उत्तराखंड, भारत का एक पहाड़ी राज्य, अपने प्राकृतिक सौंदर्य और साहसिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। सर्दियों में, उत्तराखंड एक जादुई दुनिया में बदल जाता है, जब हिमपात होता है और पहाड़ों को एक सफेद चादर से ढक दिया जाता , यहाँ हम आपको बताएंगे उत्तराखंड के 9 सबसे अच्छे विंटर ट्रेक (best trek in uttarakhand) के बारे मे | यह मौसम शीतकालीन ट्रेकिंग के लिए एकदम सही है, जो रोमांच और सुंदरता का एक अनूठा मिश्रण प्रदान करता है।
Overview of Uttarakhand
उत्तराखंड, हिमालय की गोद में बसा हुआ, न केवल आध्यात्मिक महत्व का दावा करता है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों और ट्रैकर्स के लिए एक आश्रय के रूप में भी है। सर्दियों का मौसम इसके पहले से ही लुभावने सौंदर्य में शांति की एक परत जोड़ देता है।
Significance of Winter Treks
सर्दियों के ट्रेक हिमालय का एक पूरी तरह से अलग नजरिया देते हैं। बर्फ से ढके रास्ते, जमे हुए झील, और कुरकुरी पहाड़ी हवा एक ऐसा वातावरण बनाती है जो चुनौतीपूर्ण और विस्मयकारी दोनों है।
यह विंटर ट्रैक न केवल युवाओं के जोश बल्कि उनकी शारीरिक क्षमता को मापने का भी एक अच्छा साधन है | हालांकि कोरोना के बाद विंटर ट्रैक करने वालों को अधिक सावधानी की जरूरत है |
उत्तराखंड के 9 सबसे अच्छे विंटर ट्रैक कौन से हैं यह जानने से पहले इन ट्रेक पर आपको अपने हेल्थ \स्वास्थ्य का किस प्रकार ध्यान रखना है , ट्रेक के दौराने क्या -क्या सामान आपके साथ में लेकर जाना है | मौसम का किस प्रकार ध्यान रखना है आपातकालीन स्थिति में आपको किन-किन चीजों का ध्यान रखना है यह सब चीज जाननी बहुत जरूरी है |
इसके अलावा आप स्ट्राइक के दौरान हमेशा एक अच्छे और भरोसेमंद ट्रैक्टर गाइड खासकर जो बड़ी-बड़ी कंपनियां है जैसे इंडिया हाइक. हिमालय ट्रैक्टर ,ई-उत्तरांचल इनमें से किसी भी ट्रैक्रर से अपना ट्रैक एडवांस में ही बुक कर लें ताकि यात्रा के दौरान आपको किसी भी प्रकार की रहने खाने ,आने जाने की कोई परेशानी ना , क्योंकि ट्रैक्रर में अनुभव का बहुत महत्व होता है एक अनुभवों ट्रैक्रर आपके ट्रैक की यात्रा को न केवल सुरक्षित बनता है बल्कि सुखद और आनंद में भी बना देता है इसीलिए पैसे की परवाह की बगैर हमेशा एक अच्छा ट्रैक और गाइड का ही चयन करें|
यहां पर हम आपकी क्षमता के अनुसार ट्रैक का स्तर भी दे रहे हैं कि कौन सा ट्रेक एक बिगनर के लिए ठीक रहेगा और कौन सा ट्रेक एक अनुभवों ट्रैक्रर के लिए उपयुक्त रहेगा|
Key Considerations for Winter Treks | विंटर ट्रेक के लिए मुख्य बातें
ए .Weather Conditions | मौसम की स्थिति
Impact on Trekking Routes
उत्तराखंड में सर्दियों का मौसम ट्रेकिंग मार्गों को काफी हद तक बदल देता है। बर्फबारी, कम तापमान और हिमस्खलन का खतरा बढ़ जाता है, जिससे रास्ते मुश्किल और खतरनाक हो जाते हैं। इसलिए, उत्तराखंड के 9 सबसे अच्छे विंटर ट्रेक ( best winter treks in uttarakhand) पर जाने से पहले मौसम की स्थिति को अच्छी तरह से समझना बहुत जरूरी है।
यहाँ कुछ बातो का ध्यान रखना चाहिए:
- बर्फबारी: सर्दियों के महीनों में उत्तराखंड में भारी बर्फबारी हो सकती है, जिससे कुछ रास्ते पूरी तरह से बंद हो सकते हैं। इसलिए, यह सुनिश्चित कर लें कि आप जिस ट्रेक पर जाने की योजना बना रहे हैं, वह सर्दियों में खुला रहेगा।
- कम तापमान: पहाड़ों में तापमान तेजी से गिर सकता है, खासकर रात के समय। इसलिए, ठंड से बचाने के लिए पर्याप्त गर्म कपड़े और गियर ज़रूर साथ रखें।
- हिमस्खलन का खतरा: भारी बर्फबारी के बाद हिमस्खलन का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, हिमस्खलन प्रवण क्षेत्रों से बचें और हमेशा एक अनुभवी गाइड के साथ ट्रेक पर जाएं।
