माँ धारी देवी जो की देवी काली का एक रूप है , जिनका मंदिर उत्तराखंड में श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच अलकनंदा नदी के किनारे बना है | यदि आप भी माँ धारी देवी के मंदिर के दर्शन करना चाहते है तो हम यहाँ बताएँगे की आप धारी देवी मंदिर कैसे पहुंचे और इस रहस्यमय मंदिर की क्या कहानी है |
माँ धारी देवी का मंदिर पौड़ी जिले के कल्यासौर में स्थित प्रसिद हिन्दू मंदिर है जो की केदारनाथ -बद्रीनाथ हाईवे से मात्र कुछ पैदल दूरी पर अलकनंदा नदी के तट पर है |
माँ धारी देवी मंदिर में देवी धारी की मूर्ति का ऊपरी आधा हिस्सा है जो की दिन में तीन रूपों को धारण करती है तो वही मूर्ति का निचला हिस्सा कालीमठ मंदिर में है , जहां उन्हें देवी काली के रूप में पूजा जाता है।
माँ धारी देवी का यह रहस्यमय मंदिर श्रीनगर गढ़वाल से मात्र 15 किमी, रुद्रप्रयाग से 20 किमी और दिल्ली से 360 किमी की दूरी पर है।
वैसे तो माँ धारी देवी की पूजा करने के लिए भक्त पूरे साल यहां आते हैं, लेकिन नवरात्रि के दौरान तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ जाती है और लोग आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यहां आते हैं, जिनमें ज्यादातर नवविवाहित जोड़े होते हैं।
इस मंदिर में चैत्र नवरात्रि और आश्विन नवरात्रि के अवसर पर पूजा अर्चना की विशेष महत्त्व है तो वही दशहरा, दीपावली और कार्तिक पूर्णिमा के त्यौहार पर यहाँ पर बहुत धूमधाम से मनाये जाते हैं।
धारी देवी मंदिर का इतिहास | History of Dhari devi Temple uttarakhand in hindi
माँ धारी देवी का इतिहास लगभग 600 सालो से भी पुराना माना जाता है और श्रीमद्भागवत के अनुसार माँ धारी देवी का मंदिर 108 शक्तिपीठ में से एक माना गया है |
पुराणिक मान्यताओं के अनुसार माँ धारी देवी अपने सात भाइयों की इकलौती बहन थीं और जब वे बहुत छोटी थी उसी दौरान उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई। माँ धारी देवी ने अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद उनका पालन-पोषण किया , मगर इस दौरान उनके भाइयो का पता चला की धारी देवी के गृह उनके लिए सही नहीं है |
इस प्रकार जब धारी देवी मात्र 13 साल की थी तो सभी भाइयों अपनी पत्नियों को शामिल करने की योजना बनाई और उसे मार डाला, उसका सिर नदी में बहा दिया और सिर धारी गांव में कल्यासौर में आया जहां एक धोबी ने एक लड़की को तैरते हुए देखा|
वह व्यक्ति मदद करने के लिए, नदी में उतरने से डर रहा था क्योंकि नदी बहुत गहरी थी, तभी अचानक उसने एक कराह सुनी और एक दिव्य आवाज ने उसे बचाने का आदेश दिया और उसको उसकी सुरक्षा का आश्वासन दिया।
जब उसने देखा कि यह कोई लड़की नहीं है, केवल एक सिर है तब देवी ने उस सिर को वहीं एक पत्थर पर रखने का आदेश दिया। और इस तरह धारी देवी की मूर्ति धारी गांव के पास चट्टानों में फंस गई| बाद में यही पर माँ धारी देवी के मंदिर की स्थापना की गई जिसको बाद में 2013 में व्य्स्थापित किया गया |
माँ धारी देवी की शेष शरीर कालीमठ में आज भी मां मेथना मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है और स्थानीय लोगों के बीच मां काली के 108 शक्ति स्थलों में से एक के रूप में प्रचलित है।
