धर्मशाला?
अयोध्या में रुकने के लिए कई धर्मशालाएं उपलब्ध हैं। ये धर्मशालाएं आमतौर पर कम कीमत पर रहने की सुविधा प्रदान करती हैं। अयोध्या में कुछ लोकप्रिय धर्मशालाएं निम्नलिखित हैं:
बिरला धर्मशाला – यह धर्मशाला श्री रामजन्मभूमि मंदिर के पास स्थित है। यह धर्मशाला में कमरे, भोजनालय और सभागार जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
महाराष्ट्र धर्मशाला – यह धर्मशाला अयोध्या रेलवे स्टेशन के पास स्थित है। यह धर्मशाला में कमरे, भोजनालय और सभागार जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
जय माँ सरू अयोध्या धाम धर्मशाला – यह धर्मशाला हनुमान गढ़ी मंदिर के पास स्थित है। यह धर्मशाला में कमरे, भोजनालय और सभागार जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। अधिक जानकारी के लिये चेक करे