आवश्यक गियर/उपकरण /ट्रेक का सामान
सर्दियों में ट्रेकिंग के लिए सही त्रेच्किंग सामान का होना बहुत जरूरी है। यह न केवल आपको ठंड से बचाएगा, बल्कि यह आपके ट्रेक को सुरक्षित और अधिक सुखद भी बनाएगा।
यहाँ कुछ आवश्यक चीजें शामिल हैं:
- इंसुलेटिंग लेयर्स: थर्मल इनरवियर, फ्लीस जैकेट और वाटरप्रूफ जैकेट की लेयरिंग ठंड से बचाने में मदद करेगी।
- वाटर प्रूफ जूते: गीले और बर्फीले रास्तों पर चलने के लिए अच्छे वाटर प्रूफ जूते बहुत जरूरी हैं।
- गर्म मोज़े: ऊनी या थर्मल मोज़े आपके पैरों को गर्म रखेंगे।
- दस्ताने और टोपी: गर्म दस्ताने और टोपी आपके हाथों और सिर को ठंड से बचाएंगे।
- हेडलैम्प: अंधेरे में ट्रेकिंग के लिए एक हेडलैम्प बहुत जरूरी है।
- ट्रेकिंग पोल: बर्फीले और असमान रास्तों पर संतुलन बनाए रखने में ट्रेकिंग पोल मदद कर सकते हैं।
- फर्स्ट-एड किट: किसी भी चोट या बीमारी के लिए प्राथमिक उपचार प्रदान करने के लिए एक प्राथमिक चिकित्सा किट साथ रखें।
- पर्याप्त भोजन और पानी: ट्रेक के दौरान पर्याप्त भोजन और पानी साथ रखें। ठंड के मौसम में शरीर को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
इन आवश्यक चीजों के अलावा, मौसम के हिसाब से और भी चीजें साथ रखनी पड़ सकती हैं। इसलिए, ट्रेक पर जाने से पहले किसी अनुभवी गाइड या ट्रेकिंग कंपनी से सलाह लेना सबसे अच्छा है।
बी. फिटनेस स्तर की आवश्यकताएँ | Fitness Level Requirements
सर्दियों में उत्तराखंड के ट्रेक के लिए शारीरिक फिटनेस और अनुकूलन की आवश्यकता
1. शारीरिक फिटनेस | Physical Fitness
सर्दियों के ट्रेक बर्फ से ढके रास्तों, कम तापमान और ऊंचाई के कारण काफी चुनौतीपूर्ण होते हैं। इसलिए, इन ट्रेक्स को पूरा करने के लिए अच्छी शारीरिक फिटनेस आवश्यक है। नियमित व्यायाम, विशेष रूप से कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, आपको ट्रेक के लिए तैयार करने में मदद कर सकते हैं।
यहाँ कुछ चीजें का ध्यान देना चाहिए:
- स्टैमिना: लंबी दूरी तय करने और ऊंचाई पर चढ़ने के लिए अच्छे स्टैमिना की आवश्यकता होती है।
- शक्ति: बर्फीले और असमान रास्तों पर चलने के लिए पैर और कोर की मजबूती जरूरी है।
- संतुलन: बर्फ और बर्फ से ढके पत्थरों पर चलते समय संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
2. अनुकूलन |Acclimatization
ऊंचाई से संबंधित बीमारियों (एएमएस) को रोकने के लिए समुद्र तल से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाने से पहले धीरे-धीरे अनुकूलन होना जरूरी है। इसका मतलब है कि ट्रेक की शुरुआत से पहले कुछ दिन कम ऊंचाई वाले क्षेत्र में बिताना चाहिए और फिर धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ना चाहिए।
यहाँ अनुकूलन के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं:
- ट्रेक की शुरुआत से पहले कम से कम 2-3 दिन कम ऊंचाई वाले क्षेत्र में बिताएं।
- पहले कुछ दिनों में छोटी और आसान ट्रैक करें।
- धीरे-धीरे ऊंचाई बढ़ाएं और अपने शरीर को समायोजित करने के लिए पर्याप्त आराम दें।
- पानी खूब पिएं और हाइड्रेटेड रहें।
- कैफीन और शराब से बचें।
- अगर आपको एएमएस के कोई लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत नीचे उतरें।
अच्छी शारीरिक फिटनेस और उचित अनुकूलन के साथ, आप सर्दियों में उत्तराखंड के चुनौतीपूर्ण ट्रेक का सुरक्षित और सुखद अनुभव ले सकते हैं। तो, ट्रेनिंग करें, अपना शेड्यूल बनाएं और हिमालय के जादुई सर्दियों के नज़ारों का आनंद लेने के लिए तैयार हो जाएं |
सी . सुरक्षा उपाय |Safety Measures
सर्दियों के ट्रेक में सुरक्षा के लिए आपातकालीन प्रोटोकॉल और प्राथमिक चिकित्सा किट के बारे में जानकारी