धारीदेवी मंदिर के बारे में आश्चर्यजनक तथ्य | Dhari devi Temple Mystery in Hindi
- माँ धारी देवी को उत्तराखंड की रक्षक देवी भी माना जाता है | वह एक ऐसी रहस्यमय देवी हैं जिनका चेहरा समय के साथ बदलता रहता है। सुबह के समय वह एक छोटी लड़की के रूप में दिखाई देंगी, जबकि दोपहर में वह एक युवा महिला में बदल जाएंगी जबकि शाम होते होते वह एक बूढ़ी महिला के रूप में दिखाई देंगी।
- देवी धारी देवी के बारे में कहा जाता है कि उनके दो भाग हैं जहा उनका ऊपरी शरीर धारी देवी मंदिर में दिखाई देता है, जहां काली मां की शांत आकृति है और उनका निचला शरीर कालीमठ मंदिर में दिखाई देता है, जहां उनकी क्रोधित आकृति है और उन्हें मां काली के रूप में पूजा जाता है।
- माँ धारीदेवी का मंदिर 2013 से पहले अलकनंदा नदी तट पर स्थित एक विशाल चट्टान पर बना था जिसको बाद में श्रीनगर में चल रहे बांध परियोजना के कारण मूर्ति को इसके स्थान से हटाया गया |
- स्थानीय लोगों के अनुसार श्रीनगर में चल रहे हाइडिल-पॉवर प्रोजेक्ट के लिए साल 2013 में 16 जून की शाम को पुराने मंदिर से मां धारी की प्रतिमा को से हटा दिया गया था और उसके कुछ घंटे बाद ही 17 जून को केदारनाथ में तबाही आ गई थी।
- इस तबाही में हजारों लोगों की जान गई और श्रद्धालुओं का मानना है कि मां धारी की प्रतिमा के विस्थापन के कारण ही केदारनाथ की भयंकर आपदा आई थी |
- ऐसी मानना है की उत्तराखंड में स्थित चारों धामों को धारण करने वाली धारी देवी के मंदिर में कोई या किसी भी प्रकार का परिवर्तन किया जाता है, तो उत्तराखंड के चारों धाम में भयंकर आपदा आ जाती है क्योंकि ऐसी मान्यता है की माँ धारी देवी मंदिर ही उत्तराखंड के चारों धामों को अपने में धारण किए हुए हैं और इन धामों में किसी भी आपदा के संकते माँ धारी देवी के मंदिर में मिलने शुरू हो जाते है |
- उत्तराखंड में देवी दुर्गा की अलग-अलग रूपों में पूजा जाता है , ऐसे में श्रीनगर से 15 किमी दूरी पर कलियासौड़ में अलकनन्दा नदी के किनारे सिद्धपीठ मां धारी देवी का मंदिर को उत्तराखंड के छोटे चार धाम को धारण करने वाला माना जाता है जिसके कारण माँ धारी देवी का नाम धारण करने वाली देवी के नाम से ही धारी देवी पड़ा।
धारी देवी मंदिर कैसे पहुंचे | How to reach Dhari devi Temple distance
धारी देवी मंदिर श्रीनगर गढ़वाल से मात्र 15 किलोमीटर दूरी क्ल्यासौर में अलकनंदा नदी के किनारे बना है | धारी देवी मंदिर ऋषिकेश से मात्र 125 किलोमीटर दूर है | धारी देवी मंदिर जाने के लिए आपको सबसे पहले श्रीनगर आना होगा | यहाँ से मात्र एक घंटे के सफ़र से बद्रीनाथ केदारनाथ राजमार्ग से कुछ ढलान की दूरी तय कर आप आसानी से धारी देवी मंदिर पहुच सकते है | हालांकि अब धारी देवी मंदिर तक सड़क का काम जारी है |
हवाई मार्ग से धारीदेवी मंदिर कैसे पहुंचे | Dhari devi Temple by flight
हवाई मार्ग से धारी देवी पहुचेने के लिए नजदीकी एअरपोर्ट देहरादून के जोली ग्रांट एअरपोर्ट है जहा से आगे आप सड़क मार्गे से 140 किलोमीटर की दूरी 4 घंटे में तय कर धारी देवी पहुच सकते है |
जोली ग्रांट एअरपोर्ट के लिए देश के सभी प्रमुख शहरों से उडान उपलब्ध है |