1. आपातकालीन प्रोटोकॉल | Emergency Protocols
दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों में ट्रेकिंग करते समय सुरक्षा के लिए आपातकालीन प्रोटोकॉल को जानना और आवश्यक संचार उपकरण ले जाना बहुत महत्वपूर्ण है। यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए:
- अपनी यात्रा की योजना बनाएं और किसी को बताएं: ट्रेक पर जाने से पहले, अपनी यात्रा की पूरी योजना बनाएं, जिसमें आपका मार्ग, समय और अनुमानित वापसी का समय शामिल हो। किसी मित्र या परिवार के सदस्य को अपनी योजना के बारे में बताएं और उन्हें नियमित रूप से अपडेट देते रहें।
- मौसम की स्थिति पर नज़र रखें: ट्रेक पर जाने से पहले और उसके दौरान मौसम की स्थिति पर लगातार नज़र रखें। खराब मौसम की चेतावनी के दौरान ट्रेकिंग से बचें और यदि आप फंस जाते हैं तो शांत रहें और मदद के लिए कॉल करें।
- एक गाइड किराए पर लें: विशेष रूप से सर्दियों में चुनौतीपूर्ण ट्रेक पर जाने पर, एक अनुभवी गाइड किराए पर लेना सबसे अच्छा है। गाइड आपको सुरक्षित रास्ते पर ले जा सकता है, आपको आपातकालीन स्थितियों से निपटने में मदद कर सकता है और आपको क्षेत्र के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है।
- संचार उपकरण ले जाएं: सुनिश्चित करें कि आपके पास एक विश्वसनीय संचार उपकरण है, जैसे कि सैटेलाइट फोन या जीपीएस डिवाइस। यह आपको आपात स्थिति में मदद के लिए कॉल करने में सक्षम करेगा।
- जानिए क्या करना है: आपातकालीन स्थितियों के लिए प्राथमिक उपचार और प्रतिक्रिया तकनीकों को जानना महत्वपूर्ण है। प्राथमिक चिकित्सा का एक कोर्स करें और सीपीआर प्रमाणन प्राप्त करें।
2. प्राथमिक चिकित्सा किट | First Aid Essentials
सर्दियों में ट्रेकिंग के लिए एक अच्छी तरह से सुसज्जित प्राथमिक चिकित्सा किट ले जाना बहुत जरूरी है। किट में निम्नलिखित चीजें शामिल होनी चाहिए:
- पट्टियां और धुंध: कट, खरोंच और मोच के इलाज के लिए
- एंटीसेप्टिक वाइप्स और क्रीम: घावों को साफ करने और संक्रमण को रोकने के लिए
- पेन किलर और बुखार कम करने वाली दवाएं: दर्द और बुखार के इलाज के लिए
- एंटी-डायरिया दवाएं: दस्त के इलाज के लिए
- जलन रोकने वाली क्रीम: मामूली जलन के इलाज के लिए
- सनस्क्रीन और लिप बाम: त्वचा और होंठों को सूरज की किरणों से बचाने के लिए
- इलेक्ट्रोलाइट टैबलेट या पाउडर: निर्जलीकरण को रोकने के लिए
- थर्मामीटर: बुखार की जांच करने के लिए
- पर्सनल मेडिकेशन: यदि आप कोई नियमित दवा लेते हैं, तो उसे पर्याप्त मात्रा में साथ लाएं
ऊंचाई की बीमारी, शीतदंश और अन्य सर्दियों से संबंधित बीमारियों के लिए अतिरिक्त दवाएं ले जाने पर भी विचार करें। अपने डॉक्टर से सलाह लें कि आपको किन विशिष्ट दवाओं की आवश्यकता हो सकती है।
एक अच्छी तरह से सुसज्जित प्राथमिक चिकित्सा किट और आपातकालीन प्रोटोकॉल के ज्ञान के साथ, आप सर्दियों के ट्रेक में सुरक्षित और आराम से भ्रमण कर सकते हैं। तो, अपना बैग पैक करें, किट में आवश्यक चीजें भरें और उत्तराखंड के मनमोहक सर्दियों के नज़ारों का आनंद लेने के लिए तैयार हो जाएं|
उत्तराखंड के 9 सबसे अच्छे विंटर ट्रेक | 9 best winter treks in uttarakhand
केदारकांठा ट्रेक |Kedarkantha Trek:-
उत्तराखंड के सबसे मनमोहक विंटर ट्रेक में से एक, केदारकांठा ट्रेक, उत्तरकाशी में स्थित है। ये पहाड़ियों पर बिखरे जंगल, बर्फीले चोटियों और घास के मैदान आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे। हमारी सूचि में इस ट्रेक का स्थान सबसे पहला है क्योंकि यह सबसे आसान और सबसे प्रसिद्ध ट्रैक है तो आईए जानते हैं इस ट्रैक के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य :-
ट्रैक का स्थान:
- उत्तरकाशी, उत्तराखंड, यहाँ आप देहरादून से आसानी से पहुच सकते है |
दूरी और समय:
- कुल दूरी: लगभग 22 किलोमीटर (आगे और पीछे)
- पूरा करने में लगने वाला समय: 3-4 दिन
ट्रेक का स्तर:
- 22 किमी से अधिक लंबा, यह ट्रेक पहली बार ट्रेक करने आये ट्रेकर्स के लिए सबसे बढ़ियां है। यह ट्रेक, सांकरी गाँव से शुरू होकर घने सुंदर जंगलों के बीच कई लकड़ी के पुलों और धाराओं से होते हुए ट्रेक शिखर तक पहुंचता है।
ट्रेक का विवरण:
- देहरादून से उत्ततरकाशी तक कैब/बस, फिर उत्तरकाशी से सांकरी गांव तक जीप (कुल 187 किमी)
- सांकरी से जुड़वाणी बूग्याल तक ट्रैकिंग (5 किमी, 3-4 घंटे)
- जुड़वाणी बूग्याल से केदारकंठा बेस कैंप तक ट्रैकिंग (4 किमी, 4-5 घंटे)
- केदारकंठा शिखर (12,500 फीट) तक की अंतिम चढ़ाई (2 किमी, 2-3 घंटे)
- केदारकंठा शिखर से वापसी हरोगाँव और फिर सांकरी गाँव
- केदारकांठा शिखर: 12,500 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित शिखर से 360 डिग्री का मनोरम दृश्य दिखाई देता है, स्वर्गारोहिणी, बंदरपूंछ, काली चोटी, यमुनोत्री और गंगोत्री पर्वतमाला समेत हिमालय की चोटियों को देखा जा सकता है।
- घास के मैदान: सर्दियों में बर्फ से ढके हरे-भरे घास के मैदान एक अविस्मरणीय दृश्य प्रस्तुत करते हैं।
- जंगल: देवदार और चीड़ के घने जंगलों से होकर गुजरने का अनुभव रोमांचक होता है।
- सूर्योदय और सूर्यास्त: केदारकांठा से सूर्योदय और सूर्यास्त के नज़ारे अत्यंत मनमोहक होते हैं।
तुंगनाथ और चंद्रशिला ट्रेक, रुद्रप्रयाग |Tungnath and Chandrashila Trek, Rudraprayag
तुंगनाथ और चंद्रशिला ट्रेक उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय ट्रेक में से एक है। यह ट्रेक रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और यहाँ दुनिया का सबसे ऊँचा शिव मंदिर है। तुंगनाथ मंदिर 12,638 फीट की ऊँचाई पर स्थित है और यहाँ से चंद्रशिला चोटी का शानदार दृश्य दिखाई देता है।
ट्रेक का स्थान:
- रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड, चोपता हरिद्वार से आसानी से पहुच सकते है |
दूरी और समय:
- कुल दूरी: लगभग 12 किलोमीटर (आगे और पीछे)
- पूरा करने में लगने वाला समय: 2-3 दिन
ट्रेक का स्तर:
- मध्यम कठिनाई। ऊंचाई में धीरे-धीरे बढ़ोतरी होती है, लेकिन कुछ खड़ी चढ़ाई हैं।
ट्रेक का विवरण:
- देहरादून से चोपता तुंगनाथ वाला ( बस या कार से 240 किलोमीटर )
- ट्रेक चोपता गांव से शुरू होता है। चोपता एक खूबसूरत हिल स्टेशन है जो रुद्रप्रयाग से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- चोपता से 4 किलोमीटर यात्रा से तुंगनाथ मंदिर और चंद्रशिला शिखर (4,000 मीटर) के दर्शन
- तुंगनाथ मंदिर से, 2 किलोमीटर ट्रेक चंद्रशिला चोटी तक पहुँचने के लिए एक छोटी चढ़ाई करनी पड़ती है। चंद्रशिला चोटी से, हिमालय की चोटियों का एक शानदार दृश्य दिखाई देता है।
- तुंगनाथ मंदिर: दुनिया का सबसे ऊँचा शिव मंदिर। मंदिर उत्तराखंड के प्रसिद्ध पंचकेदार मंदिरों में से एक है।
- चंद्रशिला चोटी: 12,400 फीट की ऊँचाई पर स्थित चोटी।
- हिमालय के दृश्य: तुंगनाथ और चंद्रशिला से हिमालय की चोटियों के मनोरम दृश्य दिखाई देते हैं।
हर की दून – देवताओं की घाटी तक की यात्रा, उत्तरकाशी | Har ki dun trek
हर की दून ट्रेक, उत्तरकाशी उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय ट्रेक में से एक है। यह ट्रेक उत्तरकाशी जिले में स्थित है और यहाँ से हिमालय की चोटियों के मनोरम दृश्य दिखाई देते हैं।
कैसे पहुंचें:
- हर की दून ट्रेक उत्तरकाशी जिले में स्थित है।
- आप देहरादून से उत्तरकाशी के लिए बस या शेयरिंग टैक्सी लें ( 190 किलोमीटर सांकरी गाँव तक )।