रेल मार्ग से धारीदेवी मंदिर कैसे पहुंचे | Dhari devi Temple by train from Rishikesh
धारी देवी मंदिर रेल मार्ग से जाने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन अभी ऋषिकेश है फिर यहाँ से आगे के 125 किलोमीटर की दूरी को आप सड़क मार्गे से बस या शेयरिंग टैक्सी से 4 घंटे में आसानी से पूरी कर सकते है |
हालांकि ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल मार्ग का कार्य अपने चरम पर है और फिर ऋषिकेश से आप रेल मार्ग से आसानी से 1 घंटे में धारी देवी मंदिर अगले साल तक आसानी से पहुचे सकते है |
सड़क मार्ग से धारीदेवी मंदिर कैसे पहुंचे | How to reach Dhari devi Temple by road
धारी देवी मंदिर बद्रीनाथ -केदारनाथ चार धाम यात्रा मार्ग पर स्तिथ है , और सड़क मार्ग से धारी देवी मंदिर पहुचने का एक मात्र साधन अभी है |
सड़क मार्गे से धारी मंदिर जाने के लिए आपको सबसे पहले श्रीनगर गढ़वाल आना होगा और फिर यहाँ से मात्र 14 किलोमीटर की दूरी पर कल्यासौर में माँ धारी देवी का मंदिर है |
श्रीनगर पहुचेने के लिए आपको दिल्ली , हरिद्वार या ऋषिकेश से आसानी से बस मिल जाती है |
धारी देवी मंदिर के खुलने और बंद होने का समय |dhari devi temple timing
धारी देवी का मंदिर भक्तो के लिए सुबह सुबह ही खुल जाता है मगर फिर भी मंदिर खुलने और बंद होने का समय सर्दी और गर्मी में बदलता रहता है वही नवरात्रि और विशेष अवसरों पर भी मंदिर के खुलने और बंद होने के समय में कुछ अन्तर रहता है |
वैस आप सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक आसानी से माँ धारी देवी के दर्शन कर सकते है |
Opening and Closing time of Dhari Devi Temple
दिन | माँ धारी देवी मंदिर खुलने और बंद होने का समय |
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Monday-सोमवार | 6:00 AM – 7:00 PM |
Tuesday-मंगलवार | 6:00 AM – 7:00 PM |
Wednesday-बुधवार | 6:00 AM – 7:00 PM |
Thursday-वीरवार | 6:00 AM – 7:00 PM |
Friday-शुक्रवार | 6:00 AM – 7:00 PM |
Saturday-शनिवार | 6:00 AM – 7:00 PM |
Sunday-रविवार | 6:00 AM – 7:00 PM |
दिल्ली से धारीदेवी मंदिर कैसे पहुंचे | How to reach Dhari devi temple from Delhi
दिल्ली से धारी देवी मंदिर की दूरी लगभग 380 किलोमीटर है जिसको आप बस ,शेयरिंग टैक्सी अपनी गाड़ी या मोटरसाइकिल से आसानी से 8 से 10 घंटे में पूरी कर सकते हैं|
दिल्ली से माँ धारी देवी मंदिर जाने के लिए आपको सबसे पहले हरिद्वार या ऋषिकेश जाना होगा और फिर वहां से आप देवप्रयाग होते हुए श्रीनगर के आगे कल्यासौर में धारी देवी के मंदिर पहुंच सकते हैं|
दिल्ली से श्रीनगर धारी देवी मंदिर जाने के लिए आपको दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से उत्तराखंड परिवार निगम की बस आसानी से मिल जाती है जो कि दिल्ली से रात्रि 8:00 बजे चलती है और सुबह 6:00 के आसपास आपको श्रीनगर पहुंचा देगी|
दिल्ली से श्रीनगर तक उत्तराखंड परिवहन बस के निगम का किराया लगभग ₹700 है और यह बस आपको श्रीनगर लगभग 10 घंटे में पहुंचा देगी|