- उत्तरकाशी से, आप ट्रेक शुरू करने के लिए सांकरी गांव जा सकते हैं, जो उत्तरकाशी से लगभग 20 किलोमीटर दूर है।
कुल दूरी और अवधि:
- कुल दूरी: लगभग 52 किलोमीटर (आगे और पीछे)
- पूरा करने में लगने वाला समय: 5-6 दिन
ट्रेक का स्तर:
- 54 किलोमीटर लंबे ट्रैक में 25 से 30 किलोमीटर का ट्रैक आप गाड़ी के माध्यम से और बाकी पैदल चलकर पूरा करेंगे| ऊंचाई में धीरे-धीरे बढ़ोतरी होती है, लेकिन कुछ खड़ी चढ़ाई हैं।
ट्रेक का विवरण:
- ट्रेक सांकरी गांव से शुरू होता है।
- सांकरी गांव से, पौनी घरात 10 किलोमीटर ट्रेक एक सुंदर घास के मैदान से होकर गुजरता है, जो सर्दियों में बर्फ से ढका होता है।
- फिर पौनी घरात से बसोलो 10 किलोमीटर ओर फिर अगले दिन बसोलो 17 किलोमीटर से हर की दून टाप |
- घास के मैदान से, ट्रेक एक जंगल में प्रवेश करता है, जो देवदार और चीड़ के पेड़ों से भरा हुआ है।
- जंगल से, ट्रेक हर की दून घाटी तक पहुँचता है।
- हर की दून घाटी एक सुंदर घाटी है जो हिमालय की चोटियों के बीच स्थित है।
- घाटी में एक मंदिर है जिसे हर की दून मंदिर कहा जाता है। मंदिर हिंदू भगवान कृष्ण को समर्पित है।
- हर की दून से, ट्रेक वापस सांकरी गांव लौट जाता है।
- हर की दून – देवताओं की घाटी तक की यात्रा
- हर की दून घाटी गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय उद्यान के मध्य में 3566 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ।
ट्रेक के लिए मौसम:
हर की दून ट्रेक के लिए सबसे अच्छा समय नवंबर से मार्च के बीच का होता है, जब बर्फ का आनंद लिया जा सकता है। हालांकि, दिसंबर और जनवरी में मौसम अधिक कठोर हो सकता है। कुल मिलाकर, हर की दून ट्रेक एक शानदार अनुभव है जो आपको उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने का मौका देता है।
दयारा बुग्याल ट्रेक -उत्तरकाशी | Dayara Bugyal trek -Uttarkashi
दयारा बुग्याल ट्रेक एक लोकप्रिय ट्रेक है जो उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है।इसे सामान्यतः 3 से 5 दिनों में पूरा किया जा सकता है। दायरा बुग्याल ट्रैक के बेस कैंप हैं: रैथल और बारसू गांव। आप अपना ट्रैक कही से भी शरू कर सकते है |
कैसे पहुंचें:
- दयारा बुग्याल ट्रेक उत्तरकाशी जिले में स्थित है।
- सबसे अच्छा तरीका है कि आप देहरादून से उत्तरकाशी के लिए बस या ट्रेन लें।
- उत्तरकाशी से, आप ट्रेक शुरू करने के लिए आपको बारसू गाँव जाना है |
कुल दूरी और अवधि:
- कुल दूरी: लगभग 20 किलोमीटर (आगे और पीछे)
- पूरा करने में लगने वाला समय: 2-3 दिन
ट्रेक का स्तर:
- मध्यम कठिनाई। ऊंचाई में धीरे-धीरे बढ़ोतरी होती है, लेकिन कुछ खड़ी चढ़ाई हैं।
ट्रेक का विवरण:
- ट्रेक बारसू गांव से शुरू होता है। देहरादून से बारसू गाँव तक ( 230 किलोमीटर )
- बारसू गांव से, ट्रेक एक सुंदर घास के मैदान से होकर गुजरता है, जो सर्दियों में बर्फ से ढका होता है।
- घास के मैदान से, ट्रेक एक जंगल में प्रवेश करता है, जो देवदार और चीड़ के पेड़ों से भरा हुआ है।
- जंगल से, 4 किलोमीटर ट्रेक से बरनाला ताल ओर फिर दयारा बुग्याल तक पहुँचता है।
- दयारा बुग्याल एक सुंदर घास का मैदान है जो हिमालय की चोटियों के बीच स्थित है।
- दयारा बुग्याल से, ट्रेक वापस बारसू गांव लौट जाता है।
ट्रेक के लिए मौसम:
दयारा बुग्याल ट्रेक के लिए सबसे अच्छा समय मई से जून के बीच का होता है, जब मौसम सुहावना होता है। हालांकि, सितंबर से अक्टूबर के बीच भी ट्रेकिंग की जा सकती है। सर्दियों में, ट्रेकिंग करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि बर्फबारी हो सकती है।
ब्रह्मताल – लोकप्रिय शीतकालीन ट्रेक | Brahmatal Trek