श्रीनगर पहुंचने के बाद आप आगे की 14 किलोमीटर की दूरी लोकल बस या शेयरिंग जीप से जिसका किराया लगभग ₹50 है लगभग 1 घंटे में आसानी से पूरी कर मां धारी देवी के मंदिर पहुंच सकते हैं|
दिल्ली से माँ धारी देवी मंदिर के बीच के प्रमुख स्थान :-
गाजियाबाद>>मेरठ>>मुज़फ्फरनगर>>रुड़की>>हरिद्वार>>ऋषिकेश>तपोवन>शिवपुरी>>तीन धारा>>देवप्रयाग>>श्रीनगर>>धारीदेवी मंदिर
हरिद्वार से धारीदेवी मंदिर कैसे पहुंचे | How to reach Dhari devi temple from Hardiwar
हरिद्वार से माँ धारी देवी मंदिर की दूरी लगभग 150 किलोमीटर है जिसको आप बस , या टैक्सी या अपनी कार से 6 से 7 घंटे में आसानी से पूरी कर सकते है |
हरिद्वार से धारी देवी तक लोकल बस जैसे हिमगिरी या विश्वनाथ सेवा का किराया लगभग 320 रूपए रहता है तो वही आप हरिद्वार से उत्तराखंड परिवहन की बस से श्रीनगर आ सकते है और फिर रु 50 में शेयरिंग टैक्सी से माँ धारी देवी के मंदिर जा सकते है |
हरिद्वार से माँ धारी देवी मंदिर के बीच के प्रमुख स्थान :-
हरिद्वार>>ऋषिकेश>तपोवन>शिवपुरी>>तीन धारा>>देवप्रयाग>>श्रीनगर>>धारीदेवी मंदिर
देहरादून से धारीदेवी मंदिर कैसे पहुंचे | How to reach Dhari devi temple from Deharadun
देहरादून से धारी देवी मंदिर की दूरी लगभग 160 किलोमीटर है जिसको आप बस शेयरिंग टैक्सी या अपनी गाड़ी से मात्र 5 से 6 घंटे में पूरी कर सकते हैं|
वैसे तो देहरादून से श्रीनगर के लिए काफी सारी बस सेवा उपलब्ध है जिनके माध्यम से आप आसानी से श्रीनगर होते हुए धारी देवी के मंदिर पहुंच सकते हैं|
देहरादून से श्रीनगर के लिए उत्तराखंड परिवार निगम की बस आपको आसानी से 6 से 7 घंटे में श्रीनगर पहुंचा देगी जिसका किराया रु 650 लगभग रहता है| इसके अलावा आप देहरादून से हरिद्वार या ऋषिकेश आ सकते हैं जहां से श्रीनगर या फिर धारी देवी मंदिर के लिए आसानी से बस मिल जाती है|
देहरादून से माँ धारी देवी मंदिर के बीच के प्रमुख स्थान :-
देहरादून >>रायवाला >>ऋषिकेश>तपोवन>शिवपुरी>>तीन धारा>>देवप्रयाग>>श्रीनगर>>धारीदेवी मंदिर
ऋषिकेश से धारीदेवी मंदिर कैसे पहुंचे | How to reach Dhari devi temple from Rishikesh
ऋषिकेश से माँ धारी देवी मंदिर की बीच की दूरी लगभग 125 किलोमीटर है जिसको आप बस, शेयरिंग टैक्सी या कार के माध्यम से लगभग 6 से 7 घंटे में आसानी से पूरी कर सकते हैं|
ऋषिकेश से मां धारी देवी के मंदिर पहुंचने का सबसे आसान तरीका उत्तराखंड परिवहन निगम की बस या फिर प्राइवेट बस सेवा जैसे विश्वनाथ सेवा, हिमगिरी बस सेवा है|
ऋषिकेश से धारी देवी के मंदिर तक बस का सामान्य किराया लगभग 370 रुपए के आसपास रहता है तो वहीं श्रीनगर तक प्राइवेट बस का किराया लगभग ₹280 के आसपास रहता है|
ऋषिकेश से धारी देवी मंदिर जाने के लिए आपको शेयरिंग टैक्सी भी आसानी से मिल जाएगी जिसका किराया लगभग ₹500 रहता है और जो की आपको ऋषिकेश से धारी देवी मंदिर 6 से 7 घंटे में आसानी से पहुंचा देगी |
ऋषिकेश से माँ धारी देवी मंदिर की दूरी :-
धारी देवी मंदिर पहुंचने का सबसे अच्छा समय | Best time to reach Dhari devi Temple
धारी मंदिर वैसे तो वर्ष के 12 महीनो में खुला रहता है मगर वर्ष में नवरात्रि और दिवाली के समय यहाँ पर भक्तो के काफी भीड़ रहती है |
वही दूसरी और बद्रीनाथ और केदारनाथ के यात्रा शुरू होने पर भी माँ धारी देवी मंदिर में काफी भीड़ रहती है | मां धारी देवी को चार धामों का रक्षक माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि बद्रीनाथ केदारनाथ के दर्शन से पहले आपको मां धारी देवी का आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए इसी कारण अधिकतर भक्ता जो बद्री केदारनाथ की यात्रा करते हैं वह मार्ग में आने वाले माँ धारी देवी के मंदिर के दर्शन कर माँ का आशीर्वाद लेकर फिर आगे की यात्रा करते हैं|
हालांकि बरसात के समय में मां धारी देवी के दर्शन करने में आपको कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इस दौरान यात्रा मार्ग में भूखलन रास्ता बंद होने और अन्य कई प्रकार की समस्याएं रहती हैं|
इस प्रकार से मई और जून और अक्टूबर-नवंबर का महीना मां धारी देवी के दर्शन करने के लिए सबसे बढ़िया रहता है खासकर नवंबर के महीने में नवरात्रि, दशहरा और दिवाली के समय में मंदिर की रौनक अलग ही रहती है और भक्तजनों का मेला लगा रहता है और मंदिर की इस सजावट भी की जाती है|
धारीदेवी मंदिर कलियासौड़ का तापमान | Dhari devi temple Temperature
माँ धारी देवी मंदिर के पास मौसम वर्ष के 12 महीनो में लगभग सुहाना रहता है और तापमान लगभग 5 से 25 डिग्री के आसपास रहता है |
ग्रीष्मकालीन मौसम (अप्रैल से जुलाई)
तेज धूप और शांत हवा के साथ, गर्मियों का मौसम माँ धारी मंदिर कल्यासौर घूमने का सबसे अच्छा समय है। यहां का तापमान मध्यम रहता है, जो 20 डिग्री सेल्सियस से 36 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। गर्मियों के महीनों अप्रैल से जुलाई के बीच माँ धारी देवी के मंदिर के दर्शन चारधाम यात्रा के दौरान करना अपना एक अलग अनुभव और आध्यात्मिकता प्रदान करता है |
मानसून( अगस्त से सितम्बर )
कल्यासौर में मानसून के दौरान मौसन काफी सुहाना रहता है , दिन में लगभग एक समय बारिश होती है मगर इस दौरान माँ धारी देवी के मंदिर मार्ग में यात्रा करना काफी कठिन और मुश्किलें वाला रहता है | इस दौरान तापमान 27 डिग्री सेल्सियस से 18 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। मानसून के दौरान भूस्खलन और रास्ते बंद होने की संभावना रहती है, इसलिए इस मौसम में माँ धारी देवी मंदिर दर्शन की योजना बनाने से पहले मौसम की जानकारी लेना उचित होगा।
सर्दी (अक्टूबर से मार्च )
माँ धारी देवी के दर्शन के लिए अक्टूबर से मार्च के बीच का मौसम सबसे बढ़िया रहता है इस दौरान चार धाम यात्रा में बहुत कम भीड़ रहती है नवरात्रों और दिवाली के समय मंदिर की एक अपने रौनक रहती है और मौसम भी इस दौरान 5 डिग्री से लेकर 20 डिग्री के बीच रहता है|
हालांकि इस दौरान मौसम काफी ठंडा रहता है तो आपको मां धारी देवी की यात्रा के दौरान अपने साथ आवश्यक गर्म कपड़े अवश्य रखना चाहिए|
माँ धारी देवी मंदिर के पास घुमने की जगह | places to visit near dhari devi temple
धारी देवी मंदिर के आसपास घूमने के लिए कुछ शानदार जगहें हैं:
- खिरसू गांव (Khirsu Gaon): धारी देवी से 30 किमी दूर स्थित, खिरसू एक शांत स्थान है। घने चीड़ और देवदार के जंगलों और हरे भरे सेब के बागों से युक्त, यह हिमालय का शानदार नज़ारा भी प्रदान करता है। यहां से आप पंचाचूली, नंदा देवी, नंदा कोट और त्रिशूल जैसी चोटियों का मनोरम दृश्य देख सकते हैं।