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित ब्रह्मताल ट्रेक एक लोकप्रिय ट्रेक है। यह ट्रेक लगभग 22 किलोमीटर लंबा है और इसे पूरा करने में लगभग 3 दिन लगते हैं। ट्रेक का प्रारंभिक बिंदु लोहाजंग गांव है, जो चमोली जिले की थराली तहसील में स्थित है। लोहाजंग से, ट्रेक एक सुंदर घास के मैदान से होकर गुजरता है, जो सर्दियों में बर्फ से ढका होता है।
कैसे पहुंचें:
- ब्रह्मताल ट्रेक चमोली जिले में स्थित है, जो देहरादून से लगभग 230 किलोमीटर दूर है।
- देहरादून से, आप ऋषिकेश के लिए बस ले सकते हैं और फिर ऋषिकेश से आपको गोपेश्वर या लोहाजंग तक गाड़ी मिल जाएगी। लोहाजंग ट्रेक का प्रारंभिक बिंदु है।
- लोहाजंग तक पहुंचने के लिए आपको लगभग 8-10 घंटे का समय लग सकता है।
कुल दूरी और अवधि:
- ब्रह्मताल ट्रेक लगभग 22 किलोमीटर लंबा है (आगे और पीछे)
- इस ट्रेक को पूरा करने में लगभग 3 दिन लगते हैं।
ट्रेक का स्तर:
- मध्यम से कठिन। ऊंचाई में धीरे-धीरे बढ़ोतरी होती है, लेकिन कुछ खड़ी चढ़ाई और ढलानें हैं।
- यह ट्रेक अनुभवी ट्रैकर्स के लिए अधिक उपयुक्त है।
ट्रेक का विवरण:
- ट्रेक लोहाजंग गांव से शुरू होता है।
- लोहाजंग से, ट्रेक गुजरनी ( 5 किलोमीटर ) के सुंदर घास के मैदानों और देवदार के जंगलों से होकर गुजरता है।
- तीसरे दिन ट्रक गुजरनी से तिलान्दी ( 3 किलोमीटर ) के साथ आप अलकनंदा नदी के भी कुछ मनोरम दृश्य देख सकते हैं।
- घास के मैदान और जंगल से गुजरने के बाद, ट्रेक ब्रह्मताल ताल तक पहुंचता है।
- ब्रह्मताल ताल से, ट्रेक खड़ी चढ़ाई के साथ ब्रह्मताल टॉप की ओर जाता है।
- ब्रह्मताल एक सुंदर झील है जो हिमालय की चोटियों के बीच स्थित है। झील के किनारे पर कुछ टेंट लगाने का स्थान भी है।
- ब्रह्मताल में आप कुछ समय रुककर प्रकृति का आनंद ले सकते हैं और हिमालय की चोटियों के मनोरम दृश्यों का दीदार कर सकते हैं।
- अगले दिन, आप ब्रह्मताल से लोहाजंग गांव वापस आ सकते हैं और फिर लोहाजंग से ऋषिकेश की ओर जा सकते हैं।
ट्रेक के लिए मौसम:
- ब्रह्मताल ट्रेक के लिए सबसे अच्छा समय मई से जून के बीच का होता है, जब मौसम सुहावना होता है।
- हालांकि, सितंबर से अक्टूबर के बीच भी ट्रेकिंग की जा सकती है।
- सर्दियों में, ट्रेकिंग करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि बर्फबारी हो सकती है।
डोडी ताल ट्रेक, उत्तरकाशी | Dodi Tal trek
डोडी ताल उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक खूबसूरत ताल है। यह ताल समुद्र तल से 3,310 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और हिमालय की चोटियों के बीच स्थित है। डोडी ताल ट्रेक एक लोकप्रिय ट्रेक है जो आपको उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने का मौका देता है।
कैसे पहुंचें:
- डोडी ताल ट्रेक उत्तरकाशी जिले में स्थित है, जो देहरादून से लगभग 180 किलोमीटर दूर है।
- देहरादून से, आप ऋषिकेश के लिए बस ले सकते हैं और फिर ऋषिकेश से आपको उत्तरकाशी के लिए बस या टैक्सी मिल जाएगी। उत्तरकाशी से, आप ट्रेक शुरू करने के लिए अगोड़ा गांव जा सकते हैं, जो उत्तरकाशी से लगभग 16 किलोमीटर दूर है।
कुल दूरी और अवधि:
- डोडी ताल ट्रेक लगभग 48 किलोमीटर लंबा है (आगे और पीछे)
- इस ट्रेक को पूरा करने में लगभग 2-3 दिन लगते हैं।
ट्रेक का स्तर:
- मध्यम। ऊंचाई में धीरे-धीरे बढ़ोतरी होती है, लेकिन कुछ खड़ी चढ़ाई और ढलानें हैं।
- यह ट्रेक सभी स्तर के ट्रैकर्स के लिए उपयुक्त है।
ट्रेक का विवरण:
- ट्रेक अगोड़ा गांव से शुरू होता है।
- अगोड़ा गांव से, ट्रेक एक सुंदर घास के मैदान से होकर गुजरता है, जो सर्दियों में बर्फ से ढका होता है।
- घास के मैदान से, ट्रेक एक जंगल में प्रवेश करता है, जो देवदार और चीड़ के पेड़ों से भरा हुआ है।
- वैसे डोडी ताल की यात्रा संगम चट्टी से शुरू होती है|