- कंडोलिया मंदिर (Kandoliya Mandir): भगवान शिव (कंडोलिया देवता) को समर्पित, यह मंदिर धारी देवी मंदिर से लगभग 46 किमी दूर कंडोलिया पहाड़ियों पर घने देवदार और ओक के जंगल के बीच स्थित है। इस मंदिर के पास ही एक पार्क है जो पौड़ी शहर और गंगवास्युन घाटी का मनोरम दर्शय दिखता है।
- कुँवर कलेश्वर मंदिर (Kyunkaleshwar Mandir): धारी देवी मंदिर से लगभग 49 किमी दूर स्थित, कुँवर कलेश्वर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। माना जाता है कि यह मंदिर आठवीं शताब्दी का है।
- रुद्रप्रयाग (Rudraprayag): धारी देवी मंदिर से लगभग 20 किमी दूर स्थित रुद्रप्रयाग, एक धार्मिक शहर है। इसका नाम भगवान शिव के रुद्र अवतार के नाम पर रखा गया है। रुद्रप्रयाग अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के संगम पर स्थित है। यहां से दो अलग-अलग रास्ते निकलते हैं – एक बद्रीनाथ (लगभग 150 किमी दूर) के लिए और दूसरा केदारनाथ धाम (लगभग 80 किमी दूर) के लिए।
- श्रीनगर
- ऋषिकेश
- हरिद्वार
- शिवपुरी
- कोटेश्वर महाद्देव मंदिर रुद्रप्रयाग
- देवप्रयाग संगम
Dhaari Devi Photo
Dhari devi temple old pics
photo courtesy:- https://www.downtoearth.org.in/news/dhari-devi-lost-and-found-41452
माँ धारी देवी मंदिर के पास होटल | hotels near dhari devi temple
माँ धारी देवी मंदिर के पास ठहराने के होटल काफी कम है , मगर माँ धारी देवी मंदिर से 14 किलोमीटर पहले श्रीनगर और कल्यासौर में आपको ठहरने के काफी सारे साधन मिल जायेंग , यहाँ पर यात्रा के सीजन के हिसाब से आपको रु 1000 से लेकर रु 4000 तक के होटल आसानी से मिल जायेंगे |
धारी देवी से केदारनाथ की दूरी | dhari devi temple to kedarnath distance
धारी देवी से केदारनाथ की दूरी लगभग 118 किलोमीटर है जिसमे गोरीकुंड से 18 किलोमीटर की पैदल यात्रा भी शामिल है | अधिक जानकारी के लिए आप mydevbhoomi पर चेक करे सकते है |
श्रीनगर से माँ धारी देवी मंदिर की दूरी | srinagar uttarakhand to dhari devi temple distance
श्रीनगर से माँ धारी देवी मंदिर की दूरी लगभग 14 किलोमीटर है जिसको आप लगभग 45 मिनट में बस या शेयरिंग टैक्सी से आसनी से पूरी कर सकते है |
उत्तरकाशी से माँ धारी देवी मंदिर की दूरी | uttarkashi to dhari devi temple distance
उत्तरकाशी से माँ धारी देवी की दूरी लगभग 160 किलोमीटर और समय लगभग 6 घंटे का है | उत्तरकाशी से सबसे पहले अपक धरासू बैंड आना होगा और फिर वहा से चंबा होते हुए आप श्रीनगर से आगे माँ धारी देवी मंदिर आसानी से पहुच सकते है |
उत्तरकाशी से माँ धारी देवी मंदिर के बीच प्रमुख स्थान
उत्तरकाशी> धरासू बैंड > चिलियासौर > चम्बा > श्रीनगर
धारी देवी मंदिर किस जिले में है
धारी देवी मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी जिले में श्रीनगर से 14 किलोमीटर दूरी कल्यासौर में अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है |
क्या धारी देवी मंदिर के लिए कोई प्रवेश शुल्क है ?
नहीं , माँ धारी देवी मंदिर में प्रवेश निशुल्क है |