- अगोड़ा गांव तक पहुंचने के लिए आपको लगभग 2-3 घंटे का समय लग सकता है।
- अगोड़ा गांव से डोडी ताल तक की ट्रैक की दूरी 22 किलोमीटर है इसको दो-तीन दिन में पूरा किया जा सकता है |
- अगोड़ा गांव से आगे बैबरा तक की दूरी 5 से 6 घंटे में पुरी की कर सकते है |
- इसके पश्चात देवरा से डोडी ताल की कुल ट्रैक की दूरी 14 किलोमीटर है और उसके बाद डोडी ताल से आप दरवाजा टॉप जा सकते हैं जो की ड्यूटी ताल से 5 किलोमीटर दूर है यहां पहुंचने में तीन-चार घंटे लगेंगे |
- वापसी में डोडी ताल से अगोड़ा गांव तक 14 किलोमीटर की दूरी को आसानी से पूरा कर सकते हैं |
- झील के पास भगवान श्री गणेश का एक मंदिर भी है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह स्थान भगवान श्री गणेश की जन्मस्थली भी है और माना जाता है कि भगवान श्री गणेश का जन्म यही पर हुआ था |
ट्रेक के लिए मौसम:
- डोडी ताल ट्रेक के लिए सबसे अच्छा समय मई से जून के बीच का होता है, जब मौसम सुहावना होता है।
- हालांकि, सितंबर से अक्टूबर के बीच भी ट्रेकिंग की जा सकती है।
- सर्दियों में, ट्रेकिंग करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि बर्फबारी हो सकती है।
नाग टिब्बा ट्रेक, मुन्सूरी | Nag tibba trek
नाग टिब्बा भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक लोकप्रिय ट्रेकिंग गंतव्य है। यह समुद्र तल से 3022 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और हिमालय के शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। नाग टिब्बा के शिखर तक पहुंचने के लिए कुछ मुख्य ट्रेकिंग मार्ग हैं:
1. देवलसारी गांव से ट्रेक
- यह मार्ग देवलसारी गांव से शुरू होता है, जो मसूरी से लगभग 13 किलोमीटर दूर है।
- इस रास्ते में घने देवदार के जंगल से गुजरना पड़ता है और यह एकांत जगह तक जाता है जहाँ लगभग कोई आबादी नहीं है।
- देवलसारी में फॉरेस्ट गेस्ट हाउस में ठहरने की व्यवस्था है।
- शिखर तक पहुंचने के लिए 3 किलोमीटर का अतिरिक्त ट्रेक करना पड़ता है।
2. पंथवारी गांव से ट्रेक
- यह नाग टिब्बा बेस कैंप और शिखर तक पहुंचने के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला मार्ग है।
- पंथवारी गांव मसूरी से 50 किलोमीटर और देहरादून से 85 किलोमीटर की दूरी पर है।
- पंथवारी गांव से यह सबसे छोटा रास्ता है लगभग 8.5 किलोमीटर, लेकिन थोड़ा मुश्किल है और इसके लिए आपको एक गाइड की आवश्यकता होगी |
- पथवारी से कैथैन कैंप ओर फिर वहा से नाग टिब्बा |
इन रास्तों में से कौन सा रास्ता आपके लिए सबसे अच्छा है, यह आपकी फिटनेस के स्तर, अनुभव और समय की उपलब्धता पर निर्भर करता है। देवलसारी गांव से वाला रास्ता सबसे शांत और प्राकृतिक है, जबकि पंथवारी गांव से वाला रास्ता सबसे छोटा है। तो, नाग टिब्बा की अपनी यात्रा की योजना बनाएं और हिमालय के मनोरम दृश्यों का आनंद लें|
गुलाबी कांठा ट्रैक: एक्सप्लोर करें हिमालय की छटा को | Gulabi Kantha Track
1. कैसे पहुंचें:
- गुलाबी कांठा ट्रैक उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हनुमान चट्टी गांव से शुरू होता है।
- दिल्ली से हनुमान चट्टी तक पहुंचने के लिए लगभग 6-7 घंटे का ड्राइव (172 किमी) है। आप टैक्सी या बस सर्विस का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- आप देहरादून, हरिद्वार या ऋषिकेश से भी हनुमान चट्टी तक पहुंच सकते हैं।
2. दूरी और अवधि:
- कुल ट्रैक की लंबाई लगभग 18 किमी है।
- इसे आम तौर पर 4 दिन और 3 रात में पूरा किया जाता है।
- हालांकि, अनुभवी ट्रेकर्स इसे 3 दिन और 2 रात में भी पूरा कर सकते हैं।
3. ट्रैक का लेवल:
- गुलाबी कांठा ट्रैक को मध्यम कठिनाई वाला स्तर माना जाता है। इसमें ऊंचाई में लगातार चढ़ाई शामिल है, जो कुछ लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
- कम अनुभव वाले लोगों के लिए बेहतर होगा कि वे गाइड के साथ ट्रैक करें।
4. ट्रैक विवरण:
- ट्रैक हनुमान चट्टी से शुरू होता है, जो यमुना और हनुमान गंगा नदियों के संगम पर स्थित है।
- पहले दिन, आप सीमा थैच तक 10 किमी का रास्ता तय करते हैं, जो एक सुंदर घास का मैदान है।
- दूसरे दिन, आप सीमा थैच से गुलाबी कांठा शिखर तक जाते हैं और वापस आते हैं, कुल दूरी लगभग 8 किमी है।
- तीसरे दिन, आप सीमा थैच से वापस हनुमान चट्टी तक जाते हैं।
- रास्ते में आपको देवदार, चीड़ और बांज के जंगल, खूबसूरत घास के मैदान, जंगली फूल और बर्फ से ढके पहाड़ों के अद्भुत दृश्य देखने को मिलेंगे।
5. मौसम:
- गुलाबी कांठा ट्रैक के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर के बीच है।
- मानसून के दौरान (जुलाई से अगस्त) और सर्दियों में (दिसंबर से फरवरी) ट्रैक करना मुश्किल हो सकता है।
ट्रैक के दौरान इन बातें का रखे ध्यान :-
- इस ट्रैक पर जाने से पहले अपनी शारीरिक फिटनेस का आकलन करना महत्वपूर्ण है।
- पर्याप्त गर्म कपड़े, अच्छा ट्रेकिंग जूते और सनस्क्रीन लाएं।
- पर्यावरण की रक्षा करें और कूड़ा-करकट का निपटान ठीक से करें।
कुआरी पास ट्रैक: मनमोहक हिमालयी अनुभव | Kuari Pass Winter Trek
1. कैसे पहुंचें:
- दिल्ली से ऋषिकेश तक ट्रेन, बस या कैब लेकर (240 किमी) या देहरादून से जोशीमठ तक ( 290 किलोमीटर )
- ऋषिकेश से जोशीमठ तक टैक्सी (270 किमी) या बस (8-10 घंटे) का सफर करें।
- जोशीमठ से खतू गाँव तक जीप टैक्सी (18 किमी)। इस ट्रक के चार रास्तें है आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी मार्ग का चयन कर सकते है |
2. दूरी और अवधि:
- कुल ट्रैक की लंबाई लगभग 37 किलोमीटर है।
- इसे आम तौर पर 4 दिन और 3 रात में पूरा किया जाता है।
- अनुभवी ट्रेकर्स इसे तेजी से भी पूरा कर सकते हैं।
3. ट्रैक का लेवल:
- कुआरी पास ट्रैक मध्यम कठिनाई वाला माना जाता है। इसमें ऊंचाई हासिल करने के लिए लगातार चढ़ाई शामिल है।
- नए ट्रैकर्स के लिए गाइड के साथ जाना उचित है।
4. ट्रैक विवरण:
- ट्रैक ढक गाँव से शुरुआत करके, आप जोशीमठ से ढक गाँव होकर चित्रखान पहुँचेग ।
- फिर चित्रखान से 6 किलोमीटर ट्रक कर ताली ओर फिर 15 ट्रैक करके कुआरी दर्रा |
- अंततः वापसी मे कुआरी दर्रा ताली टॉप वाया औली होकर जोशीमठ पहुंचेंगे |
- पार्श्व में नीलकंठ, चौखम्बा और हथि-गोधा पर्वत श्रृंखलाओं के शानदार दृश्य देखने को मिलेंगे।
- रास्ते में आप प्राचीन देवदार और बांज के जंगलों से भी गुजरेंगे।
- अंतिम चढ़ाई आपको कुआरी पास तक ले जाएगी, जहाँ से 12,516 फीट की ऊंचाई से हिमालय का लुभावना नज़ारा दिखता है।
5. मौसम:
- कुआरी पास ट्रैक के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर के बीच है।
- मानसून के दौरान (जुलाई से अगस्त) और सर्दियों में (दिसंबर से फरवरी) ट्रैक करना मुश्किल हो सकता है।
निष्कर्ष :-
ऊपर देखिए के वर्णन से अब आप समझ चुके हैं कि उत्तराखंड के 9 सबसे अच्छे विंटर ट्रेक कौन से हैं अगर आप पहली बारी ट्रैकिंग के बारे में योजना बना रहे हैं तो आपको सबसे आसान वाले ट्रैक जिसमे नाग टिंबा और अन्य आसान वाले ट्रैक से आरंभ करना चाहिए |
पहाड़ों में ट्रैकिंग करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें की आप हमेशा गाइड अपने साथ रखें और ट्रैकिंग का पैकेज साथ लेकर ही ट्रैकिंग कर इसमें आपको न केवल एक अच्छा गाइड मिलता है बल्कि ट्रेकिंग के दौरान आपको किन-किन सामानों की आवश्यकता है क्या क्या मेडिकल सहायता और अन्य गाइडेंस भी मिलती है | आशा करते हैं कि आपको हमारे लिए पसंद आया|